राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर – शंका और समाधान

राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर – शंका और समाधान

लगभग ५०० वर्षों पश्चात् रामलला का मंदिर बन रहा है और देश के सभी श्रद्धालु दिव्य आनंद की प्राप्ति कर रहे है। ये आनंद सामान्य श्रेणी का नहीं है। किन्तु इस विषय में अनेक प्रकार के संशय उत्पन्न करते हुये श्रद्धालुओं की भावना पर आघात किया जा रहा है।

इस आलेख में सभी मुख्य प्रश्नों के उत्तर समाहित किया जा रहा है जिससे श्रद्धालुओं को संशय न रहे। इस विषय में उमाशंकर पांडेय (येन केन प्रकारेण शंकराचार्य) के द्वारा भी बहुत प्रलाप किये जा रहे हैं तो निश्चित रूप से उनकी चर्चा समाहित की जानी चाहिये।

राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर – शंका और समाधान

  • और इसलिये सर्वप्रथम मैं अपने गुरुदेव से प्रार्थना करता हूँ कि मेरे द्वारा कोई अपराध श्रेणी की उक्ति न होने पाये जिसके लिये भविष्य में भी मैं स्वयं को दोषी पाऊं।
  • मैं पुनः स्पष्ट कर दूँ कि मेरे इस आलेख का आशय यह है कि श्रद्धालुओं के मन में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर किसी प्रकार का संशय उत्पन्न न हो और यदि किसी के मन में कदाचित संशय उत्पन्न हो भी गया हो तो उसका निवारण हो जाये।
श्रीगुरुचरण कमलेभ्यो नमः
श्रीगुरुचरण कमलेभ्यो नमः

शंकराचार्य को शंका

सम्मानित उमाशंकर पांडेय जी, सर्वप्रथम तो मैं आपको येन केन प्रकारेण अधिष्ठित शंकराचार्य मानता हूँ जिसके सन्दर्भ में आपके कुछ चित्र वायरल हो रहे हैं वो भी प्रस्तुत करूंगा।

शंकराचार्य की वायरल फोटो - 1
शंकराचार्य की वायरल फोटो – 1

ये आपके वायरल होने वाले वो चित्र हैं जो आपके ऊपर शंका उत्पन्न करते हैं। इन चित्रों के सत्यता की पुष्टि हमने भले न की हो किन्तु इसकी अपुष्टि हेतु भी आपका कोई वक्तव्य हमें नहीं मिला है।

सर्वप्रथम तो आप अपने विषय में उत्पन्न होने वाले शंका का समाधान करें आपके लिये ये आवश्यक है।

शंकराचार्य की वायरल फोटो - 2
शंकराचार्य की वायरल फोटो – 2

ये सभी आपकी वायरल होने वाली वो चित्र है जो आपके विचार और गतिविधि के बारे में कुछ विशेष जानकारी देती है। इसके साथ ही एक घटना जो अखिलेश सरकार से समय में पुलिस की लाठी बरसाने वाली है वो चित्र या चलचित्र मैं इसलिये नहीं दे रहा हूं की उससे हमारी भी धार्मिक भावना आहत होती है।

भले ही आप येन केन प्रकारेण शंकराचार्य हैं लेकिन आपने शंकराचार्य पद की गरिमा को रसातल में पहुंचा दिया है।

शंकराचार्य की वायरल फोटो -  3
शंकराचार्य की वायरल फोटो – 3

लेकिन यदि आप उस श्रेणी में नहीं आते यदि हमसे ही समझने में कोई त्रुटि हो रही हो तो ये मेरा सौभाग्य और गुरुदेव की असीम कृपा है कि आज सभी शंकाओं का समाधान करने वाले शंकराचार्य को भी शंका है और उस शंका का समाधान मैं कर रहा हूं।

कर्मकांड विधि को इस विषय पर मंतव्य अभिव्यक्ति का अधिकार है या नहीं ?

  • कर्मकांड विधि इस विषय पर मंतव्य रखे या नहीं इस प्रश्न का समाधान तो नाम से ही हो रहा है। विषय कर्मकांड से संबधित है और कर्मकांड से संबंधित प्रत्येक विषय पर कर्मकांड विधि को विचार अभिव्यक्ति का अधिकार है।
  • कर्मकांड विधि के लिये अगला प्रश्न ये भी उत्पन्न हो सकता है कि क्या कर्मकांड विधि इस विषय का सही उत्तर देने में सक्षम है ? इसके लिये आपको कर्मकांड विधि के सैकड़ों आलेखों का अवलोकन करने की आवश्यकता होगी और इस प्रश्न का उत्तर मिल जायेगा।
  • एक प्रश्न यह भी उत्पन्न हो सकता है और विशेषकर शंकराचार्यों के अनुयायी शिष्यों के मन में की शंकराचार्य शंकर स्वरूप होते हैं और उनके प्रति इस तरह की अभिव्यक्ति सामान्य जनों को नहीं करना चाहिये।
  • ये प्रश्न भी पूर्णतः सत्य है और सामान्य जनों को बिल्कुल ऐसा नहीं करना चाहिये। किन्तु शंकराचार्य यदि शंकर स्वरूप होते हैं तो प्रत्येक ज्ञानी ब्राह्मण विष्णु स्वरूप होते हैं और यह नियम ज्ञानी ब्राह्मणों को अवरोधित नहीं कर सकता।
  • और विषय जब कर्मकांड का हो तो उसमें शास्त्रानुसार विद्वान ब्राह्मणों का ही सर्वाधिकार सुरक्षित है।
  • कर्मकाण्ड विधि के लिये अधिकार मात्र नहीं दायित्व भी है कि श्रद्धालुओं के मन संशय-आशंका आदि उत्पन्न न हो, भक्ति भावना और बढे; ऐसा प्रयास करना।

ऊपर इतनी चर्चा पूर्ण अपेक्षित थी ताकि इस तरह के प्रश्न उठाकर और संशय न बढ़ाया जाय।

अब मूल विषय पर आते हैं; कुछ तत्व आसुरी प्रभाव में हैं और दिन प्रतिदिन कालनेमि के समान गिने-चुने 1-2 प्रश्न उठाकर विवाद कर रहे हैं, सामान्य श्रद्धालु जनों के मन में संशय उत्पन्न कर रहे हैं – ये पंक्ति किसी भी शंकराचार्य पद के लिये नहीं है।

लेकिन हमारा यह आलेख उन आसुरी तत्वों के लिये नहीं है, जो सिद्ध सनातन द्रोही हैं उनको कर्मकांड-सनातन संबंधी किसी प्रकार का भी प्रश्न करने का ही अधिकार ही नहीं है। मेरा यह आलेख मूलतः श्रद्धालुओं के लिये ही है जिसमें आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास किया जा रहा है। शंकराचार्य को प्रश्न करने का पूर्ण अधिकार है

प्रश्न १ : शुभ मुहूर्त नहीं है; या किस पञ्चाङ्ग में मुहूर्त है ?
उत्तर : इस प्रथम प्रश्न के ऊपर पिछले आलेख में विस्तृत चर्चा की गयी है और प्रमाण भी दिया गया है। संबंधित आलेख को पढ़ने के लिये यहां क्लिक करें। संभवतः इसी आलेख के कारण अब जो नया वीडियो आया है उसमें मुहूर्त या पञ्चाङ्ग संबंधी प्रश्न नहीं उठाया गया। नया वीडियो भी आगे दिया गया है। उस वीडियो से सम्बंधित अन्य चर्चा भी आगे करेंगे।

प्रश्न २. हीनांग मंदिर अर्थात अपूर्ण मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जा रही है ?

उत्तर : आपका ये कथन कि अपूर्ण मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नहीं होनी चाहिये पूर्णतः सत्य है। किन्तु राम मंदिर के सम्बन्ध में अर्द्ध सत्य है।

प्रमाण का उदाहरण : भगवान राम और कृष्ण के मंदिर को ठाकुरवाड़ी कहा जाता है। देश में सैकड़ों या हजारों नहीं लाखों की संख्या में ठाकुरवाड़ी है। और कुछ गिने-चुने ठाकुरवाड़ी में ही आपको शिखर मिलेंगे बाकि किसी में शिखर नहीं मिलेंगे मात्र गर्भगृह मिलेगा। अब ये स्पष्ट होता है कि गर्भगृह पूर्ण बना है या नहीं और ये मूल प्रश्न होना चाहिये था। शिखर संबंधी प्रश्न राम मंदिर के सन्दर्भ में यथार्थ प्रश्न नहीं है।

यदि शिखर संबंधी प्रश्न राम मंदिर के संदर्भ में यथार्थ सिद्ध हुआ तो लाखों ठाकुरवाड़ी के मंदिर वाली सत्ता समाप्त हो जायेगी। अर्थात आपको ये भी कहना चाहिये की कोई भी ठाकुरवाड़ी मंदिर नहीं है और वहां लोगों को आस्था नहीं रखनी चाहिये एवं उन सभी ठाकुरवाड़ियों में अशास्त्रीय पाखंड किया जा रहा है। क्या आप ऐसा वक्तव्य देंगे?

किन्तु ठाकुरवाड़ी के सन्दर्भ में एक अन्य तथ्य भी है कि वो आपत्काल में धर्मरक्षा की विधि थी। तो आपत्काल अयोध्या राम मंदिर के सन्दर्भ में भी प्रभावी है। ५०० वर्षों से जहां आपात्काल बना हुआ है वो आपत्काल अभी समाप्त नहीं हुआ है। अभी भी और कई ऐसे पुराने मंदिर हैं जहां भगवान की पूजा नहीं हो पा रही है और ये सिद्ध करता है की आपत्काल अभी भी है।

पुनः एक और तथ्य है यद्यपि दिखने में ऐसा लगता है की नया मंदिर बन रहा है नयी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है, किन्तु वह नया नहीं है हजारों वर्ष पुराना है अर्थात जीर्णोद्धार हो रहा है।

पुनः एक और तथ्य है यद्यपि दिखने में ऐसा लगता है की नया मंदिर बन रहा है नयी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है, किन्तु वह नया नहीं है हजारों वर्ष पुराना है अर्थात वास्तव में जीर्णोद्धार हो रहा है, जो वर्षों तक होगा और ऐसी अवस्था में आपद्धर्म का आश्रय लेते हुये शीघ्रातिशीघ्र प्राण-प्रतिष्ठा करके पूजा आरम्भ करना ही उचित है। और कितने वर्षों तक उस मंदिर की पूजा वाधित रखी जाय जहां ५०० वर्षों से वाधा बनी हुई है ?

शिखरहीन होने पर भी गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में कोई दोष नहीं है इसके संबंध में और अधिक जानकारी के लिये यह आलेख पढ़ें

पुरानी मूर्ति और नई मूर्ति ?

प्रश्न ३. नयी वीडियो में आपका एक और प्रश्न है विराजमान राम लला की मूर्ति क्यों स्थापित नहीं हो रही है ? जिस विराजमान राम लला की प्रतिमा ने वाद लड़ा उसी प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा होनी चाहिये।

उत्तर : विराजमान राम लला भी वो मूर्ति नहीं है जो पहले से पूजी जाती रही। मुझे जो ज्ञात है उसके अनुसार बाबरी विध्वंस के समय पुजारिओं ने पहले से पूजी जाने वाली प्रतिष्ठित मूर्ति तो सरयू जी में विसर्जित कर दिया था। लेकिन वाद जिस विराजमान राम लला की मूर्ति ने लड़ा वो प्रतीकात्मक मात्र था।

यदि नयी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है तो इसमें कौन शास्त्रीय निषेध है ? यदि वो मूर्ति शास्त्रीय विधि से प्रतिष्ठित होती तो शास्त्रीय निषेध प्रभावी होता। इस संदर्भ में मुझे ज्ञात नहीं की विराजमान राम लला की जिस मूर्ति ने वाद लड़ा था उसकी विधिवत प्राण प्रतिष्ठा की गयी थी।

शंकराचार्य का नया वीडियो

आपकी जो नयी वीडियो मिली उसमें आपने मुहूर्त संबंधी प्रश्न नहीं किया जिससे मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि संभवतः मुहूर्त और पञ्चाङ्ग संबंधी उत्तर का मेरा पूर्व आलेख आप तक पहुंचा, हो सकता है मैं गलत भी होऊं।

इस नयी वीडियो में आपने मुख्य रूप से दो प्रश्न किये और दोनों का उत्तर दे दिया गया है। लेकिन इसके साथ ही कुछ और भी नये विषय इसमें है जिसके लिये और चर्चा अपेक्षित है।

शंकराचार्य का नया वीडियो

ट्रस्ट को पत्र क्यों ?

सबसे पहले ऊपर के वीडियो में आपने जो ट्रस्ट को पत्र लिखने की बात कही है वो क्यों ? ट्रस्ट के पास अब प्राण प्रतिष्ठा के विधि-विधान संबंधी कोई अधिकार ही नहीं है। ट्रस्ट को केवल धन और व्यवस्था करने का अधिकार है। शास्त्रानुसार प्राण प्रतिष्ठा संबंधी समस्त अधिकार नियुक्त आचार्य में समाहित हो चुका है जिसके निरीक्षक नियुक्त ब्रह्मा होंगे। अब यदि किसी भी प्रकार का विघ्न उपस्थित हो ट्रस्ट या यजमान के लिये तो भी प्राण प्रतिष्ठा होगी और यह नियुक्त आचार्य का दायित्व है।

और यदि ट्रस्ट आपके प्रश्न का उत्तर देती है तो वह अनधिकृत और अमान्य उत्तर होगा।

नयी वीडियो का गृहप्रवेश विधि संबधी नया विषय

नई वीडियो में आपका एक वक्तव्य ये मिला की गाय को घर में प्रवेश की बात भी कहते दिखे। संभव है ऐसा प्रमाण हो किन्तु हमें अभी तक गाय को दाहिने रखकर गृहप्रवेश करने की ही जानकारी है, कृपया इस विषय में आप प्रमाण देनें की कृपा करें।

नयी वीडियो का महत्वपूर्ण विषय

नयी वीडियो में एक बात बहुत अच्छी लगी कि जो विपक्षी आपके प्रश्नों को लेकर कूद रही है उन विपक्षियों के लिये धर्मशास्त्र मानने का प्रण करने का संदेश आपने दिया।

अंत में शंकराचार्यों के प्रति अनपेक्षित वार्तालाप करने वाले मीडिया और सोशल मीडिया वालों को एक आग्रह करना चाहूंगा कि शंकराचार्य पद का सम्मान करना सभी के लिये अपेक्षित है।

साथ ही इस आलेख में यदि जाने-अनजाने किसी प्रकार से भी शंकराचार्य पद के प्रति कोई अपराध हुई हो तो उसके लिये क्षमाप्रार्थी हूं, विनम्रता के साथ क्षमायाचना करता हूं।

॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः सुशांतिर्भवतु सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।


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