बुध को सौम्य ग्रह कहा गया है और बुध का एक नाम ही सौम्य है। तथापि बुध कि एक विशेषता है कि संग के रंग में रंग जाता है अर्थात यदि किसी प्रकार के संसर्ग से रहित हो तो सौम्य, यदि शुभग्रह का संसर्ग हो तो शुभ और यदि अशुभ ग्रह का संसर्ग हो तो अशुभ भी हो जाता है। बुध ग्रह के 108 नाम वाले स्तोत्र को बुध अष्टोत्तरशत नामावली कहा जाता है। स्तोत्रों में देवताओं के 108 नाम अर्थात अष्टोत्तरशत नामों का भी विशेष होता है। यहां बुध का अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र दिया गया है।
बुध अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – Budh ashtottara shatanamavali
बुधो बुधार्चितः सौम्यः सौम्यचित्तः शुभप्रदः ।
दृढव्रतो दृढबलः श्रुतिजालप्रबोधकः ॥१॥
सत्यवासः सत्यवचा श्रेयसाम्पतिरव्ययः ।
सोमजः सुखदः श्रीमान् सोमवंशप्रदीपकः ॥२॥
वेदविद्वेदतत्त्वज्ञो वेदान्तज्ञानभास्करः ।
विद्याविचक्षण विदुर् विद्वत्प्रीतिकरो ऋजः ॥३॥
विश्वानुकूलसञ्चारी विशेषविनयान्वितः ।
विविधागमसारज्ञो वीर्यवान् विगतज्वरः ॥४॥
त्रिवर्गफलदोऽनन्तः त्रिदशाधिपपूजितः ।
बुद्धिमान् बहुशास्त्रज्ञो बली बन्धविमोचकः ॥५॥
वक्रातिवक्रगमनो वासवो वसुधाधिपः ।
प्रसादवदनो वन्द्यो वरेण्यो वाग्विलक्षणः ॥६॥
सत्यवान् सत्यसंकल्पः सत्यबन्धिः सदादरः ।
सर्वरोगप्रशमनः सर्वमृत्युनिवारकः ॥७॥
वाणिज्यनिपुणो वश्यो वातांगी वातरोगहृत् ।
स्थूलः स्थैर्यगुणाध्यक्षः स्थूलसूक्ष्मादिकारणः ॥८॥
अप्रकाशः प्रकाशात्मा घनो गगनभूषणः ।
विधिस्तुत्यो विशालाक्षो विद्वज्जनमनोहरः ॥९॥
चारुशीलः स्वप्रकाशो चपलश्च जितेन्द्रियः ।
उदऽग्मुखो मखासक्तो मगधाधिपतिर्हरः ॥१०॥
सौम्यवत्सरसञ्जातः सोमप्रियकरः सुखी ।
सिंहाधिरूढः सर्वज्ञः शिखिवर्णः शिवंकरः ॥११॥
पीताम्बरो पीतवपुः पीतच्छत्रध्वजांकितः ।
खड्गचर्मधरः कार्यकर्ता कलुषहारकः ॥१२॥
आत्रेयगोत्रजोऽत्यन्तविनयो विश्वपावनः ।
चाम्पेयपुष्पसंकाशः चारणः चारुभूषणः ॥१३॥
वीतरागो वीतभयो विशुद्धकनकप्रभः ।
बन्धुप्रियो बन्धयुक्तो वनमण्डलसंश्रितः ॥१४॥
अर्केशानप्रदेषस्थः तर्कशास्त्रविशारदः ।
प्रशान्तः प्रीतिसंयुक्तः प्रियकृत् प्रियभाषणः ॥१५॥
मेधावी माधवासक्तो मिथुनाधिपतिः सुधीः ।
कन्याराशिप्रियः कामप्रदो घनफलाश्रयः ॥१६॥
बुधस्येवम्प्रकारेण नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ।
सम्पूज्य विधिवत्कर्ता सर्वान्कामानवाप्नुयात् ॥१७॥
॥ इति बुध अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ॥
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