पवमान सूक्त – यजुर्वेदोक्त, विभिन्न यज्ञ, पूजा, पाठ आदि कर्मकांड के लिये विशेष महत्वपूर्ण सूक्त

पवमान सूक्त – यजुर्वेदोक्त, विभिन्न यज्ञ, पूजा, पाठ आदि कर्मकांड के लिये विशेष महत्वपूर्ण सूक्त

इस आलेख में यजुर्वेदोक्त पवमान सूक्त दिया गया है। कर्मकाण्ड में पवित्री अर्थात शुद्धिकरण हेतु पवमान सूक्त का विशेष प्रयोग किया जाता है।

यज्ञ-अनुष्ठानों में पवमान सूक्त का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। यजुर्वेद में १९ वें अध्याय की ऋचा संख्या ३७ से ४४ तक की ८ ऋचाओं का समूह पवमान सूक्त नाम से जाना जाता है।

  • पवमानसूक्त का प्रयोग मुख्य रूप से यज्ञ सामग्रियों को पवित्र करने के लिये होता है।
  • पवमान सूक्त का पाठ करते हुये यज्ञ सामग्रियों पर जल प्रोक्षण किया जाता है।
  • पवमान का अर्थ : पवमान के कई अर्थ होते हैं जिसमें से मुख्य अर्थ पवित्र करने वाला होता है।
  • ऋग्वेद के ९वें मंडल में भी एक अन्य पवमान सूक्त नाम से कुछ ऋचायें मिलती है।
यद्यपि शुद्धं लोक विरुद्धम्। सही-सही कैसे समझें ?
यद्यपि शुद्धं लोक विरुद्धम्। सही-सही कैसे समझें ?

पवमान सूक्त

॥ शुक्ल यजुर्वेद ॥ अध्याय ॥ १९ ऋचा ३७ – ४४ ॥

पवमान सूक्त यज्ञ में महत्वपूर्ण है। यह सामग्री को पवित्र करता है और जल प्रोक्षण में उपयोग होता है। ऋग्वेद में एक अन्य पवमान सूक्त है। इसमें देवों की पूजा और अनुष्ठान का विवरण है।

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