क्या आप ये प्रातः स्मरण मंत्र जानते हैं ? प्रातः वंदना करने की पूरी विधि

प्रातः स्मरण मंत्र - प्रातः वंदना

जगने के बाद सर्वप्रथम अपना स्वर जांचें । जो स्वास चल रही हो (जिस नासिका छिद्र से) उस हाथ से सिर, मुख आदि का स्पर्श करे करावलोकन करे ।

करावलोकन

दोनों हाथों को इस प्रकार मिलाये कि करतल दिखे । दोनों हाथों को देखते हुये करदर्शन मंत्र पढे ।

प्रातः स्मरण का पहला श्लोक, करदर्शन मंत्र :- ॐ कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम् ॥

प्रातः स्मरण मंत्र - प्रातः वंदना

पृथ्वी से क्षमा प्रार्थना

ॐ समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डिते । विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्त्र मे ॥ – पृथ्वी से चरण स्पर्श के लिये क्षमायाचना करे फिर पृथ्वी पर पैर रखे । जो स्वर चल रहा हो वही पैर पहले रखे । तत्पश्चात् ३ बार गण्डूष (कुल्ला) करे । आंख-मुंह साफ कर ले।

गण्डूष (कुल्ला) का नियम

  • पूर्वाभिमुख होकर बांयी ओर करे ।
  • मुंह तर्जनी आदि उंगली से न पोंछें, अंगुष्ठमूल से पोंछे ।
  • गण्डूष करते समय उस जल को कदापि न पिये ।
प्रातः स्मरण
प्रातः स्मरण

(बांयी और कुल्ला करने का प्रमाण अगले भाग में दिया गया है।)

प्रातः स्मरण मंत्र – प्रातः वंदना

प्रातः स्मरामि भवभीतिमहार्तिशान्त्यै नारायणं गरुडवाहनमब्जनाभम् ।
ग्राहाभिभूतवरवारणमुक्तिहेतुं चक्रायुधं तरुणवारिजपत्रनेत्रम् ॥
प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं सिंदूरपूर्णपरिशोभितगण्डयुग्मम् ।
उद्दण्डविघ्न परिखण्डन चण्ड दण्डमाखण्डलादि सुरनायकवृन्दवन्द्यम् ॥

प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि ।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम् ॥
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् ।
खट्टाङ्ग शूल वरदाभय हस्तमीशं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥

प्रातः स्मरामि शरदिन्दुकरोज्ज्वलाभाम् सद्रत्नवन्मकरकुण्डल हारशोभाम् ।
दिव्यायुधार्जितसुनील सहस्रहस्ताम् रक्तोत्पलाभचरणां भवतीं परेशाम् ॥
त्रैलोक्य चैतन्य मयादिदेव ! श्रीनाथ ! विष्णो ! भवदाज्ञयैव ।
प्रातः समुत्त्थाय तव प्रियार्थं संसारयात्रामनुवर्तयिष्ये ॥

जानामि धर्मं न च मे प्रवृत्तिर्जानाम्यधर्मं न च मे निवृत्तिः ।
त्वया हृषीकेश ! हृदि स्थितेन यथा नियुक्तोऽस्मि तथा करोमि ॥
सुप्तः प्रबोधितो विष्णो हृषीकेशेन यत्त्वया । यद्यत्कारयसे कर्म तत्करोमि तवाज्ञया ॥
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया । चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
वैन्यं पृथुं हैहयमर्जुनञ्च शाकुन्तलेयं भरतं नलञ्च ।
रामञ्च यो वै स्मरति प्रभाते तस्यार्थलाभो विजयश्च हस्ते ॥

शंकरं शंकराचार्य केशवं बादरायणम् ।
सूत्रभाष्यकृतौ वन्दे भगवन्तौ पुनः पुनः॥
मातृपितृसहस्राणि पुत्रदारशतानि च ।
संसारेष्वनुभूतानि यानि यास्यन्ति चापरे ॥
हर्षस्थानसहस्राणि भयस्थानशतानि च ।
दिवसे दिवसे मूढमाविशन्ति न पण्डितम् ॥
ऊर्ध्वबाहुर्विरौम्येष न च कश्चिच्छृणोति मे ।
धर्मादर्थश्च कामश्च स किमर्थं न सेव्यते ॥

प्रातः स्मरण मंत्र
प्रातः स्मरण मंत्र

न जातु कामान्न भयान्न लोभाद्धर्मं त्यजेज्जीवितस्यापि हेतोः ।
धर्मो नित्यः सुखदुःखे त्वनित्ये जीवो नित्यो हेतुरस्य त्वनित्यः ॥
इमां भारतसावित्रीं प्रातरुत्थाय यः पठेत् ।
स भारतफलं प्राप्य परं ब्रह्माधिगच्छति ॥
कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहुसहस्रवान् ।
योऽस्य संकीर्तयेन्नाम कल्य उत्थाय मानवः ॥
न तस्य वित्तनाशः स्यान्नष्टञ्च लभते पुनः ॥

प्रातः स्मरण मंत्रादि पाठ के उपरांत शारीरिक शुद्धि अर्थात शुचिता का क्रम आता है। शारीरिक शुद्धि अर्थात शुचिता संबंधी आलेख आगे दिया गया है आगे पढ़ें …..

अगले पृष्ठ पर जायें – शुचिता

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F&Q :

प्रश्न : ब्रह्ममुहूर्त का सही समय क्या है?
उत्तर : स्थूलमान से ब्रह्ममुहूर्त सूर्योदय के 3 घंटे पहले प्रारम्भ होता है और सूर्योदय के 36 मिनट पहले समाप्त होता है।

प्रश्न : ब्रह्ममुहूर्त में उठने के बाद क्या करें?
उत्तर : सर्वप्रथम करावलोकन करें, फिर पृथ्वी से क्षमायाचना करके धरती पर स्वर वाला पैर पहले रखें, कुल्ला आदि करके मङ्गलश्लोकों का पाठ करें। फिर शौच-स्नानादि करके संध्या, तर्पण, पञ्चदेवता एवं विष्णु पूजन करें।

प्रश्न : क्या ब्रह्म मुहूर्त रोज बदलता है?
उत्तर : हाँ, ब्रह्ममुहूर्त वास्तव में ६ घटी या ३ मुहूर्त का होता है जो रात के घटने-बढ़ने से घटता-बढ़ता है।

प्रश्न : ब्रह्म मुहूर्त कब से प्रारंभ होता है?
उत्तर : ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से लगभग ३ घंटे पहले प्रारंभ होता है।

प्रश्न : ब्रह्म मुहूर्त में क्या नहीं करना चाहिए?
उत्तर : ब्रह्म मुहूर्त में सोना नहीं चाहिए।

नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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