यहां पढ़ें कात्यायनी स्तोत्र संस्कृत में – katyayani stotra

यहां पढ़ें कात्यायनी स्तोत्र संस्कृत में - katyayani stotra

माता कात्यायनी को ही दशभुजा देवी महिषासुर मर्दिनी कहा गया है । कात्यायनी मुनि के द्वारा स्तुति करने पर बिल्व वृक्ष के पास आश्विन कृष्णा १४ को कात्यायनी देवी प्रकट हुई थी । शुक्ला सप्तमी को देवी की तेजोमयी मूर्ति ने शोभनरूप धारण किया । अष्टमी को समलङ्कृत की गई तथा नवमी को उपहारों से पूजित हुई एवं उसने महिषासुर का वध किया तथा दशमी को देवी विदा हुई जो नवरात्रि पूजा में विशेष रूप से देखने को मिलता है। यहां पांडवकृत और श्रीरामकृत दो कात्यायनी स्तोत्र (katyayani stotra) दिये गये हैं जो माता कात्यायनी की उपासना में विशेष लाभकारी हैं।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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