
भूमि पूजन मुहूर्त 2024 – गृहारम्भ मुहूर्त
जब भी घर का निर्माण करना होता है तो निर्माण से पूर्व अनेकानेक विचार करके फिर गृहारंभ का मुहूर्त बनाया जाता है। मुहूर्त निर्धारण तो पंचांगकर्ता ज्योतिर्विद ही किया करते हैं और पंचांगों में अंकित करते हैं।
जब भी घर का निर्माण करना होता है तो निर्माण से पूर्व अनेकानेक विचार करके फिर गृहारंभ का मुहूर्त बनाया जाता है। मुहूर्त निर्धारण तो पंचांगकर्ता ज्योतिर्विद ही किया करते हैं और पंचांगों में अंकित करते हैं।
2024 में गृहप्रवेश की अत्यल्प मुहूर्त है। उसमें भी अधिकतर प्रातःकालीन अथवा दोपहर तक ही है जिसमें वास्तु शांति कर्म सविधि संभव नहीं है।
यह आलेख भोजनालय व्यवसाय की वृद्धि के उपायों पर केंद्रित है, जिसमें ग्रहों के प्रसन्नता का महत्व बताया गया है। यदि किसी का व्यवसाय मिठाईयों आदि पर है, तो चंद्र ग्रह को प्रसन्न करना चाहिए, जबकि यदि नास्ते-भोजन आदि मुख्य वस्तु है, तो शुक्र ग्रह को प्रसन्न करना चाहिए।
यदि आपके पास विविध सामान बेचने की दुकान है, तो व्यापार वृद्धि के लिए बुद्ध ग्रह की उपासना सबसे सही है। व्यापार या कारोबार का कारक ग्रह बुद्ध है और ऐसी स्थिति में उसकी उपासना विशेष रूप से उपयुक्त है। बुद्ध यंत्र की स्थापना, मंत्र-स्तोत्र का जप व्यापार की उन्नति में सहायक साबित हो सकता है।
खरमास कब से कब तक है ~ Kharmas : जब सूर्य धनु और मीन राशि में होता है, उसे खरमास कहते हैं। इस दौरान सूर्य का तेज मंद हो जाता है और सभी प्रकार के मांगलिक कार्य निषिद्ध होते हैं। 2023 में खरमास 13 दिसम्बर से 14 जनवरी तक और 2024 में 14 मार्च से 13 अप्रैल और फिर 15 दिसम्बर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक रहेगा। इस महीने में मांगलिक कार्यों के आयोजन का निषेध होता है।
यह आलेख व्यापार वृद्धि के विभिन्न उपायों पर प्रकाश डालता है। इसमें बताया गया है कि कारोबार की वस्तु से संबंधित ग्रह को प्रसन्न करना कारोबार को बढ़ाने का प्रमुख उपाय है। ग्रहों के साथ जुड़ी विभिन्न वस्तुएँ, उनके मंत्र-रत्न, और उनसे मिलने वाले लाभ के विषय में चर्चा की गई है। यह आलेख व्यापारी के लिए श्रीदुर्गा सप्तशती के एक प्रभावशाली मंत्र का भी वर्णन करता है जो व्यापार वृद्धि में सहायता करता है।
इस पोस्ट में यदि किसी व्यापार की वृद्धि नहीं हो रही हो, तो उसके व्रद्धि के लिए उपायों पर विचार किया गया है। इसमें बताया गया है कि सेवाओं को बेहतर बनाने, ग्राहकों की आवश्यकताओं को समझने, व्यापार स्थल को स्वच्छ बनाए रखने, कर्तव्यनिष्ठा और आत्मनिरीक्षण के माध्यम से व्यापार की संभावनाएं बढ़ाई जा सकती हैं। सबसे महत्वपूर्ण उपाय के रूप में, अपने व्यापार के वस्तु के ग्रह को समझने और उसके प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने का सुझाव दिया गया है। यहां कई तरह की वस्तुओं और उनके संबंधित ग्रहों, मंत्रों की चर
मकर संक्रांति कब है 14 या 15 को : मकर संक्रांति 2024 में 15 जनवरी; सोमवार को होगी। मकर संक्रांति हर बार 14 जनवरी को होता है; तो अब 15 जनवरी को क्यों होगा? इसका उत्तर यह है कि सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी की आधी रात के बाद प्रविष्ट होंगे। पुण्यकाल का निर्धारण यह स्वीकार करता है कि सूर्य का निकटतम उदित होने का दिन ही प्रमाणिक होता है। मकर संक्रांति का अर्थ है सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो देवताओं का दिन आरम्भ होता है। मकर संक्रांति में किया गया स्नान-दान विशेष पुण्यदायक होता है।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र रोगों की उत्पत्ति और उनके उपचार के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को इसका समुचित उपयोग करके विश्व को लाभान्वित करने की आवश्यकता है। इससे चिकित्सा विज्ञान और रोगी दोनों का लाभ होगा। भारत को इस विषय पर ढेर सारे शोध और संशोधन करके पाठ्यपुस्तकों में जोड़ने की जरूरत है ताकि विश्व को चिकित्सा में नए आयाम देखने को मिलें। ज्योतिष शास्त्र पर किए गए शोध और उनके नतीजों को साझा करने में आंतरराष्ट्रीय स्थापनाओं को उत्साहित करना चाहिए।
चन्द्रमा मन का कारक होता है, मन के द्वारा सोच-विचार किया जाता है। विचारों की उत्पत्ति मन में होती है और आत्महत्या संबंधी विचार का जन्म भी मन में ही होता है; लेकिन इससे यह कैसे सिद्ध होता है कि चन्द्रमा आत्महत्या का भी कारक है? जितने भी शुभ-अशुभ विचार होते हैं सभी मन में…