रामनवमी कब है 2025 में – Ram navami

रामनवमी कब है 2025 में - Ram navami

चैत्र शुक्ल नवमी को भगवान विष्णु ने रामावतार ग्रहण किया था और तबसे चैत्र शुक्ल नवमी को राम नवमी मनाई जाती है। इस आलेख में हम जानेंगे की 2025 में रामनवमी कब है साथ ही साथ आगामी वर्षों 2025, 2026, 2027, 2028, 2029 और 2030 में राम नवमी कब होगा ? साथ ही साथ हम यह भी जानेंगे कि रामनवमी क्या है, रामनवमी कब मनाई जाती है, रामनवमी क्यों मनाई जाती है, रामनवमी और महानवमी में क्या अंतर है इत्यादि।

रामनवमी कब है 2025 में – Ram navami

रामनवमी सनातन का एक विशिष्ट उत्सव है। जब मनुष्य और देवता सभी रावण से प्रताड़ित थे तो महाराज दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र रूप में भगवान विष्णु ने राम रूप में अवतार लिया था। उस दिन चैत्र शुक्ल नवमी तिथि थी और भगवान राम के अवतरण को प्रतिवर्ष मनाया जाता है जिसे रामनवमी कहते हैं।

2025 में रामनवमी 6 अप्रैल रविवार को है। इस दिन सूर्योदय काल से औदयिक नवमी दोपहर बाद 7:22 pm तक है। रामनवमी के लिये औदयिक नवमी जो मध्याह्न व्यापिनी हो उसको महत्वपूर्ण माना जाता है।

रामनवमी क्या है

  • रामनवमी भगवान श्रीराम का अवतरण तिथि है।
  • रामनवमी भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव है।
  • चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी कहा जाता है।
  • रामनवमी भगवान सनातन का एक महत्वपूर्ण व्रत है।
  • रामनवमी नित्यव्रत है अर्थात सबके लिये अनिवार्य है।

रामनवमी कब मनाई जाती है

रामनवमी कब मनाई जाती है इस विषय को समझने के लिये शास्त्रों के प्रमाण आवश्यक हैं। किसी भी व्रत का निर्णय शास्त्रों के प्रमाण से ही होता है। रामनवमी निर्णय के सम्बन्ध में शास्त्रों के प्रमाण इस प्रकार हैं :

रामनवमी क्या है
रामनवमी क्या है

चैत्रमासे सिते पक्षे या तिथिर्नवमी भवेत् । सा रामनवमी प्रोक्ता पुण्योपचयकारिणी ॥
नारी वा पुरुषो वापि तत्रैवं भक्तियोगतः । पूजां कुर्याद्विधानेन जागराचाप्युपोषणम् ॥
कृत्वैव ब्रह्महत्यादिपापेभ्यो मुच्यते ध्रुवम् । बहुना किमिहोक्तेन मुक्तिस्तस्य करे स्थिता ॥
– ब्रह्मपुराण

ब्रह्मपुराण के इस वचन में यह बताया गया है कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि रामनवमी कहलाती है जो बहुत ही पुण्यदायक है। नर-नारी सभी के लिये रामनवमी व्रत, भगवान राम की पूजा आदि का महत्व बताते हुये यह कहा गया कि रामनवमी के प्रभाव से व्रती ब्रह्महत्यादि जैसे महापातकों से भी मुक्त हो जाता है, मुक्ति उसके हाथ में होती है अर्थात सहज-सुलभ हो जाता है।

स्मृति से – यस्तु रामनवम्यां वै मोहाद् भुङ्क्ते नराधमः । कुम्भीपाकेषु घोरेषु पच्यते नात्र संशयः ॥ इस स्मृति वचन से रामनवमी की नित्यता सिद्ध होती है अर्थात सबके लिये अनिवार्य है। इसमें यह कहा गया है कि रामनवमी के दिन जो अधम मनुष्य मोह के कारण भोजन करते हैं अर्थात व्रत नहीं करते वह कुम्भीपाक आदि भयंकर नरकों में पीड़ा पाते हैं।

पुनः रामनवमी की अनिवार्यता सिद्ध करने का प्रमाण वचन है – अकृत्वारामनवमी व्रतं सर्वव्रतोत्तमम् । व्रतान्यन्यानि कुरुते न तेषां फलभाग्भवेत् ॥ अर्थात जो व्रतों में उत्तम रामनवमी व्रत नहीं करते वो अन्य किसी भी व्रत के फल का भागी नहीं होते अर्थात उनको अन्य व्रतों का फल भी प्राप्त नहीं होता।

रामनवमी कब मनाई जाती है
रामनवमी कब मनाई जाती है

अगस्त्य संहिता में कहा गया है कि चैत्र शुक्ल नवमी यदि पुनर्वसु नक्षत्रयुक्त हो और यदि यह योग मध्याह्न में प्राप्त हो तो अत्यधिक पुण्यकर होता है – चैत्रशुक्ला तु नवमी पुनर्वसुयुता यदि । सैव मध्याह्नयोगेन महापुण्यतमा भवेत् ॥

यदि दो दिन मध्याह्नव्यापिनी नवमी हो तो कैसे निर्णय होगा ?

लेकिन यदि दो दिन मध्याह्न व्यापिनी नवमी हो तो पर दिन अर्थात अगले दिन व्रत का निर्णय बताया गया है। अष्टमीविद्धा नवमी को वैष्णवों के लिये त्याज्य कहा गया है और यह भी बताया गया है कि नवमी का उपवास करके दशमी में पारण करे – नवमी चाष्टमीविद्धा त्याज्या विष्णुपरायणैः । उपोषणं नवम्यां च दशम्यां चैव पारणम् ॥ अष्टमी विद्धा का त्याज्य होना और दशमी में पारण का निर्देश दोनों ही नियम से यदि दो दिन मध्याह्नव्यापिनी नवमी हो तो पर दिन को ग्राह्य होना सिद्ध होता है।

  • यदि दो दिन मध्याह्नव्यापिनी नवमी हो तो पहले दिन अष्टमीविद्धा होने से त्याज्य कहा गया है।
  • जो लोग पुनर्वसु नक्षत्र को विशेष महत्वपूर्ण मानते हैं उनके लिए पहले दिन पुनर्वसु नक्षत्र होने पर भी अष्टमीविद्धा होने से त्याज्य कहा गया है, कारण कि व्रत का आधार पुनर्वसु नक्षत्र नहीं नवमी तिथि है। पुनर्वसु युक्त होने पर अधिक पुण्य होता है।
  • पूर्व दिन त्याज्य होने का तात्पर्य है कि अगले दिन व्रत करे।
  • यदि दोनों दिन में किसी भी दिन मध्याह्न व्यापिनी नवमी उपलब्ध न हो तो भी अगले दिन ही व्रत करे।

रामनवमी क्यों मनाई जाती है

जब कभी भी धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि हो जाती है तो भगवान स्वयं अवतार लेकर पुनः दुष्टों का संहार करते हुये साधु जनों का संरक्षण और धर्म की स्थापना करते हैं।

अगस्त्यसंहिता में भगवान राम के अवतरण काल का वर्णन इस प्रकार किया गया है –
चैत्रनवम्यांप्राक्पक्षे दिवा पुण्येपुनर्वसौ । उदयेगुरुगौराश्वोः स्वोच्चस्थेग्रहपंचके ॥
मेषेपृषणि संप्राप्तेलग्नेकर्कटकाह्वये । आविरासीत्सकलयाकौशल्यायांपरःपुमान् ॥

चैत्र शुक्ल नवमी, पुण्य पुनर्वसु नक्षत्र, गुरु-शुक्रादि के उदित समय में जब पांच ग्रह उच्च थे, मेष का सूर्य था, कर्क लग्न था उस शुभ काल में कौशल्या के समक्ष अपनी कलाओं के साथ भगवान श्रीराम अवतरित हुये थे।

गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस में इस प्रकार वर्णन किया है –
नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥
मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा॥

जब पृथ्वी पर रावण का आतंक छाया हुआ था, पृथ्वी-साधु-देवता-धर्म की हानि हो रही थी तो भगवान विष्णु अयोध्या पुरी के महाराज दशरथ के घर में राम बनकर अवतरित हुये थे। भगवान श्रीराम ने बहुत सारे दुष्ट राक्षसों का वध किया था जिन्होंने पृथ्वी पर आतंक मचा रखा था।

  • रामनवमी मनाकर सनातनी अपना विश्वास प्रकट करते हैं कि जब धर्म की हानि होगी तो भगवान फिर अवतार लेंगे।
  • भगवान श्रीराम की की कृपा पाने के लिये हम रामनवमी मनाते हैं।
  • भगवान श्रीराम का जन्मोत्वस मनाने के लिये हम रामनवमी मनाते हैं।
  • मानवता की विजय और आतंक के पराजय के रूप में हम रामनवमी मनाते हैं।

रामनवमी का महत्व

रामनवमी के महत्व को हम इस प्रकार समझ सकते हैं :

  • रामनवमी व्रत को सभी व्रतों में उत्तम कहा गया है।
  • रामनवमी व्रत नहीं करने वाले को नरक का भागी बनना पड़ता है।
  • रामनवमी व्रत नहीं करने वालों को अन्य किसी भी व्रत का फल भी प्राप्त नहीं होता है।
  • रामनवमी व्रत करने से भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है।
  • रामनवमी व्रत करने वालों के लिये मोक्ष भी सुलभ होता है।
  • रामनवमी सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला व्रत है।
रामनवमी का महत्व
रामनवमी का महत्व

रामनवमी व्रत के और भी विशेष महत्व बताये गये हैं। राम नवमी व्रत का महत्व विस्तार से जानने के लिये इस आलेख को पढ़ सकते हैं : रामनवमी व्रत माहत्म्य

रामनवमी और महानवमी में क्या अंतर है

रामनवमी भगवान श्रीराम का व्रत है जो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को होता है। महानवमी माता दुर्गा का व्रत है जो आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को होता है।

अगले वर्षों में रामनवमी कब है :

रामनवमी 2025 : वर्ष 2025 में रविवार 6 अप्रैल को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की औदयिक नवमी है जो 7:22 pm तक है अर्थात मध्याह्न व्यापिनी है अतः वर्ष 2025 में रामनवमी 6 अप्रैल रविवार को रामनवमी है। इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र उपलब्ध नहीं है।

राम नवमी पूजा विधि और राम नवमी व्रत कथा के लिये नीचे दिये गये बटन पर क्लिक करें :

रामनवमी 2026 : वर्ष 2026 में शुक्रवार 27 मार्च को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की औदयिक नवमी है जो 10:06 am तक है अर्थात मध्याह्न व्यापिनी नहीं है। 26 मार्च गुरुवार को 11:48 am से नवमी तिथि का आरम्भ होता है। 27 मार्च शुक्रवार को पुनर्वसु युक्त नवमी मिलता है और अष्टमी विद्धा नवमी का व्रत में निषेध है अतः वर्ष 2026 में रामनवमी 27 मार्च शुक्रवार को रामनवमी है।

रामनवमी 2027 : वर्ष 2027 में गुरुवार 15 अप्रैल को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की औदयिक नवमी है जो 1:20 pm तक है अर्थात मध्याह्न व्यापिनी है अतः वर्ष 2027 में रामनवमी 15 अप्रैल गुरुवार को रामनवमी है। इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र उपलब्ध नहीं है।

रामनवमी कब है
रामनवमी कब है

रामनवमी 2028 : वर्ष 2028 में मंगलवार 4 अप्रैल को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की औदयिक नवमी है जो 10:07 am तक है अर्थात मध्याह्न व्यापिनी नहीं है। 3 अप्रैल सोमवार को 11:59 am से नवमी तिथि का आरम्भ होता है। 3 अप्रैल सोमवार को पुनर्वसु युक्त नवमी मिलता है और अष्टमी विद्धा नवमी का व्रत में निषेध है अतः वर्ष 2028 में रामनवमी 4 अप्रैल मंगलवार को रामनवमी है।

रामनवमी 2029 : वर्ष 2029 में सोमवार 23 अप्रैल को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की औदयिक नवमी है जो 11:29 am तक है अर्थात मध्याह्न व्यापिनी है अतः वर्ष 2029 में रामनवमी 23 अप्रैल सोमवार को रामनवमी है। इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र उपलब्ध नहीं है।

रामनवमी 2030 : वर्ष 2030 में शुक्रवार 12 अप्रैल को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की औदयिक नवमी है जो 9:33 pm तक है अर्थात मध्याह्न व्यापिनी है अतः वर्ष 2030 में रामनवमी 12 अप्रैल शुक्रवार को रामनवमी है। इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र उपलब्ध नहीं है।

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F & Q :

प्रश्न : रामनवमी का रहस्य क्या है?
उत्तर : रामनवमी का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि धर्म की रक्षा का भार स्वयं भगवान ने ही ले रखा है। धरती पर बार-बार आसुरी तत्व बढ़ते हैं और धर्म की हानि करते हैं किन्तु जब धर्म की अधिक हानि होने लगती है तो भगवान स्वयं अवतार लेकर पुनः धर्म की स्थापना करते हैं। जिसे श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने इस प्रकार व्यक्त किया है –

जब जब होई धरम की हानि। बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी ॥
तब-तब प्रभु धरि विविध सरीरा। हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा ॥

प्रश्न : रामनवमी में किसकी पूजा की जाती है?
उत्तर : रामनवमी में भगवान राम के अवतरित होने की तिथि है और भगवान राम का व्रत है। इस दिन भगवान राम की पूजा की जाती है?

प्रश्न : राम का जन्म कब हुआ था?
उत्तर : अगस्त्यसंहिता में भगवान राम के अवतरण काल का वर्णन इस प्रकार किया गया है –
चैत्रनवम्यांप्राक्पक्षे दिवा पुण्येपुनर्वसौ । उदयेगुरुगौराश्वोः स्वोच्चस्थेग्रहपंचके ॥
मेषेपृषणि संप्राप्तेलग्नेकर्कटकाह्वये । आविरासीत्सकलयाकौशल्यायांपरःपुमान् ॥

चैत्र शुक्ल नवमी, पुण्य पुनर्वसु नक्षत्र, गुरु-शुक्रादि के उदित समय में जब पांच ग्रह उच्च थे, मेष का सूर्य था, कर्क लग्न था उस शुभ काल में कौशल्या के समक्ष अपनी कलाओं के साथ भगवान श्रीराम अवतरित हुये थे।

प्रश्न : रामनवमी के दिन क्या खाना चाहिए?
उत्तर : रामनवमी के दिन भोजन का निषेध है इसलिये कुछ भी नहीं खाना चाहिये। अशक्तों अर्थात बच्चे, बूढ़ों, रोगियों के ऊपर यह नियम प्रभावी नहीं होता है।

प्रश्न : राम नवमी का व्रत कब तोड़ना चाहिए?
उत्तर : राम नवमी का व्रत दशमी में तोड़ना चाहिये – “दशम्यां चैव पारणम्”

प्रश्न : राम नवमी पर हनुमान की पूजा क्यों की जाती है?
उत्तर : हनुमान जी भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हैं इसलिये राम नवमी के दिन हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। जब भी भगवान राम की पूजा हो तो हनुमान की पूजा करके उन्हें भगवान राम का प्रसाद प्रदान करना आवश्यक होता है।

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