संपूर्ण कर्मकांड विधि

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सीता शतनाम स्तोत्र - sita ashtottara shatanama stotram

सीता शतनाम स्तोत्र – sita ashtottara shatanama stotram

सीता शतनाम स्तोत्र – sita ashtottara shatanama stotram : यहां माता सीता के दो प्रमुख अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र आनन्द रामायणोक्त और ब्रह्मयामलोक्त दिया गया है। आनन्द रामायणोक्त सीता शतनाम स्तोत्र अगस्त्य जी द्वारा कहा गया है जिसमें कुल २२ श्लोक हैं एवं ब्रह्मयामलोक्त सीता शतनाम स्तोत्र में कुल १८ श्लोक हैं।

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सीता कवच स्तोत्र - sita kavacham

सीता कवच स्तोत्र – sita kavacham

सीता कवच स्तोत्र – sita kavacham : ऐसा प्रायः होता है कि हम भगवान राम के अनेकानेक स्तोत्रों का पाठ तो करते हैं किन्तु सीता के किसी स्तोत्र को जानते तक नहीं और सीता कवच स्तोत्र में ऐसा भी कहा गया है कि बिना सीता कवच पाठ किये राम कवच का पाठ करना वृथा है। इसमें कवच चतुष्टय का पाठ करने का निर्देश प्राप्त होता है।

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सीताराम स्तोत्र - sita ram stotra

सीताराम स्तोत्र – sita ram stotra

सीताराम स्तोत्र – sita ram stotra : सीताराम स्तोत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह अनन्य रामभक्त हनुमानकृत है और इस कारण यह स्तोत्र विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है। इस स्तोत्र में अनन्य रामभक्त हनुमान ने राम और सीता के युगल जोड़ी की स्तुति किया है।

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श्री राघवेन्द्र अष्टकम् - shri raghavendra ashtakam

श्री राघवेन्द्र अष्टकम् – shri raghavendra ashtakam

श्री राघवेन्द्र अष्टकम् – shri raghavendra ashtakam : रघुवंशी होने के कारण भगवान श्री राम का एक नाम राघव है और इसी नाम से पुनः राघवेन्द्र भी कहा गया क्योंकि रघुवंशी होने के कारण यदि श्रीराम राघव हैं तो अन्य सभी रघुवंशी भी राघव हैं। किन्तु यदि राघवेन्द्र कहा जाता है तो अन्य सभी रघुवंशी नहीं हो सकते वो श्री राम ही हो सकते हैं।

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श्री राघवयादवीयम् - shri raghav yadaviyam

श्री राघवयादवीयम् – shri raghav yadaviyam

श्री राघवयादवीयम् – shri raghav yadaviyam : सतरहवीं सदी में कांचीपुरम के वेंकटाध्वरि द्वारा रचित श्री राघवयादवीयम् एक अनुपम काव्य है जिसे अनुलोम विलोम काव्य नाम से भी जाना जाता है। जैसे कवि सूर्य कृत “श्रीरामकृष्ण विलोम काव्यं” स्वयं में अद्वितीय है उसी प्रकार से और उसी कड़ी में ही श्री राघवयादवीयम् भी है जिसमें ३० श्लोक उपलब्ध हैं और यथावत पढ़ने पर रामचरित है तो विलोम करके पढ़ने पर कृष्ण चरित हो जाता है।

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राम हृदय स्तोत्र - ram hridaya stotra

राम हृदय स्तोत्र – ram hridaya stotra

राम हृदय स्तोत्र – ram hridaya stotra : अध्यात्म रामायण के बालकाण्ड में महादेव द्वारा श्री राम हृदय स्तोत्र (ram hridaya stotra) कहा गया है। यहां संस्कृत में श्री राम हृदय स्तोत्र दिया गया है।

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श्रीरघुनाथमङ्गलस्तोत्रम् - Shri Raghunatha Mangala Stotram

श्रीरघुनाथमङ्गलस्तोत्रम् – Shri Raghunatha Mangala Stotram

श्रीरघुनाथमङ्गलस्तोत्रम् – Shri Raghunatha Mangala Stotram : श्रीरघुनाथमङ्गलस्तोत्रम् में भगवान राम के अनेकानेक नामों के साथ मंगलकामना की गयी है और इस स्तोत्र का विशेष महत्व बताते हुये अंत में बताया गया है कि इस स्तोत्र का जो पाठ करते हैं उनके सामने मंगलायतन हरि रहते हैं अर्थात मंगल ही मंगल होता है।

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रामकृष्ण विलोम काव्य - ramakrishna viloma kavyam

रामकृष्ण विलोम काव्य – ramakrishna viloma kavyam

रामकृष्ण विलोम काव्य – ramakrishna viloma kavyam : दैवज्ञ सूर्य पंडित द्वारा रचित चौदहवीं शताब्दी का संस्कृत साहित्य की अप्रतिम रचना “रामकृष्ण विलोम काव्यम्” (रामकृष्णविलोमकाव्यं) एक बहुत ही रोचक व दुर्लभ काव्य रचना है।

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श्रीराम आपदुद्धारकस्तोत्रम् - Shri Rama ApaduddhAraka stotram

श्रीराम आपदुद्धारकस्तोत्रम् – Shri Rama ApaduddhAraka stotram

श्रीराम आपदुद्धारकस्तोत्रम् – Shri Rama ApaduddhAraka stotram : संसार का एक नाम दुःखालय भी है अर्थात यहां दुःख-ही-दुःख मिलता है। जीव जन्म से मरणोपरांत आपदाओं से ही ग्रस्त रहता है और सबसे बड़ा दुःख या आपदा स्वयं संसारचक्र में पड़ा रहना ही है। सभी इस आपदा से मुक्ति चाहते हैं और भगवान श्रीराम के एक स्तोत्र आपदा से उद्धार करने वाला है जिसे श्रीराम आपदुद्धारकस्तोत्रम् (Shri Rama ApaduddhAraka stotram) नाम से जाना जाता है।

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श्रीराघवस्तोत्रम् - Shri Raghava Stotram

श्रीराघवस्तोत्रम् – Shri Raghava Stotram

श्रीराघवस्तोत्रम् – Shri Raghava Stotram : रघु के वंशज होने के कारण भगवान श्रीराम को ही राघव भी कहा जाता है अर्थात भगवान राम का ही एक नाम राघव भी है। इनके लिये एक विशेष स्तोत्र भी है जिसका नाम राघव स्तोत्र “श्रीराघवस्तोत्रम्” (Shri Raghava Stotram) है जिसका भी विशेष महत्व बताया गया है और कहा गया है कि जो इस स्तोत्र का पाठ उनके लिये मोक्ष का द्वार खुल जाता है।

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