रघु के वंशज होने के कारण भगवान श्रीराम को ही राघव भी कहा जाता है अर्थात भगवान राम का ही एक नाम राघव भी है। इनके लिये एक विशेष स्तोत्र भी है जिसका नाम राघव स्तोत्र “श्रीराघवस्तोत्रम्” (Shri Raghava Stotram) है जिसका भी विशेष महत्व बताया गया है और कहा गया है कि जो इस स्तोत्र का पाठ उनके लिये मोक्ष का द्वार खुल जाता है। संसारचक्र का जो बंधन है वो कट जाता है और परमपद की प्राप्ति होती है। यहां श्रीराघवस्तोत्रम् संस्कृत में दिया गया है।
श्रीराघवस्तोत्रम् – Shri Raghava Stotram
इन्द्रनीलाचलश्याममिन्दीवरदृगुज्ज्वलम् ।
इन्द्रादिदैवतैः सेव्यमीडे राघवनन्दनम् ॥१॥
पालिताखिलदेवौघं पद्मगर्भं सनातनम् ।
पीनवक्षःस्थलं वन्दे पूर्णं राघवनन्दनम् ॥२॥
दशग्रीवरिपुं भद्रं दावतुल्यं सुरद्विषाम् ।
दण्डकामुनिमुख्यानां दत्ताभयमुपास्महे ॥३॥
कस्तूरीतिलकाभासं कर्पूरनिकराकृतिम् ।
कातरीकृतदैत्यौघं कलये रघुनन्दनम् ॥४॥
खरदूषणहन्तारं खरवीर्यभुजोज्ज्वलम् ।
खरकोदण्डहस्तं च खस्वरूपमुपास्महे ॥५॥
गजविक्रान्तगमनं गजार्तिहरतेजसम् ।
गम्भीरसत्त्वमैक्ष्वाकं गच्छामि शरणं सदा ॥६॥
घनराजिलसद्देहं घनपीताम्बरोज्ज्वलम् ।
घूत्कारद्रुतरक्षौघं प्रपद्ये रघुनन्दनम् ॥७॥
चलपीताम्बराभासं चलत्किङ्किणिभूषितम् ।
चन्द्रबिम्बमुखं वन्दे चतुरं रघुनन्दनम् ॥८॥
सुस्मिताञ्चितवक्त्राब्जं सुनू पुरपदद्वयम् ।
सुदीर्घबाहुयुगलं सुनाभिं राघवं भजे ॥९॥
हसिताञ्चितनेत्राब्जं हताखिलसुरद्विषम् ।
हरिं रविकुलोद्भूतं हाटकालङ्कृतं भजे ॥१०॥
रविकोटिनिभं शान्तं राघवाणामलङ्कृतिम् ।
रक्षोगणयुगान्ताग्निं रामचन्द्रमुपास्महे ॥११॥
लक्ष्मीसमाश्रितोरस्कं लावण्यमधुराकृतिम् ।
लसदिन्दीवरश्यामं लक्ष्मणाग्रजमाश्रये ॥१२॥
वालिप्रमथनाकारं वालिसूनुसहायिनम् ।
वरपीताम्बराभासं वन्दे राघवभूषणम् ॥१३॥
शमिताखिलपापौघं शान्त्यादिगुणवारिधिम् ।
शतपत्रदृशं वन्दे शुभं दशरथात्मजम् ॥१४॥
कुन्दकुड्मलदन्ताभं कुङ्कुमाङ्कितवक्षसम् ।
कुसुम्भवस्त्रसंवीतं पुत्रं राघवमाश्रये ॥१५॥
मल्लिकामालतीजातिमाधवीपुष्पशोभितम् ।
महनीयमहं वन्दे महतां कीर्तिवर्धनम् ॥१६॥
इदं यो राघवस्तोत्रं नरः पठति भक्तिमान् ।
मुक्तः संसृतिबन्धाद्धि स याति परमं पदम् ॥१७॥
॥ इति श्रीराघवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।