पार्वण श्राद्ध विधि – छन्दोगी
विश्वेदेव आसन : सव्य-पूर्वाभिमुख-त्रिकुशा-जौ-जल – पूर्वदिशा में उत्तरभाग में पित्रादि सम्बन्धी विश्वेदेवा का आसन दे और उनसे दक्षिण भाग में मातामहादि सम्बन्धी विश्वेदेवा का आसन दे –
विश्वेदेव आसन : सव्य-पूर्वाभिमुख-त्रिकुशा-जौ-जल – पूर्वदिशा में उत्तरभाग में पित्रादि सम्बन्धी विश्वेदेवा का आसन दे और उनसे दक्षिण भाग में मातामहादि सम्बन्धी विश्वेदेवा का आसन दे –
पार्वण श्राद्ध संकल्प : सव्य-पूर्वाभिमुख त्रिकुशा धारण कर तिल-जलादि संकल्प द्रव्य लेकर इस प्रकार संकल्प करे – ॐ अद्य ………. मासे ……….. पक्षे ……….. तिथौ ……..… गोत्रस्य ……….. शर्मणः पार्वण श्राद्धमहं करिष्ये ॥ स.पू.त्रि.
मासिक श्राद्ध और सपिण्डीकरण श्राद्ध द्वादशाह के दिन किया जाता है जो यहां दिया गया है। श्राद्ध करने की विधि और श्राद्ध के मंत्रों को विशेष शुद्ध रखने का प्रयास किया गया है
श्राद्ध कर्म विधि मंत्र : पिता, पितामह और प्रपितामह पिण्डभाज अर्थात पिण्ड के अधिकारी पुरुष होते हैं, उनसे ऊपर के वृद्धप्रपितामह, अतिवृद्धप्रपितामह और परमातिवृद्धप्रपितामह ये तीनों लेपभाजी पितर होते हैं।
आजकल कई ब्राह्मण श्राद्ध कर्म सीखना चाहते हैं, परन्तु कई बाधाएँ इसमें आती हैं। हमारी पुस्तक ‘सुगम श्राद्ध विधि’ इसमें मदद करती है, जिसका PDF डाउनलोड करने का विकल्प भी है। पुस्तक में विभिन्न श्राद्ध विधियों का वर्णन है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न विषयों पर श्राद्ध सम्बंधी वीडियो भी उपलब्ध हैं।