भूमि पूजन किस दिशा में करें – खात की दिशा कैसे ज्ञात करें ?

भूमि पूजन किस दिशा में करें – खात की दिशा कैसे ज्ञात करें ?

भूमि पूजन किस दिशा में करें – खात की दिशा कैसे ज्ञात करें : फाल्गुन, चैत्र, वैशाख – वायव्य कोण
ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण – नैऋत्यकोण
भाद्र, आश्विन, कार्तिक – अग्निकोण और
मार्ग, पौष, माघ – ईशानकोण में खात को प्रशस्त बताया जाता है।

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गृह प्रवेश पूजा विधि

गृह प्रवेश पूजा विधि – Grihpravesh vidhi

गृह प्रवेश पूजा विधि – Grihpravesh vidhi :गृहप्रवेश की संपूर्ण विधि एवं मंत्रों का इस आलेख में वर्णन किया गया है एवं गृहप्रवेश से संबंधित कई महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर भी दिये गये हैं। इस आलेख में गृह प्रवेश करने की संपूर्ण पूजा और विधि समाहित की गयी है साथ इसे डाउनलोड करके अधिक सुविधा पाने के लिये गृह प्रवेश पद्धति pdf file भी अंत में दिया गया है। जो विषय (लेख/विधि) पूर्व प्रकाशित है वह नीले रंग में रेखांकित किया गया है जिसमें उसका लिंक समाहित है और अनुगमन को आसान करता है।

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गृह प्रवेश पूजा सामग्री - Grihapravesh Samagri

गृह प्रवेश पूजा सामग्री – Grihapravesh Samagri

गृह प्रवेश पूजा सामग्री : सामान्यतया व्यवहार में गृहप्रवेश करने के बाद पूजा आदि करते हुये देखा जाता है। किन्तु यहां ऐसा माना गया है कि गृह प्रवेश के लिये शास्त्रानुसार एक मंडप निर्माण करके पूजा आदि किया जाना चाहिये और उसी के अनुसार सामग्री का विचार किया गया है।

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भूमि पूजन विधि – गृहारंभ विधि पूजन मंत्र सहित

भूमि पूजन विधि – गृहारंभ विधि पूजन मंत्र सहित

भूमि पूजन विधि – गृहारंभ विधि पूजन मंत्र सहित : जब किसी नये घर का निर्माण आरंभ करते हैं तो उसके लिये जो पूजा की जाती है उसे गृहारंभ या भूमि पूजन कहा जाता है। गृहारंभ का सर्वप्रथम शुभ मुहूर्त बनवाया जाता है तत्पश्चात गृहारंभ सामग्रियां व्यवस्थित की जाती है फिर शुभ मुहूर्त में भूमि-वास्तु आदि पूजन करके गृहारंभ किया जाता है।

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भूमि पूजन सामग्री अर्थात गृहारंभ पूजन सामग्री

भूमि पूजन सामग्री अर्थात गृहारंभ पूजन सामग्री

भूमि पूजन सामग्री अर्थात गृहारंभ पूजन सामग्री : आवास गृहस्थों की अनिवार्य आवश्यकता है। पैतृक आवास कितना भी सुदृढ़ हो उसमें दो पीढ़ी का निवास करना भी असंभव सा ही होता है। घर बनाने से पूर्व गृहारंभ की विशेष विधि बताई गयी है। इस आलेख में गृहारंभ सामग्रियों की सूची दी गई है।

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रामार्चा पूजा विधि – संपूर्ण विधि

रामार्चा पूजा विधि – संपूर्ण विधि

रामार्चा पूजा विधि : रामार्चा राजसी पूजा है जिसमें एक मंडप की भी आवश्यकता होती है। जब कभी भी मंडप निर्माण किया जाता है तो मंडप स्थापना विधि पूर्वक ही करना चाहिये। इसके साथ ही रामार्चा में जिस प्रकार अधिक धन व्यय होता है उस प्रकार से ही सविधि हवन करना भी अनिवार्य समझा जाना चाहिये। सविधि हवन करने के लिये एक सुयोग्य आचार्य की आवश्यकता होती है।

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मंडप स्थापना – मंडप पूजन विधि

मंडप स्थापना – मंडप पूजन विधि | Mandap Sthapna

मंडप स्थापना – मंडप पूजन विधि | Mandap Sthapna : मंडप, एक धार्मिक कार्यक्रमों के लिए अस्थायी पूजा स्थल होता है, जिसमें चारों ओर द्वार होते हैं और बांस, काश, मूंज की डोरी का इस्तेमाल होता है। श्राद्ध को छोड़कर बाकी सब मंडपों का स्थापना शुभ मुहूर्त में की जाती है। विवाह और उपनयन के मंडप में कम से कम पांच स्तंभ होने चाहिए, जबकि रामार्चा मंडप में कम से कम बारह स्तंभ होने चाहिए।

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दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित

दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित

दुर्गा पूजा विधि – ॐ अद्यैतस्य ब्रह्मणोह्नि द्वितीय परार्द्धे ……… सपरिवारस्योपस्थित शरीराविरोधेन महाभयाभावपूर्वक विपुलधन धान्य सुतान्विताऽतुल विभूति चतुर्वर्ग फलप्राप्तिपूर्वक सर्वाऽरिष्ट निवारणार्थं सकल मनोरथ सिद्ध्यर्थं श्रीदुर्गायाः प्रीत्यर्थं साङ्गसायुधसवाहन सपरिवारायाः भगवत्याः श्रीदुर्गादेव्याः पूजनमहं करिष्ये ।

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सत्यनारायण पूजा विधि मंत्र सहित

सत्यनारायण पूजा विधि मंत्र सहित – Satyanarayan Puja Vidhi

सत्यनारायण पूजा विधि मंत्र सहित – Satyanarayan Puja Vidhi : १. पवित्रीकरण मंत्र : ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाङ्गतोऽपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याऽभंतर: शुचि:॥ ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु ॥ हाथ में गंगाजल/जल लेकर इस मंत्र से शरीर और सभी वस्तुओं पर छिड़के ।२. आसन पवित्रीकरण मंत्र : ॐ पृथ्वि त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुनाधृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ इस मंत्र से आसन पर जल छिड़क कर आसनशुद्धि करें।

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सत्यनारायण पूजा सामग्री

सत्यनारायण पूजा सामग्री एवं नियम

सत्यनारायण पूजा सामग्री : कलयुग में भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व कहा गया है। सत्यनारायण पूजा को शीघ्र फल प्रदान करने वाला भी कहा गया है। भगवान विष्णु ने नारद को सत्यनारायण-व्रत-पूजा का महत्व बताते हुये स्वयं कहा है – सत्यनारायणस्येदं व्रतं सम्यग्विधानतः। कृत्वा सद्यः सुखं भुक्त्वा परत्र मोक्षमालभेत्।।

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