माता बगलामुखी ब्रह्मास्त्र माला मन्त्र का विशेष महत्त्व होता है। यहां बगलामुखी ब्रह्मास्त्र (Baglamukhi Brahmastra) संस्कृत में दिया गया है।
यहां पढ़ें मां बगलामुखी ब्रह्मास्त्र संस्कृत में – Baglamukhi Brahmastra
॥ ॐ ह्लीं फट् ॥ (७)
ॐ नमो भगवति चामुण्डे नरकङ्कगृध्रोलूकपरिवारसहिते श्मशानप्रिये नररुधिरमांस – चरुभोजनप्रिये सिद्धविद्याधरवृन्दवन्दितचरणे बृह्मेशविष्णु – वरुणकुबेर – भैरवी भैरवप्रिये इन्द्रकोधविनिर्गतशरीरे द्वादिशादित्यचण्डप्रभे अस्थिमुण्डकपालमालाभरणे शीघ्रं दक्षिणदिशि अगच्छागच्छ मानय मानय नुद नुद अमुकं/सर्व शत्रुणां मारय मारय चूर्णय चूर्णय आवेशावेशय त्रुट त्रुट त्रोटय त्रोटय स्फुट स्फुट स्फोटय स्फोटय महाभूतान् जृग्भय जृग्भय ब्रह्मराक्षसानुच्चाटयोच्चाटय भूतप्रेत – पिशाचान् मूर्च्छय मूर्च्छय मम शत्रुनुच्चाटयोच्चाटय शत्रून् चूर्णय – चूर्णय सत्यं कथय कथय वृक्षेभ्यः सन्न्नाशय सन्न्नाशय अर्क स्तम्भय स्तम्भय गरुणपक्षपातेन विषं निर्विषं कुरु कुरु
लीलाङ्गालयवृक्षेभ्यः परिपातय परिपातय शैलकाननमहीं मर्दय मर्दय मुखं उत्पाटयोत्पाटय पात्रं पूरय पूरय भूतभविष्यं यत्सर्व कथय कथय कृन्त कृन्त दह दह पच पच मथ मथ प्रमथ प्रमथ घर्घर घर्घर ग्रासय ग्रासय विद्रावय विद्रावय उच्चाटयोच्चाटय विष्णुचक्रेण वरुणपाशेन इन्द्रवज्रेण ज्वरं नाशय नाशय प्रविदं स्फोटय स्फोटय सर्वशत्रून् मम वशं कुरु कुरु पातालं प्रत्यन्तरिक्षं आकाशग्रहं आनयानय करालि विकरालि महाकालि रुद्रशक्ते पूर्वदिशं निरोधय निरोधय, पश्चिमदिशं स्तम्भय – स्तम्भय, दक्षिणदिशं निधय निधय, उत्तरदिशं बन्धय बन्धय ह्रां ह्रीं ॐ बन्धय – बन्धय ज्वालामालिनी स्ताम्भिनी मोहिनि मुकुटविचित्रकुण्डल नागादिवासुकीकृतहारभूषणे मेखलाचन्द्रार्कहासप्रभञ्जने विद्युत्स्फुरित सकाश साट्टहास निलय निलय
हुं फट् हुं फट् विजृम्भितशरीरे सप्तद्वीपकृते ब्रह्माण्ड विस्तारितस्तनयुगले असिमुसल – परशुतोमरक्षुरिपाशहलेषु वीरान् शमय शमय सहस्त्रबाहु परापरादिशक्ति विष्णु शरीरे शङ्कर – ह्रदयेश्वरी बगलामुखी सर्वदुष्टान् विनाशय – विनाशय हुं फट् स्वाहा । ॐ ह्लीं बगलामुखी ये केचनापकारिणः सन्ति तेषां वाचं मुखं स्तम्भय – स्तम्भय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं विनाशय विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ॐ ह्रीं हिली हिली अमुकस्य/सर्व शत्रुणां वाचं मुखं पदं स्तम्भय शत्रुजिह्वां कीलय शत्रूणां दृष्टिमुष्टिगतिमतिदन्त तालुजिह्वां बन्धय बन्धय मारय मारय शोषय शोषय हुं फट् स्वाहा ॥
॥ इति बगलामुखी ब्रह्मास्त्र माला मन्त्रः ॥
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