वर्ष में शरत्कालीन नवरात्रा प्रमुख है जो अधिकांश लोग करते हैं। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की नवरात्रा शारदीय नवरात्रा कहलाती है। इसमें माता दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मंदिरों में प्रतिमायें बनाकर दुर्गा पूजा की जाती है, बड़े-बड़े पंडाल बनाये जाते हैं, भव्य मेला लगा करती है। बहुत सारे लोग घर में भी दुर्गा पूजा करते हैं। घर में कलश स्थापन करके दुर्गा पूजा करने के लिये जिन सामग्रियों की आवश्यकता होती है यहां उन सामग्रियों की सूची दी गई है।
दुर्गा पूजा सामग्री
- दुर्गा पूजा मुख्य रूप से नवरात्रा में होती है लेकिन अन्य दिनों भी किया जाता है।
- अक्षय नवमी को भी दुर्गा पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
- इसके अतिरिक्त अष्टमी, चतुर्दशी, नवमी को दुर्गा पूजा के लिये विशेष तिथि माना जाता है। दुर्गा सप्तशती में श्लोक है – अष्टम्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां चैकचेतसः।
- दुर्गा के नौ रूप होते जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है।
- माता दुर्गा को दूर्वा (दुभी) नहीं चढ़ाना चाहिये।
- दुर्गा माता का सबसे महत्वपूर्ण स्तोत्र श्रीदुर्गा सप्तशती है।
- यदि स्वयं श्रीदुर्गा पाठ न कर सकें तो ब्राह्मण से सुनें।
- सुनने में भी पाठ का फल ही मिलता है – यः पठेत् शृणुयादपि।
दुर्गा पूजा के विशेष नियम :
- दुर्गा पूजा के लिये कलश स्थापन आवश्यक होता है।
- माता दुर्गा का आवाहन कलश पर ही करना चाहिये।
- यदि प्रतिमा हो तो प्रतिमा में भी की जा सकती है।
- यदि प्रतिमा न हो तो चित्र की अपेक्षा कलश में ही पूजा करना अधिक श्रेयस्कर है।
- यदि कलश स्थापन न किया गया हो तो चित्र में भी पूजा की जा सकती है।
- अपने दाहिनी ओर सामान्य अर्घ्य स्थापित करना चाहिये।
- अपने बांयी ओर विशेषार्घ्य स्थापित करना चाहिये।
- माता दुर्गा को उजले फूल नहीं चढ़ाना चाहिये।
- कलश स्थापन अपने सामने बांयी ओर करना चाहिये।
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