घर बनाने से पूर्व गृहारंभ की विशेष विधि बताई गयी है। गृहारम्भ गृहारंभ करते समय भूमि पूजन किया जाता है जिसमें अनेकों सामग्री प्रयोग की जाती है जिसे भूमि पूजन सामग्री या कहते हैं। आवास गृहस्थों की अनिवार्य आवश्यकता है। पैतृक आवास कितना भी सुदृढ़ हो उसमें दो पीढ़ी का निवास करना भी असंभव सा ही होता है। पैतृक आवास में वही दो पीढ़ी भी रह भी पाती हैं जिसकी वंशशाखा विस्तृत न हो पाती हैं। यदि वंशशाखा का विस्तार हो तो भी पैतृक आवास में तीसरी पीढ़ी का निवास करना असंभव सा ही होता है। इस आलेख में गृहारंभ सामग्रियों की सूची दी गई है।
भूमि पूजन सामग्री अर्थात गृहारंभ पूजन सामग्री
- किसी भी प्रकार के नये निर्माण हेतु शास्त्रों में विशेष पूजा विधि बतायी गयी है।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर निर्माण करने के लिये सबसे पहले भूमि पूजन किया जाता है।
- भूमि पूजन का तात्पर्य गृहारम्भ पूजन होता है।
- भूमि पूजन करके पांच ईंटो से नींव रखा जाता है।
- भूमि पूजन या गृहारंभ करने के लिये विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है।
गृहारंभ पूजन विधि
भूमि पूजन सामग्री से पहले गृहारंभ के विषय में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की चर्चा आवश्यक है :
- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनाने से पहले भूमि परिक्षण करना चाहिये।
- विभिन्न प्रकार के वेधों और निवारण का विचार कर लेना चाहिये।
- गृहारंभ के लिये शुभ मुहूर्त और लग्न निर्धारित करना चाहिये।
- गृहारंभ का शुभ मुहूर्त पञ्चाङ्गों एवं ऑनलाइन भी ज्ञात किया जा सकता है, किन्तु शुभ मुहूर्त का निर्धारण दैवज्ञ ब्राह्मण द्वारा कराना चाहिये।
- खात (गड्ढा) की दिशा पहले निर्धारित कर लेना चाहिये।
- खात की दिशा पहले निर्धारित न की गयी हो तो अग्निकोण अथवा ईशानकोण में करनी चाहिये।
- खात न्युनतम सवा हाथ लंबा, चौड़ा, गड्ढा हो।
- पूजा स्थल को गाय के गोबर से लीपना चाहिये। पूजा आरंभ करने से पहले संपूर्ण भूमि पर पञ्चगव्य छिड़कना चाहिये।
- विश्वकर्मा पूजन हेतु धागा, उपकरण नया लेना चाहिये।

- गृहारंभ में भूमि पूजन के साथ-साथ वास्तु, सर्प, कूर्म आदि की पूजा भी करनी चाहिये।
- पांच ईंटों में कुंकुम, सिंदूर आदि लगाकर नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता एवं पूर्णा नामों से उसकी पूजा करनी चाहिये।
- गृहारंभ में हवन आवश्यक नहीं होता है।
भूमि पूजन सामग्री
यहां सामान्य रूप से गृहारंभ में आवश्यक सामग्रियों की सूचि दी जा रही है। किन्तु पूजन कराने वाले आचार्य के निर्देशानुसार सामग्री अपेक्षित होती है। सामग्री अच्छी गुणवत्ता वाली होनी चाहिये। बड़े-बड़े बिल्डिंग के लिये अन्य विशेष पूजन सामग्री की भी आवश्यकता होती है।
- कलश, दीप, ढकनी, चौमुख, नारियल (सजल), गरिगोला, पीली सरसों, अरवा चावल, तिल, जौ, काला उड़द, गाय का घी, तिल का तेल, रोली, चंदन, सिंदूर, धूप, धुना, गुग्गुल, कपूर, सलाई, रूईबत्ती, रक्षासूत्र, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, मधु, शक्कर, सालू कपड़ा आदि।
- सोने अथवा चांदी की वास्तु प्रतिमा सर्पाकार, कछुआ ।
- लोहे की शंकु (कील) १२ अंगुल की अथवा गम्हर, बेल, शमी या खैर की।
- प्रसाद हेतु – फल, मिठाई, मेवा।
- गंगा जल या उपलब्ध पवित्र नदी का जल, शैवाल।
- शिल्पी (कारीगर) के काम करने वाला धागा, खंती, करनी, हथौरी आदि उपकरण।
- दूध, दही, गोबर, गोमूत्र।
- बैठने के लिये आसनी, ब्राह्मण के बैठने के लिये आसनी।
- गोयठा, चेलखी।

- पांच ईंट।
- धान का लावा।
- पंचपात्र, आचमनी, थाली, लोटकी, कटोरी आदि पात्र।
- फूल, माला, दूर्वा, तुलसी, बेलपत्र आदि।
- केला का पत्ता, आम का पल्लव।
- यजमान स्वयं भी नया वस्त्र धारण करे एवं ब्राह्मण, शिल्पी (कारीगर) के लिये भी नया वस्त्र।
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