गणेश कवच संस्कृत में – Ganesha Kavacham

गणेश कवच संस्कृत में - Ganesha Kavacham

भावनात्मक पूजा करते समय हमारी भाषा का महत्व कम और भाव का महत्व अधिक होता है किन्तु बात जब मंत्र-स्तोत्र की आती है तब भाषा का भी विशेष महत्व हो जाता है, किन्तु इसका यह तात्पर्य नहीं होता कि भाव का महत्व नहीं रहता। देवताओं की वाणी को देववाणी कहा जाता है और एक ही भाषा है जिसे देववाणी कहा जाता है वो है संस्कृत। इस कारण देवताओं के मंत्र-स्तोत्रादि का पाठ संस्कृत में करना ही लाभप्रद होता है। यहां भगवान गणेश के सभी कवच – स्तोत्र संस्कृत (Ganesha Kavacham) में दिये गये हैं।

गणेश कवच संस्कृत में – Ganesha Kavacham

भगवान गणेश को सभी देवताओं में प्रथम पूज्य कहा गया है। भगवान गणपति से जिस स्तोत्र में सुरक्षा करने की प्रार्थना की गयी है उसे गणेश कवच (Ganesha Kavacham) कहा जाता है। यहां भगवान गणपति की कृपा प्राप्ति पूर्वक सुरक्षा प्रदान करने वाले एक कवच ही नहीं अपितु अनेकों कवच दिये गये हैं यथा मुद्गलकृत गणेश कवच गणेश पुराणोक्त, महागणपति कवच, उच्छिष्ट गणपति कवच, एकाक्षरगणपति कवच इत्यादि। इस प्रकार इन विभिन्न कवच स्तोत्रों में से अपनी आवश्यकता के अनुसार आप किसी भी कवच का चयन कर सकते हैं।

मुद्गलकृत गणेश कवच का विशेष महत्व है क्योंकि यह गणेश पुराण से लिया गया है :


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