दीपावली 2023

दीपावली 2023 को लेकर आपके मन में कई प्रश्न आ सकते हैं; :- 2023 में दिवाली पूजा का समय क्या है? दीपावली का शुभ मुहूर्त कितने बजे है? दीपावली का शुभ मुहूर्त कब का है? दिवाली पूजा मुहूर्त कब तक है? दीपावली की रात को क्या करना चाहिए? घर में दीपावली की पूजा कैसे करें? दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा कैसे करें? इत्यादि। यहां हम आपके इन सभी प्रश्नों पर चर्चा करेंगे और दीपावली पर की जाने वाली पूजा विधि को भी समझेंगे।

वर्ष 2023 में दीपावली 12 नवम्बर रविवार को है। यद्यपि कैलेंडरों में आपको 13 नवम्बर को भी देखने को मिल सकता है लेकिन 12 नवम्बर रविवार को ही प्रदोष कालीन अमावस्या व्याप्त है 13 नवम्बर को नहीं है इस कारण शास्त्रीय प्रमाण से इस वर्ष दीपावली 12 नवम्बर रविवार को ही है। चतुर्दशी 2:44 PM तक है तत्पश्चात अमावस्या है और प्रदोष कालीन अमावस्या दीपावली के लिये शास्त्रों में ग्राह्य कहा गया है। अगले दिन 13 नवम्बर को 2:56 PM को अमावस्या समाप्त हो जाती है और प्रदोषकाल में नहीं मिलती; इस कारण से 13 नवम्बर को दीपावली नहीं हो सकती।

दीपावली

हर जगह दीपावली से अधिक दिवाली ही अधिक कहते सुनते पाए जाते हैं; लेकिन ये उचित नहीं है। दिवाली का संबंध दिवालिया शब्द से है न कि दीपावली से। दीपावली में माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने हेतु शुभ मुहूर्त में पूजन-अर्चन किया जाता है। सुख-सम्पत्ति-समृद्धि-विकास आदि की कामना की जाती है फिर दिवाली शब्द का प्रयोग कैसे उचित हो सकता है?

हां एक तर्क अवश्य दिया जा सकता है कि इस दिन रात नहीं होती या रात को भी जगमग करते हुए दिवा (दिन) के समान बनाया जाता है इस लिए दिवाली का एक अर्थ दिवा के समान होना चाहिए। परन्तु हमें यह भी स्मरण रखना चाहिए कि शुद्ध नाम दीपावली ही है न कि दिवाली। अतः हम प्रयास करेंगे कि दिवाली शब्द न बोलकर दीपावली बोलें ।

दीपावली से कुछ दिन पूर्व ही घर-गली-मुहल्लों की सफाई की जाती है। घरों को रंगा भी जाता है। दीपावली से पहले धनतेरस और यम चतुर्दशी भी होती है। धनतेरस धन्वंतरि जयंती होती है। इस दिन कोई आभूषण, धातु पात्र आदि खरीदा भी जाता है। यम चतुर्दशी को यम के निमित्त घर से बाहर दक्षिणाभिमुखी दीप दान भी किया जाता है।

दीपावली के अवसर पर यमराज के संदर्भ में हम बाद में चर्चा कर लेंगे। दीपावली को लक्ष्मीपूजा की विशेष विधि है। वास्तव में वित्तीय वर्ष की समाप्ति दीपावली को होती है एवं व्यापारी-दुकानदार सभी नये बही-खाते के साथ नये वित्तीय वर्ष आरम्भ रूप में दीपावली को लक्ष्मीपूजा करते हैं। जो व्यवस्था जमीनी स्तर तक आज भी विद्यमान है सरकार उस व्यवस्था को यदि राजकीय रूप से मान्यता देकर वित्तीय वर्ष निर्धारण में सुधार करे ।

चंचल लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने के लिए स्थिर लग्न को विशेष महत्त्वपूर्ण माना जाता है। स्थिर लग्न में पूजित लक्ष्मी चंचलता को त्यागकर स्थिरता ग्रहण करे ये अपेक्षा की जाती है। प्रदोषकाल में वृष लग्न और निशीथकाल में सिंह लग्न प्राप्त होता है और ये दोनों लग्न स्थिर लग्न है जो लक्ष्मीपूजा हेतु विशेष प्रशस्त होता है। इसी को शुभ मुहूर्त कहा जाता है । लक्ष्मी के साथ-साथ बुद्धि के देवता गणेश की पूजा भी की जाती है।

दीपावली में एक ऐसी पूजा होती है जब माता लक्ष्मी की पूजा श्रीविष्णु के साथ न करके गणेश जी के साथ की जाती है। साथ में धनाध्यक्ष (देवताओं के वित्त मंत्री) कुबेर की भी पूजा की जाती है। साथ ही साथ पुस्तिका (खाता-बही) में महासरस्वती और लेखनी (कलम) में महाकाली की पूजा भी की जाती है। इस प्रकार दीपावली के दिन तीनों देवियों की पूजा होती है। साथ ही व्यापार में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों और यंत्रों की पूजा भी की जाती है; जैसे – तुला (तराजू-बटखारा), मापक (पैमाना) आदि।

पूजा का क्रम और विधि :-

शुद्धिकरण, पंचदेवता व विष्णु पूजन, संकल्प, कलशस्थापन-पूजा, नवग्रह पूजा, दशदिक्पाल पूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा, पुस्तिका पूजा, लेखनी पूजा, कुबेर पूजा, उपकरण पूजा, हवन, आरति ।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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