प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि महोत्सव मनाया जाता है। महाशिवरात्रि व्रत 14 वर्षों तक करने का विधान बताया गया है। महाशिवरात्रि व्रत में दिन भर उपवास करके रात में भगवान शिव की विशेष पूजा-कथा की जाती है। महाशिवरात्रि के दिन विशेष पूजा का विधान है। यहां महाशिवरात्रि में उपयोगी पूजन सामग्री की वह लिस्ट दी जा रही है जो शिवालय में पूजा करने के लिये आवश्यक होती है।
महाशिवरात्रि पूजन सामग्री लिस्ट
जब शिवालय में पूजा की जाती है तो अधिकांशतः रुद्राभिषेक भी किया जाता है। महाशिवरात्रि-पूजा-विधि में हमने एक प्रमाण ये भी समझा था कि पञ्चामृत के १००० या १०० या ५० अथवा २५ घटों द्वारा भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिये। जिस प्रकार भी अभिषेक करना हो तदनुसार अभिषेक द्रव्य की अतिरिक्त व्यवस्था करें।
महाशिवरात्रि पूजन सामग्री
- दीप – 11 (अथवा 5), नारियल (पानी वाला) – 1, रक्षासूत्र -1 , पीली सरसों – 1 पुड़िया ।
- अरबा चावल – 500 ग्राम, तिल – 50 ग्राम, जौ – 50 ग्राम ।
- चंदन – 1, कुंकुम – 1, सिंदूर – 1, भस्म – 1, केसर ।
- बत्ती – 11, धूप – 100 ग्राम, सलाई – 1, कपूर – 25 ग्राम ।
- घी – 500 ग्राम, शक्कड़ – 500 ग्राम, मधु – 200 ग्राम, दूध – पञ्चामृत और अभिषेक के अनुसार, दही – 1 किलो ।
- सर्वौषधि – 2 पुड़िया ।
- पान – 15, सुपारी – 15, लौंग, इलायची ।
- वस्त्र – धोती, गमछा भगवान को चढाने व ब्राह्मण वरण हेतु, साड़ी, साया, ब्लॉज पीस, चुनड़ी आदि पार्वती जी के लिये ।
- शृंगार सामग्री – ऐना, कंघी, अलता, पैररंगा, केशपिन, बिंदी, मेंहदी, काजल, गुलाब जल, सुगन्धित तेल, इत्र (स्प्रे), लहठी इत्यादि ।
- आभूषण (यथासंभव)
- पाग (भगवान शिव के लिये)
- पीला कपड़ा, उजला कपड़ा आवश्यकतानुसार ।
- जनेउ – 3 अथवा मंदिर देवता की संख्या के अनुसार ।
- गुलाब जल, ठंडा तेल, इत्र (स्प्रे) ।
- अबीर – गुलाल, अबरख बुक्का ।
- नैवेद्य – यथासंभव : पञ्चमेवा – (शुद्ध पञ्चमेवा) 500 ग्राम, मिसरी – 500 ग्राम, मिठाई, पकमान, पुआ, खीर, हलुवा, चूड़मा, केला एवं अन्य फल।
- आसन – स्वयं एवं ब्राह्मण के लिये शुद्ध आसन।
- भांग का गोला – पीसा हुआ।
- गंगा जल,
- फूल, माला, तुलसी, दूर्वा, शमीपत्र, बेलपत्र, आम का पल्लव, केला का पत्ता। जहां केला का पत्ता अनुपलब्ध हो वहां अन्य उपलब्ध अथवा भोज के पत्ते का प्रयोग किन्तु थर्मोकॉल प्लेट–दोने का प्रयोग न करें। पीतल थाली-कटोरी का प्रयोग करें।
- दान सामग्री – यथा संभव।
दो विशेष महत्वपूर्ण सामग्री जो शिव को विशेष प्रिय है : गङ्गाजल और बेलपत्र।
गङ्गाजल
गङ्गा भगवान शिव की जटा में भी विराजती है और भगवान शिव की पूजा में विशेष महत्व रखती है। जो लोग गङ्गा से दूर रहने वाले होते हैं उनके लिये सामान्य जल में भी थोड़ा गङ्गाजल मिलाकर पूजा करने का नियम है।
शास्त्रों में संभवतः एक विशेष बात लिखी हुई नहीं मिलती कि भगवान शिव का चरण गङ्गाजल से नहीं धोना चाहिये और जिस कलश पर भगवान शिव या शिवलिङ्ग स्थापित करना हो उसमें भी गङ्गाजल नहीं भरना चाहिये, लेकिन कुछ विद्वानों द्वारा इस प्रकार का निषेध भी बताया जाता है। ये तार्किक या भावनात्मक तथ्य मात्र ही प्रतीत होते हैं, क्योंकि इस प्रकार के प्रामाणिक वचन अभी तक देखे नहीं गये हैं।
बेलपत्र
बेलपत्र भी भगवान शिव को अतिप्रिय है। जहां बिल्ववृक्ष न मिले या जब वृक्षों में बेलपत्र का अभाव हो उस समय बेलपत्र का चूर्ण भी अर्पित किया जा सकता है। एक अन्य विशेष बात यह भी है कि बेलपत्र भगवान शिव को या शिवलिङ्ग पर चढ़ाना तो चाहिये लेकिन आसन में बेलपत्र नहीं देना चाहिये।
प्रायः पूजन में बिल्वपत्र की विशेषता के कारण आसन हेतु भी बिल्वपत्र का प्रयोग कर लिया जाता है। किन्तु जिस प्रकार भगवान विष्णु (शालिग्राम) के ऊपर तुलसी चढ़ाया जाता है आसन में अर्थात नीचे नहीं दिया जाता उसी प्रकार शिवपूजन में आसन हेतु पुष्पाक्षत आदि का ही प्रयोग किया जाना चाहिये बेलपत्र का नहीं।
- जब शिवालय में पूजा करनी हो तो कलश स्थापन की आवश्यकता नहीं होती इसलिये कलश स्थापन सामग्री में संकलित नहीं किया गया है।
- यदि घर में पूजा करनी हो तो कलश स्थापन सामग्री की भी आवश्यकता होगी।
- यदि स्वयं पूजा करनी हो तो जिस प्रकार की पूजा विधि ज्ञात हो उतने ही पूजा सामग्री लेना उचित होगा।
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।
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