प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि

प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि

प्रासाद के ईशानकोण अथवा नैर्ऋत्य कोण में सपत्नीक यजमान सुंदर आसन पर पवित्रीकरणादि करके त्रिकुशा, तिल, जलादि संकल्प द्रव्य लेकर संकल्प करे : ॐ अद्य …….. अस्य वास्तोः शुभता सिद्ध्यर्थं ………. देवता प्रतिष्ठाङ्गभूतं वास्तुदेवतास्थापनं पूजनं च करिष्ये ॥

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प्रासाद स्नपन विधि

प्रासाद स्नपन विधि

पवित्रीकरणादि करके त्रिकुशा, तिलजलादि संकल्प द्रव्य लेकर संकल्प करे : ॐ अद्य …………. अस्मिन्नूतनप्रासादे सकलदोषनिवृत्ति पूर्वकं प्रासादशुद्धयर्थं आचन्द्रतारकं प्रासादपुरुष सान्निध्यहेतवे सप्रासादप्रतिष्ठाङ्गभूतं स्नपनपूर्वकं प्रासादाधिवासनं करिष्ये॥

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रथयात्रा – प्राण प्रतिष्ठा विधि

रथयात्रा विधि – प्राण प्रतिष्ठा

अब हम रथयात्रा करने की विधि को समझेंगे। विभिन्न प्रतिष्ठा पद्धतियों में रथयात्रा विधि के सम्बन्ध में मौन भाव का आभासित होता है। तथापि कर्मकाण्ड विधि के द्वारा इस विषय में शास्त्र सम्मत विधियों के आलोक में मौन को भंग करने का प्रयास किया जा रहा है। इस विषय में आप अपना विचार मार्गदर्शन हमें प्रदान कर सकते हैं।

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अयोध्या राम मंदिर निर्माण और राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से क्या सीख मिली

अयोध्या राम मंदिर निर्माण और राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से क्या सीख मिली ?

बुद्धिमान वो होता है जो गलतियों से सीख ले, विद्वान वो होता है जो आत्म कल्याण करते हुए औरों का कल्याण करने में सक्षम हो। मंदिर, मूर्ति, प्राण-प्रतिष्ठा, महोत्सव आदि सभी विषयों पर कुछ विवाद भी उत्पन्न हुए, जिससे आगे काशी, मथुरा आदि के संबंध में कुछ सीख प्राप्त हुई ।

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रथयात्रा – प्राण प्रतिष्ठा विधि

रथयात्रा – प्राण प्रतिष्ठा विधि

प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व एक विशेष महत्वपूर्ण विधि रथयात्रा है। जब किसी मंदिर में नई प्रतिमा स्थापित करनी होती है तो उस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करने से पूर्व सम्बंधित गांव/नगर में भ्रमण कराया जाता है जिसे रथयात्रा कहते हैं। इस आलेख में हम रथयात्रा विधि को समझने से पहले रथयात्रा के उचित समय को समझेंगे।

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देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

प्राणप्रतिष्ठा में देवस्नपन के लिये स्नपन मंडप और वेदी की तैयारी, कलश स्थापन संबंधी जानकारी पूर्व आलेखों में दी जा चुकी है। इसके साथ ही दक्षिण वेदी स्नपन और मध्य वेदी स्नपन (नेत्रोन्मीलन सहित) विधि की जानकारी भी पूर्व आलेख में दी जा चुकी है

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देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

कुशादि से आच्छादित दक्षिणवेदी पर प्रतिमा को पूर्वाभिमुख स्थापित करे : ॐ स्तीर्णं बर्हि: सुष्टरीमा जुषाणोरुपृथु प्रथमानं पृथिव्याम्‌ । दवेर्भिर्युक्तमदिति: सजोषा:स्योनं कृण्वाना सुविते दधातु ॥ ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः । स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवा ᳪ सस्तनूभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायुः ॥

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देव स्नपन – प्राण प्रतिष्ठा विधि

देव स्नपन – प्राण प्रतिष्ठा विधि

प्रतिमा निर्माण, प्रतिमा निर्माण में मुहूर्त दोष, प्रतिमा निर्माण में हुई जीवहत्या, अनुक्तमंत्र प्रयोग, स्पृष्य दोष, स्थान दोष आदि अनेक दोषों के निवारण हेतु स्नपन अनिवार्य होता है।

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शंकराचार्य पद का महत्व – ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य का योगदान; शिखर संबंधी नया विषय प्रकट हुआ

शंकराचार्य पद का महत्व – ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य का योगदान; शिखर संबंधी नया विषय प्रकट हुआ

इस आलेख में मंदिरों में शिखर की अनिवार्यता से सम्बंधित एक नये विषय के प्रकट होने की चर्चा कि गयी है, जो देश के लाखों राम और कृष्ण मंदिरों (ठाकुरवारियों) के सन्दर्भ में विचारणीय है।

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शय्याधिवास – प्राण प्रतिष्ठा विधि

शय्याधिवास – प्राण प्रतिष्ठा विधि

धान्याधिवास के उपरांत क्रमशः जो भी अन्य अधिवास करना हो करके स्नपन करे।
स्नपन के बाद पुरुष सुक्तादि से स्तुति करे।
सजाया हुआ रथ तैयार करे इन मंत्रों से प्रतिमाओं को उठाये :

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