वारवेला क्या है ? काल वेला का अर्थ, – अर्द्ध प्रहर विचार .

वारवेला क्या है , काल वेला का अर्थ, अर्द्ध प्रहर विचार

सनातन में किसी भी शुभ कार्य के लिये एक विशेष मुहूर्त की आवश्यकता होती है। जिस मुहूर्त में सभी प्रकार के अशुभ योग, कालखण्ड आदि का त्याग कर दिया जाय वह शुभ मुहूर्त कहलाता है। शुभ मुहूर्त निर्धारण हेतु ज्योतिष शास्त्र में एक विशेष अशुभ कालखण्ड का निषेध किया गया है जिसे अर्द्धप्रहर कहते हैं। इस आलेख में अर्द्धप्रहर संबंधी विस्तृत जानकारी दी गयी है जो ज्ञानवर्द्धन करने वाली है। अर्द्धप्रहर क्या है, कालवेला क्या है, वारवेला क्या है, कालरात्रि क्या है, अर्द्धप्रहर कैसे ज्ञात करते हैं इत्यादि विषय इस आलेख में समाहित किये गये हैं।

अर्द्धप्रहर या अधपहरा क्या है ?

अर्द्धप्रहर को समझने से पहले प्रहर या पहर को समझना आवश्यक है।

पहर का अर्थ (प्रहर/याम)

पहर का तत्सम शब्द प्रहर है। संस्कृत के तत्सम प्रहर का तद्भव शब्द पहर है। पहर का तात्पर्य औसत रूप से 3 घंटे का कालखण्ड होता है।

पहर कितने होते है

4 प्रहर दिन में और 4 प्रहर रात में होता है अर्थात 1 दिनरात में 8 प्रहर होता है । औसत मान से 1 प्रहर में 3 घंटा होता है किन्तु यह दिनमान और रात्रिमान का चतुर्थांश (चोथा भाग ¼) होता है और दिनमान एवं रात्रिमान के अनुसार घटता बढ़ता भी है। अब प्रहर को समझने के बाद हम अर्द्धप्रहर को आसानी से समझ सकते हैं।

अर्द्धप्रहर

  • अर्द्धप्रहर का तात्पर्य प्रहर का आधा भाग (½) होता है।
  • अर्थात् औसत मान से अर्द्धप्रहर डेढ (1½) घंटे का होता है।
  • किन्तु दिनमान और रात्रिमान से निर्धारित होने के कारण अर्द्धप्रहर का मान भी तदनुसार न्यूनाधिक होता है।
अधपहरा क्या है
अधपहरा क्या है

अर्द्धप्रहर का कालमान के आधार पर यही तात्पर्य होता है किन्तु ज्योतिष और कर्मकाण्ड में इसका एक अन्य प्रकार भी होता है जो शुभ मुहूर्त हेतु त्याज्य होता है।

अर्द्धप्रहर की परिभाषा

कालमान के आधार पर तो प्रहर का आधा अर्द्धप्रहर होता किंतु ज्योतिष और कर्मकाण्ड में शुभमुहूर्त में कालवेला-कालरात्रि और वारवेला नामक त्याज्य भाग अर्द्धप्रहर कहलाता है।

अर्द्धप्रहर के अन्य नाम

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