पढ़ें अग्नि अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – agni ashtottara shatanamavali

पढ़ें अग्नि अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में - agni ashtottara shatanamavali

षड्देवता में अग्नि भी आते हैं और अग्नि की उपासना अन्य देवोपासकों को भी करनी ही होती है। किसी भी देवता के उपासक हो हवन में अग्नि की उपासना करनी ही होती है। वैसे अग्नि उपासकों का एक विशेष वर्ग भी होते हैं जो अग्निहोत्री कहलाते हैं और साग्निक नाम से जाने जाते हैं एवं शास्त्रों में अग्निहोत्रियों का विशेष महत्व बताया गया है। सामान्य लोगों की तुलना में अग्निहोत्रियों के लिये भिन्न विधान भी होता है।

संभव है यह थोड़ा भिन्न विषय लगता हो किन्तु गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है कि अग्निहोत्री कौन होते हैं, उनके लिये शास्त्रों में क्या विधान है। यहां अग्निदेव को प्रसन्न करने के लिए अग्नि अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र स्तोत्र (agni ashtottara shatanamavali) दिया गया है।

अग्नि अष्टोत्तर शतनामावली

  1. ॐ अजाय नमः ॥
  2. ॐ अजराय नमः ॥
  3. ॐ अजिराय नमः ॥
  4. ॐ अजुर्याय नमः ॥
  5. ॐ अतन्द्राय नमः ॥
  6. ॐ अग्नये नमः ॥
  7. ॐ अद्भुतक्रतवे नमः ॥
  8. ॐ अङ्कूयते नमः ॥
  9. ॐ अङ्गिरसे नमः ॥
  10. ॐ अर्वते नमः ॥
  11. ॐ सप्तहोतृभिरञ्जानाय नमः ॥
  12. ॐ आश‍ृण्वते नमः ॥
  13. ॐ आशुहेमाय नमः ॥
  14. ॐ अप्याय नमः ॥
  15. ॐ आसते नमः ॥
  16. ॐ असुराय नमः ॥
  17. ॐ आहुताय नमः ॥
  18. ॐ आदित्याय नमः ॥
  19. ॐ आपये नमः ॥
  20. ॐ आबाधाय नमः ॥
  21. ॐ आकूतते नमः ॥
  22. ॐ आघृणीवसवे नमः ॥
  23. ॐ इधानाय नमः ॥
  24. ॐ इद्धाय नमः ॥
  25. ॐ इन्धानाय नमः ॥
  26. ॐ इषः सहस्रिणीर्दधते नमः ॥
  27. ॐ ईड्याय नमः ॥
  28. ॐ ईलेन्याय नमः ॥
  29. ॐ ईशानाय नमः ॥
  30. ॐ ईषयते नमः ॥
  31. ॐ इलाय नमः ॥
  32. ॐ ईलिताय नमः ॥
  33. ॐ उक्थ्याय नमः ॥
  34. ॐ उक्षते नमः ॥
  35. ॐ उक्षमाणाय नमः ॥
  36. ॐ उक्षान्नाय नमः ॥
  37. ॐ दिवमुत्पतते नमः ॥
  38. ॐ ऊर्जःपुत्राय नमः ॥
  39. ॐ ऊर्जसनाय नमः ॥
  40. ॐ ऊर्ध्वाय नमः ॥
  41. ॐ ऊर्जोनपादे नमः ॥
  42. ॐ ऊशते नमः ॥
  43. ॐ पृथिवीमुतद्यामृजूयमानाय नमः ॥
  44. ॐ ऋताय नमः ॥
  45. ॐ ऋत्वियाय नमः ॥
  46. ॐ ऋतप्रवीताय नमः ॥
  47. ॐ ऋतचिदे नमः ॥
  48. ॐ ऋतावते नमः ॥
  49. ॐ ऋन्धाय नमः ॥
  50. ॐ ऋग्मियाय नमः ॥
  51. ॐ ऋषूणां पुत्राय नमः ॥
  52. ॐ ऋषिकृते नमः ॥
  53. ॐ ऋतवृधे नमः ॥
  54. ॐ ऋतुपे नमः ॥
  1. ॐ ऋभवे नमः ॥
  2. ॐ ऋषीणां पुत्राय नमः ॥
  3. ॐ ऋषभाय नमः ॥
  4. ॐ ऋभ्वने नमः ॥
  5. ॐ ऋतुपतये नमः ॥
  6. ॐ ऋषये नमः ॥
  7. ॐ ओषधीनां गर्भाय नमः ॥
  8. ॐ एकाय नमः ॥
  9. ॐ चर्षणीसदामोजिष्ठाय नमः ॥
  10. ॐ ककुदे नमः ॥
  11. ॐ ककुद्मते नमः ॥
  12. ॐ क्रतुविदे नमः ॥
  13. ॐ कृष्णयामाय नमः ॥
  14. ॐ कनिक्रदते नमः ॥
  15. ॐ कण्वतमाय नमः ॥
  16. ॐ कण्वसखाय नमः ॥
  17. ॐ केवलाय नमः ॥
  18. ॐ कृष्णवर्तनये नमः ॥
  19. ॐ कपये नमः ॥
  20. ॐ कवये नमः ॥
  21. ॐ कवितमाय नमः ॥
  22. ॐ कविशस्ताय नमः ॥
  23. ॐ कविक्रतवे नमः ॥
  24. ॐ कविप्रशस्ताय नमः ॥
  25. ॐ कृष्णाध्वने नमः ॥
  26. ॐ क्रव्यादाय नमः ॥
  27. ॐ क्रव्यवाहनाय नमः ॥
  28. ॐ क्षत्राणि धारयते नमः ॥
  29. ॐ क्षत्राय नमः ॥
  30. ॐ क्षपावते नमः ॥
  31. ॐ क्षत्रभृते नमः ॥
  32. ॐ क्षयाय नमः ॥
  33. ॐ गणश्रिये नमः ॥
  34. ॐ चरथां गर्भाय नमः ॥
  35. ॐ अपां गर्भाय नमः ॥
  36. ॐ गातुवित्तमाय नमः ॥
  37. ॐ बह्वीनामपसां गर्भाय नमः ॥
  38. ॐ स्थातां गर्भाय नमः ॥
  39. ॐ गुहाहिताय नमः ॥
  40. ॐ गृत्साय नमः ॥
  41. ॐ गृहपतये नमः ॥
  42. ॐ गृध्नवे नमः ॥
  43. ॐ गोपे नमः ॥
  44. ॐ घोराय नमः ॥
  45. ॐ चनोहिताय नमः ॥
  46. ॐ जातवेदसे नमः ॥
  47. ॐ तपुर्मूर्ध्ने नमः ॥
  48. ॐ दीर्घतन्तवे नमः ॥
  49. ॐ धृतव्रताय नमः ॥
  50. ॐ बृहद्भानवे नमः ॥
  51. ॐ मधुवचसे नमः ॥
  52. ॐ यज्ञाय नमः ॥
  53. ॐ रण्वाय नमः ॥
  54. ॐ वनस्पतये नमः ॥

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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