मां बगलामुखी के अनेकों कवच स्तोत्र हैं जिनमें से तीन कवच स्तोत्र पूर्व प्रकाशित है। मां बगलामुखी की उपासना मुख्य रूप से शत्रु पर विजय प्राप्ति की कामना से की जाती है और इसमें शत्रु विनाशक कवच स्तोत्र का पाठ बहुत ही लाभकारक होता है। यहां शत्रु नाशक बगलामुखी कवच स्तोत्र (baglamukhi shatru nashak kavach) संस्कृत में दिया गया है।
यहां पढ़ें शत्रु नाशक बगलामुखी कवच स्तोत्र संस्कृत में – baglamukhi shatru nashak kavach
श्रीदेव्युवाच
नमस्ते शम्भवे तुभ्यं नमस्ते शशिशेखर ।
त्वत्प्रसादाच्छ्रुतं सर्वमधुना कवचं वद ॥१॥
श्रीशिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कवचं परमाद्भुतम् ।
यस्य स्मरणमात्रेण रिपोः स्तम्भो भवेत् क्षणात् ॥२॥
कवचस्य च देवेशि महामायाप्रभावतः ।
पङ्क्तिः छन्दः समुद्दिष्टं देवता बगलामुखी ॥३॥
धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्तितः ।
ॐकारो मे शिरः पातु ह्रीङ्कारो वदनेऽवतु ॥४॥
बगलामुखी दोर्युग्मं कण्ठे सर्वदाऽवतु ।
दुष्टानां पातु हृदयं वाचं मुखं ततः पदम् ॥५॥
उदरे सर्वदा पातु स्तम्भयेति सदा मम ।
जिह्वां कीलय मे मातर्बगला सर्वसदाऽवतु ॥६॥
बुद्धिं विनाशय पादौ तु ह्लीं ॐ मे दिग्विदिक्षु च ।
स्वाहा मे सर्वदा पातु सर्वत्र सर्वसन्धिषु ॥७॥
इति ते कथितं देवि कवचं परमाद्भुतम् ।
यस्य स्मरणमात्रेण सर्वस्थम्भो भवेत् क्षणात् ॥८॥
यद्धृत्वा विविधा दैत्या वासवेन हताः पुरा ।
यस्य प्रसादात् सिद्धोऽहं हरिः सत्त्वगुणान्वितः ॥९॥
वेधा सृष्टिं वितनुते कामः सर्वजगज्जयी ।
लिखित्वा धारयेद्यस्तु कण्ठे वा दक्षिणे भुजे ॥१०
षट्कर्मसिद्धीस्तस्याशु मम तुल्यो भवेद्ध्रुवम् ।
अज्ञात्वा कवचं देवि तस्य मन्त्रो न सिध्यति ॥११॥
॥ इति श्रीबगलामुखीशत्रुविनाशकं कवचं सम्पूर्णं ॥
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।