देवोत्थान एकादशी पूजा विधि एवं मंत्र – Dev uthani ekadashi mantra

देवोत्थान-एकादशी-पूजा-विधि-एवं-मंत्र

कार्तिक शुक्ल एकादशी का नाम देवोत्थान, या प्रबोधिनी एकादशी है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष को भगवान विष्णु शयन करते हैं, भाद्र मास के शुक्ल एकादशी की पार्श्व परिवर्तन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जगते हैं। इसे चातुर्मास भी कहा जाता है। यद्यपि किसी भी एकादशी को बड़ा-छोटा नहीं कहा जा सकता और न ही कहना चाहिये क्योंकि “को बड़-छोट कहत अपराधु” वाली स्थिति होती है। तथापि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व है एवं इस दिन भगवान विष्णु का उत्थापन किया जाता है। इस आलेख में देवोत्थान एकादशी के दिन किये जाने वाले देवोत्थापन की विधि और मंत्र (Dev uthani ekadashi mantra) बताई गयी है।

नित्यकृत्य सम्पन्न करके प्रदोष काल में (सूर्यास्त के बाद एक पहर) पूजन आरम्भ करें। पहले पूजा की तैयारी कर लें। चौक पूरकर (रंगोली सजाकर) एक चौकी या पीढिया पर चारों कोने में दीप जलाकर बीच में ताम्रपात्र में शालिग्राम (अथवा विष्णु प्रतिमा हो या पान पर सुपारी और तिलपुंज बनाकर) स्थापित करें।

जल, पुष्प, माला, तुलसी, चंदन, तिल, पंचामृत, वस्त्र, यज्ञोपवीत, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, फल, मिष्टान्न, पक्वान्न, घंटी, शंख आदि पूजन सामग्री व्यवस्थित कर लें ।

देवोत्थान एकादशी पूजा विधि एवं मंत्र - Dev uthani ekadashi mantra : नित्यकृत्य सम्पन्न करके प्रदोष काल में (सूर्यास्त के बाद एक पहर) पूजन आरम्भ करें। पहले पूजा की तैयारी कर लें। चौक पूरकर (रंगोली सजाकर) एक चौकी या पीढिया पर चारों कोने में दीप जलाकर बीच में ताम्रपात्र में शालिग्राम (अथवा विष्णु प्रतिमा हो या पान पर सुपारी और तिलपुंज बनाकर) स्थापित करें। जल, पुष्प, माला, तुलसी, चंदन, तिल, पंचामृत, वस्त्र, यज्ञोपवीत, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, फल, मिष्टान्न, पक्वान्न, घंटी, शंख आदि पूजन सामग्री व्यवस्थित कर लें । फिर पवित्रीकरण, दिग्रक्षण, गणपत्यादि पञ्चदेवता व विष्णु पूजन करें। पवित्रीकरण विधि के लिए यहां क्लिक करें, दिग्रक्षण-पंचदवता-विष्णु पूजन विधि के लिए यहां क्लिक करें।

फिर पवित्रीकरण, दिग्रक्षण, गणपत्यादि पञ्चदेवता व विष्णु पूजन करें। पवित्रीकरण विधि के लिए यहां क्लिक करें, दिग्रक्षण-पंचदवता-विष्णु पूजन विधि के लिए यहां क्लिक करें।

तत्पश्चात् त्रिकुशा-तिल-जल-पुष्प-चंदन-तुलसी-पूंगीफल-पान-द्रव्य आदि संकल्प वस्तुएं लेकर संकल्प करें –

ॐ अस्यां रात्रौ कार्तिके मासि शुक्ले पक्षे एकादश्यां तिथौ ……….. गोत्रस्य मम श्री अमुकशर्मणः सपरिवारस्य कायिक वाचिक मानसिक जन्मजन्मान्तरिक ज्ञाताज्ञात सकलपाप क्षयपूर्वक श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलसमफल प्राप्तिपूर्वक विष्णुलोकप्राप्ति कामनया श्रीविष्णुपूजन पूर्वक तदुत्थापनं तत्कथाश्रवणं चाहं करिष्ये ॥

देवोत्थान एकादशी पूजा विधि एवं मंत्र

इस प्रकार संकल्प करके फिर भगवान विष्णु की पूजा करें । विष्णु भगवान की पूजा ताम्रपात्र में शालिग्राम अथवा प्रतिमा या तिलपुंज पर करें।

(यदि शालिग्राम अथवा प्रतिमा न हो और तिलपुंज पर पूजा करनी हो तो भगवान विष्णु का आवाहन भी करें, शालिग्राम या प्रतिमा में आवाहन न करें – ॐ भूर्भुवः स्वः भगवन् श्री विष्णो इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठितो भव)

पुष्प लेकर आवाहन करें – ॐ देवेश भक्तिसुलभ सर्वावरणसंयुत । यावत्त्वां पूजयिष्यामि तावत्त्वं सुस्थिरो भव ॥

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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