अगस्त्य अर्घ्य (अगस्त्यार्घ्य) दान विधि – agastya arghya

अगस्त्य अर्घ्य (अगस्त्यार्घ्य) दान विधि – agastya arghya

तर्पण नित्यकर्म है तथापि संध्या-तर्पणादि नित्यकर्म कुछ कर्मकाण्डी ब्राह्मणों तक ही सीमित रह गया है। अगस्त्य अर्घ्य देने के विषय में विधि यह है कि भाद्र पूर्णिमा को ऋषि तर्पण करने के पश्चात् अर्थात् पितृतर्पण से पूर्व अगस्त्य को अर्घ्य देना चाहिये।

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विश्वकर्मा पूजा विधि – विश्वकर्मार्चा : Vishwakrma puja 2024

विश्वकर्मा पूजा विधि – विश्वकर्मार्चा : Vishwakrma puja 2024

किसी पात्र में गंधादि से अष्टदल बनाकर उसपर अष्टवसुओं का आवाहन करे  : ॐ द्रोणमावा‌हयामि ॥ ॐ प्राणमावा‌हयामि ॥ ॐ ध्रुवमावाहयामि ॥ ॐ अर्कमावाहयामि ॥ ॐ अग्निमावाहयामि ॥ ॐ दोषमावाहयामि ॥ ॐ वास्तुमावा‌हयामि ॥ ॐ विभावसुमावा‌हयामि ॥

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अनंत पूजा विधि

अनंत पूजा कब है 2024 – अनंत पूजा विधि

संकल्प के उपरांत कलश में जल-गंध-पवित्री-पूगीफल-पल्लवादि देकर पूजन करे। कलश के ऊपर एक स्वर्ण-रजत अथवा ताम्र पात्र में चंदनादि से अष्टदल निर्माण करके रखे। उसपर कुशाओं से सात फनों वाला सर्पाकृति बनाकर रखे। उनके आगे चौदह ग्रंथि वाला अनंत रखे। फिर नवग्रह-दशदिक्पाल आदि का पंचोपचार पूजन करके अनंत भगवान की पूजा करे।

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महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि – Mahalaxmi Vrat Puja

महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि – Mahalaxmi Vrat Puja

संकल्प करने के बाद 16 बार जल से हाथ-मुंह और पैर का प्रक्षालन करे (धोये) तत्पश्चात 16 तंतु युक्त सुंदर धागे में 16 गांठ लगाये और चंदन-पुष्पादि से अलंकृत कर दे, सोलह दूर्वा भी पूजा में रखे।

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सिद्धिविनायक व्रत कथा – Siddhivinayak Vrat Katha

सिद्धिविनायक व्रत कथा – Siddhivinayak Vrat Katha

सिद्धिविनायक व्रत कथा में भरद्वाज मुनि सूत से पूछते हैं कि विघ्नों का निवारण कैसे होगा। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया उत्तर में सिद्धिविनायक की पूजा व्रत करने को कहा गया, जिससे नष्टराज्य की पुनर्प्राप्ति हो सकती है। सिद्धिविनायक की पूजा से सभी कार्यों की सफलता होती है और चाहे विद्या हो या धन, विजय या सौभाग्य, सब इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

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सिद्धिविनायक पूजा विधि और मंत्र – siddhivinayak puja

सिद्धिविनायक पूजा विधि और मंत्र – siddhivinayak puja

भाद्र शुक्ल चतुर्थी को सिद्धिविनायक की पूजा की जाती है। पूजा के लिये मध्याह्नकाल को प्रशस्त बताया गया है। यह तिथि वर्ष में एक बार ही उपलब्ध होती है किन्तु यदि भक्तिभाव हो तो अन्य दिनों में भी सिद्धिविनायक की पूजा की जा सकती है।

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चौरचन पूजा विधि मंत्र

चौरचन पूजा विधि मंत्र

पूजा से पहले नित्यकर्म किया जाता है। चौरचन पूजा यद्यपि पुरुष भी कर सकते हैं तथापि अधिकांशतः स्त्रियां ही करती है। स्त्रियों के लिये नित्यकर्म का तात्पर्य पंचदेवता व गौरी पूजा है। पूजा सूर्यास्त के बाद होती है इसलिये गणपत्यादि पंचदेवता और गौरी की पूजा करे। विधवा स्त्री गणपत्यादि पंचदेवता व विष्णु पूजा करे। तत्पश्चात संकल्प करके चतुर्थी चंद्र पूजा करे।

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हरितालिका तीज पूजा विधि और कथा

पूजा का काल प्रदोषकाल ही होता है अतः प्रदोषकाल में ही पूजा करे। पवित्रीकरणादि करके सर्वप्रथम संकल्प करे। यदि चौदह वर्षों तक ही करना हो तो प्रथम वर्ष चौदह वर्ष करने का संकल्प करे, अन्य वर्षों में संकल्प करे। यदि 14 वर्ष से अधिक भी करना हो तो 14 वर्षों वाला संकल्प प्रथम वर्ष न करे।

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मंगल शांति के उपाय | मंगल शांति पूजा

मंगल शांति के उपाय | मंगल शांति पूजा 5th

मंगल शांति के उपाय : मंगल शांति का तात्पर्य है मंगल के अशुभ फलों के निवारण की शास्त्रोक्त विधि। यदि मंगल निर्बल हो तो सबल करने के लिये मूंगा आदि धारण करना लाभकारी होता है। किन्तु यदि मंगल के कोई अशुभ प्रभाव हों तो उसका निवारण रत्न धारण करना नहीं होता, अशुभ प्रभाव का निवारण करने के लिये शांति ही करनी चाहिये।

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चंद्र ग्रह शांति विधि

चंद्र ग्रह शांति विधि | कमजोर चंद्रमा के लक्षण और उपाय 4th

चंद्र ग्रह शांति विधि : हम सभी जानते हैं कि चन्द्रमा मन का कारक है और चन्द्रमा यदि अशुभ हो तो क्या-क्या दुष्परिणाम होते हैं ? मुख्य रूप से चन्द्रमा मन को ही प्रभावित करता है एवं कमजोर चंद्रमा के लक्षण और उपाय समझने के लिये पूर्व में ही आलेख प्रकाशित किया

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