राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) राजनीतिक संगठन है या धार्मिक

जब नये धर्म-शास्त्रों का निर्माण करना चाहते हैं या धर्म-शास्त्रों में परिवर्तन करना चाहते हैं तो जनता को जो-जो शंकायें हों उन शंकाओं का निवारण भी तो करना होगा।

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करम प्रधान विश्व करि राखा का मूल तात्पर्य क्या है ? – karm pradhan vishwa kari rakha

सत्तालोलुप समूह, षड्यंत्रकारी आदि अपने ही कुतर्कों के जाल में किस प्रकार फंसते हैं इसे इस प्रकार से समझा जा सकता है : आज के समय में वर्णव्यवस्था का महत्व नहीं है ।

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वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति के सिद्धांत

वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति के सिद्धांत – जन्म से या कर्म से

वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति के सिद्धांत – जन्म से या कर्म से : आज के भारत में वर्ण और जाति का आधार क्या है, इसका निर्णय अब शास्त्र और शास्त्रार्थ से नहीं होगा, जैसे सारे निर्णय राजनीतिक होते हैं उसी तरह वर्ण और जाति का निर्णय भी राजनीति से किया जाएगा धर्मशास्त्रों और प्रमाणों से नहीं। अथवा ये निर्णय आर्यसमाजी करेगा जो स्वयं धर्म-शास्त्रों को नहीं मानता या केवल उतना मानता है जितना प्रचार-प्रसार के लिये अर्थात अस्तित्व के लिये आवश्यक है।

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