हवन का जो सबसे महत्वपूर्ण तथ्य वो यह है कि मात्र एक हवन जिसे नित्य होम कहा जाता है और नित्य होम करने वाले को अग्निहोत्री कहा जाता है, उस नित्य होम को छोड़कर अन्य कोई भी हवन बिना ब्राह्मण के नहीं हो सकता। फिर भी इंटरनेट पर आलेख/विडियो आदि में बहुत सारे लोग बिना पंडित के हवन करने की विधि बताई जाती रहती है। वास्तव में ये लोग सनातनद्रोही हैं जो शास्त्र की बातें नहीं मनमानी बातें करते रहते हैं। बिना पंडित के हवन की जा सकती है या नहीं इस विषय में यह आलेख विशेष महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।
पूजा के समय हम जो कुछ भी अर्पित करते हैं उसमें वस्तु, विधि, मंत्रादि की अपेक्षा भाव का महत्व अधिक होता है। और शास्त्र प्रमाण से ही पूजा भाव प्रधान होता है।
- मूर्खो वदति विष्णाय बुधो वदति विष्णवे । नम इत्येवं अर्थं च द्वयोरेव समं फलं ॥ पुनः
- मूर्खो वदति विष्णाय धीरो वदति विष्णवे। तयोः फलं तु तुल्यं हि भावग्राही जनार्दनः॥
- पूजा में भगवान भाव का ही भोग लगाते हैं, वस्तु-विधि आदि का नहीं।
किन्तु बात जब हवन की हो तो भाव का महत्व समाप्त नहीं होता किन्तु वस्तु, विधि, मंत्रादि महत्वपूर्ण हो जाते हैं। क्योंकि हवन में हम अग्नि में प्रत्यक्षतः घृत, शाकल्य, पायस आदि वस्तु प्रदान करते हैं और वहां अग्निमुखी देवता प्रत्यक्षतः उसे ग्रहण करते हैं, भले ही हमें आंखों से न दिख रहे हों।
बिना पंडित के हवन कैसे करें
बिना पंडित के हवन कैसे करें? संपूर्ण हवन विधि मंत्र, सरल हवन विधि इन सभी विषयों पर हम आगे विस्तृत चर्चा करेंगे परंतु उससे पहले हवन के विषय में कुछ आवश्यक जानकारी अपेक्षित है।
हवन क्या है ?
शतपथ ब्राह्मण – देवा अग्निमुखा अन्नमदन्ति, यस्यै कस्यै च देवतायै च जुह्वति, अग्नावेव जुह्वति, अग्निमुखा हि तद्देवा अन्नमकुर्वत। होम : कात्यायनश्रौतसूत्र – उपविष्टहोमाः स्वाहाकारप्रदानाः जुहोतयः । बैठकर स्वाहाकार पूर्वक अग्नि में हविर्द्रव्य त्याग होम कहलाता है।
- हवन में भाव व श्रद्धा तो आवश्यक है ही, साथ-साथ मन्त्र, विधान, वस्तु, शुद्धता, संस्कार अनिवार्य होता है।
- होमकर्म में असंस्कृत कुछ भी प्रयुक्त होने पर वह आसुरीश्रेणी प्राप्त कर लेता है।
- देवताओं के निमित्त अग्नि में आज्य/पवित्र हविर्द्रव्यादि की आहूति प्रदान करना होम या हवन कर्म कहलाता है।
- मनुष्य होम के द्वारा देवताओं को पुष्टि प्रदान करता है।
- पुनः तृप्त देवता प्रसन्न होकर उचित संसाधन-सुख-आरोग्य-धनपुत्रादि प्रदान करते हैं। ये हमारे जैसे अल्पज्ञों का विचार होता है।
- हवन भौतिक (वैज्ञानिक) लाभ के लिये जैसे की वातावरण की शुद्धि के लिये किया जाता है अथवा हवन का उद्देश्य वातावरण/पर्यावरण को शुद्ध करना है यह मूर्खों (स्वघोषित विद्वान/वैज्ञानिक) की सोच होती है।
- शास्त्र कहता है : हुतेन शम्यते पापं (महाभारत-शान्तिपर्व), – होम करने से पाप का शमन होता है। होमेन पापं पुरुषो जहाति होमेन नाकं च तथा प्रयाति । होमस्तु लोके दुरितं समग्रं विनाशयत्येव न संशयोऽत्र ॥ – विष्णुधर्मोत्तरपुराण। होम के द्वारा मनुष्य अपने पापों को दूर करता है और स्वर्ग को प्राप्त करता है । होम संसार के समस्त पापों को नष्ट करता है, इसमें कुछ भी सन्देह नहीं ।
आपने कहा बिना पंडित के हवन नहीं हो सकता सिवाय नित्य अग्निहोत्र के । इस संदर्भ में मेरा एक प्रश्न है गीता प्रैस की नित्य कर्म पूजा प्रकाश में नित्य होम की एक विधि जो आपकी विधि से भिन्न है कृपया उस पर प्रकाश डालें क्या वह कर सकते हैं क्योंकि वह बहुत छोटा हवन है और गीता प्रैस जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशन में उसका वर्णन है । मेरा एक प्रश्न और है उसी हवन से संबंधित उसमें कुशकंडिका के लिये कुश या दूर्वा के लिये कहा गया है । पंच भूसंस्कार के लिये भी कुश के लिये कहा गया है , क्या यहाँ भी दूर्वा का प्रयोग कर सकते हैं
नित्यहोम करने वाले को ही अग्निहोत्री कहा जाता है। कर्मकाण्ड में कहीं कुछ मनमानी करने की स्वतंत्रता नहीं है और यदि करे तो वह निष्फल होता है व विपरीत फल भी होता है। जो गुरुकुल न गया उसे नित्यहोम का ज्ञान नहीं होगा, नित्य होम की अग्नि गृहस्थाश्रम में प्रवेश के समय ही चयन किया जाता है और वह अग्नि नष्ट न हो इसका प्रयास करना होता है, यदि घर से बाहर हो तो भी प्रतिनिधि के माध्यम से नित्य होम करना ही होता है।
नित्य होम करने वाला जिसने विधिवत अग्निचयन किया हो वह साग्निक कहलाता है एवं जो नित्य होम नहीं करने वाले हैं वो निरग्निक कहलाते हैं। साग्निकों का अशौच विधान भी भिन्न होता है।
जो आडम्बर करने वाले होम-होम, अग्निहोत्र-अग्निहोत्र चिल्लाते रहते हैं, किसी को भी आध्यात्मिक महत्त्व बताते नहीं देखा जाता, वातावरण शुद्धि, वैज्ञानिकता आदि की चर्चा करते हुये ही देखा जाता है। यें लोग स्वयं स्वेच्छाचारी हैं और अन्य को भी बनाना चाहते हैं।
नित्य होम और अन्य होम में अंतर होता है, अन्य हवन नित्य होम की विधि से नहीं होता है,
कुशकंडिका में भी कुशा के विकल्पों का प्रयोग किया जा सकता है।
नित्य होम भिन्न विषय है, अन्य हवन में नित्यहोम के मंत्रों का भी प्रयोग नहीं होता है। कुछ लोग सबको स्वेच्छाचारी बनाने के लिये अग्निहोत्र करने के नाम पर किसी भी प्रकार से नित्यहोम करने के लिये भी प्रेरित कर रहे हैं जिससे हवन सामग्री का विक्रय हो सके। नित्यहोम अग्निहोत्री के लिये ही है जिसने यथाकाल अग्निसंचयन किया हो। कुशकण्डिका में भी कुशा के अनुपलब्ध होने पर विकल्पों का ग्रहण किया जा सकता है, किन्तु उपलब्ध होने पर नहीं।