लखि सुबेष जग बंचक जेऊ। बेष प्रताप पूजियउ तेहु॥
लखि सुबेष जग बंचक जेऊ। बेष प्रताप पूजियउ तेहु॥ : जनभावना और भारतीय परंपरा या व्यवहार यही है कि गांवों के लोग आज भी “न जाने किस वेश में नारायण मिल जाय” में विश्वास रखते हैं भले ही कितने ही पाखंडियों ने ठगा क्यों न हो।