लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् – lingashtakam stotram

लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् – lingashtakam stotram

भगवान शिव को प्रसन्न करने वाले स्तोत्रों में से एक है लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम्। लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् में कुल 8 मंत्र हैं जिसमें शिवलिङ्ग की स्तुति की गई है। यहां लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् अर्थ सहित दिया गया है।

लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् – lingashtakam stotram

  • भगवान की स्तुति करने के लिये आठ मंत्रों की संख्या का एक विशेष प्रावधान मिलता है।
  • जिस स्तोत्र में 8 मंत्रों द्वारा भगवान की स्तुति की जाती है उसे देवता संबंधी अष्टक कहा जाता है।
  • शास्त्रों में प्रणाम करने की एक विशेष विधि का वर्णन मिलता है जिसे साष्टाङ्ग प्रणाम कहा जाता है।
  • शाष्टांग प्रणाम में शरीर के आठ अंगों का भूमि से स्पर्श होता है।
  • स्तुति करते समय भी इस 8 अंक का संबंध होने से उसे अष्टक कहा जाता है।
  • देवताओं के अष्टक नामक स्तोत्र का तात्पर्य स्तुति में शाष्टांग प्रणाम करने का बोधक माना जा सकता है।

अर्थ : हे शिव! जो ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवों के इष्ट देव हैं। जो परम पवित्र, निर्मल और सभी जीवों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं। जो लिंग के रूप में चराचर जगत में स्थापित हैं और जो संसार के संहारक हैं, जन्म और मृत्यु के दुखों का विनाश करते हैं, ऐसे लिंग स्वरूप भगवान शिव को मैं नमस्कार करता हूं।

लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम्
लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम्

अर्थ : हे प्रभु! जो मुनियों और देवताओं के परम आराध्य हैं। जो देवताओं और मुनियों द्वारा पूजे जाते हैं। जो बुरे कर्मों का विनाश करते हैं, जो दया और करुणा के सागर हैं। जिन्होंने लंकापति रावण के अहंकार का विनाश किया है, ऐसे लिंग स्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूं।

अर्थ : हे प्रभु! लिंगमय स्वरूप जो सभी तरह के सुगंधित इत्रों से लेपित है, जो बुद्धि और आत्मज्ञान में वृद्धि का कारण हैं। जो शिवलिंग सिद्ध मुनियों, देवताओं और दानवों द्वारा पूजे जाते हैं, ऐसे लिंग स्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूं।

अर्थ : लिंग स्वरूप भगवान शिव, जो सोने और रत्नजड़ित आभूषणों से सुसज्जित हैं। जो चारों ओर से सर्पों से घिरे हुए हैं। जिन्होंने प्रजापति दक्ष के यज्ञ का विध्वंस किया था, ऐसे लिंग स्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूं।

अर्थ : जिनका लिंगस्वरूप कुमकुम और चंदन से सुलेपित है। जो कमल के सुंदर हार से शोभायमान हैं। जो पाप कर्म का लेखा-जोखा मिटने में सक्षम हैं, ऐसे लिंगस्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूं।

अर्थ : जिनकी देवगणों द्वारा पूजा-अर्चना और सेवा होती है। जो भक्ति भाव से परिपूर्ण और पूजित हैं। जो करोड़ों सूर्य के समान तेजस्वी हैं, ऐसे लिंगस्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूं।

अर्थ : जो पुष्प के आठ दलों के मध्य में विराजमान हैं, जो सृष्टि में सभी घटनाओं के रचयिता हैं, जो आठों प्रकार की दरिद्रता का हरण करते हैं, ऐसे लिंगस्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूं।

अर्थ : जो देवताओं के गुरुजन और सर्वश्रेष्ठ देवों द्वारा पूज्यनीय हैं। जिनकी पूजा दिव्य उद्यानों के पुष्पों से की जाती है। जो परब्रह्म हैं, जिनका न आदि है न ही अंत है, ऐसे लिंगस्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूं।

लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम्
लिङ्गाष्टक

अर्थ : जो कोई भी इस लिंगाष्टकम का शिव प्रतिमा या शिवलिंग के पास बैठकर श्रद्धा से पाठ करता है, उसे शिवलोक प्राप्त होता है। भगवान भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् के लाभ

लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् को बहुत ही चमत्कारी स्तोत्र कहा जाता है। लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् के लाभों का वर्णन इस स्तोत्र में ही मिलता है, जो इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है :

  • जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं – लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् के पाठ से जन्म-जन्मों के निर्धारित दुःखों का निवारण होता है, साथ ही जन्म-मरण रूपी जो दुःख है उसका भी निवारण होता है।
  • बुद्धिविवर्धन कारणलिङ्गं – प्रथम मंत्र में बुद्धिवर्द्धक होना बताया गया है अर्थात इस स्तोत्र के पाठ करने से बुद्धि की वृद्धि होती है।
  • सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं – जितने भी पाप सञ्चित हो गये होते हैं उन सभी पापों का शिवलिङ्ग विनाशक होता है और यह लाभ स्तोत्र पाठ से भी प्राप्त हो सकता है।
  • अष्टदरिद्र विनाशितलिङ्गं – लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् के पाठ से भगवान शिव को प्रसन्न करके आठ दरिद्रा का भी विनाश किया जा सकता है।
  • शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते – इस स्तोत्र का पाठ भगवान शिव के लोक प्राप्ति कराने वाला है और भगवान शिव के सान्निध्य आनंद का प्रदायक है।
लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् के लाभ
लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् के लाभ
  • भगवान शिव की पूजा करके लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् का पाठ करने जीवन की बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकता है।
  • किसी भी कार्य में सफलता प्राप्ति के लिये बुद्धिमान होना आवश्यक होता है अतः चूंकि लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् का पाठ करने से बुद्धि का विकास होता है अतः सफलता प्राप्ति में भी लाभकारी हो सकता है।

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