यहां पढ़ें बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – baglamukhi ashtottar shatnam stotram

यहां पढ़ें बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में - baglamukhi ashtottar shatnam stotram

सतयुग में सम्पूर्ण जगत को नष्ट करने वाला भयंकर तूफान आया और सृष्टि पर संकट को देख कर भगवान विष्णु चिंतित हो गये। वे सौराष्ट्र देश में हरिद्रा सरोवर के निकट जाकर भगवती को प्रसन्न करने के लिये तप करने लगे। श्रीविद्या ने उस सरोवर से वगलामुखी रूप में प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिया तथा विध्वंसकारी तूफान का तुरंत स्तम्भन कर दिया। बगलामुखी महाविद्या भगवान विष्णु के तेज से युक्त होने के कारण वैष्णवी है। मंगलयुक्त चतुर्दशी की अर्धरात्रि में इसका प्रादुर्भाव हुआ था। यहां अष्टोत्तर शतनाम बगलामुखी स्तोत्र (Baglamukhi ashtottar shatnam stotram) संस्कृत में दिया गया है।

यहां सर्वप्रथम रुद्रयामलोक्त सर्वसिद्धिप्रद बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र तदनंतर विष्णुयामलोक्त बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र, श्रीकालीविलासतन्त्रोक्त बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र दिया गया है। सभी स्तोत्र संस्कृत में हैं।

रुद्रयामलोक्त सर्वसिद्धिप्रद बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र

विष्णुयामलोक्त बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र

श्रीकालीविलासतन्त्रोक्त बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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