पवित्रीकरण अर्थात शुद्धिकरण की संपूर्ण विधि

पवित्रीकरण-विधि

सामान्य पवित्रीकरण में पवित्रीकरण मंत्र से जल छिड़ककर, आसन शुद्धि, आचमन कर लिया जाता है। किन्तु जब विशेष पूजा-अनुष्ठान हो तो पञ्चगव्य का भी प्रयोग किया जाता है। सर्वप्रथम पंचगव्य निर्माण किया जाता है तत्पश्चात प्राशन, प्रोक्षण।

  • गोमूत्र – कांस्य या ताम्रपात्रे में गायत्री मंत्र से गोमूत्रम् दे ।
  • दुग्ध – ॐ आप्यायस्व समेतु ते विश्वतः सोमवृष्यं भवा व्वाजस्य सङ्गथे ।। इस मंत्र से दुग्ध ॥
  • दधि – ॐ दधिक्राव्णो अकारिषं जिष्णोरश्वस्य वाजिनः । सुरभिनो मुखाकरत्प्रण आयू षि तारिषत् ॥  इस मंत्र से दधि।
  • घृत – ॐ तेजोसि शुक्रमस्यऽमृतमसि धामनामासि प्रियं देवानामनाधृष्टं देवयजनमसि ॥ इस मंत्र से घृत॥
  • कुशोदक – ॐ देवस्य त्वा सवितुः प्रसवेश्विनौ बाहुभ्यां पूष्णोर्हस्ताभ्याम् ॥ इस मंत्र से कुशोदक ।

ॐ आलोडयामि, प्रणव से यज्ञीयकाष्ठ के द्वारा प्रदक्षिणक्रम से मिलाये।  

यदि आप विधि-विधान से पञ्चगव्य निर्माण करना चाहते हैं तो यह वीडियो आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी। इस वीडियो में पञ्चगव्य निर्माण की शास्त्रीय विधि बताई गई है।

पंचगव्य प्राशन

आचमन : दो बार आचमन करे और मुख, हाथ का मार्जन करे।

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