विविध पुराणोक्त विष्णु स्तोत्र संस्कृत में - vishnu stotram

विविध पुराणोक्त विष्णु स्तोत्र संस्कृत में – vishnu stotram

यदि हम भगवान विष्णु के स्तोत्रों के संकलन की बात करें तो ऐसा संकलन स्वयं में एक महापुराण के सम होगा। किन्तु कुछ महत्वपूर्ण स्तोत्रों का संकलन तो अवश्य ही करना आवश्यक रहता है। यहां भगवान विष्णु के विविध पुराणोक्त जिन स्तोत्रों (vishnu stotram) का संकलन किया गया है वो इस प्रकार हैं

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श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् - lakshmi narayana ashtottara shatanama stotram

श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् – lakshmi narayana ashtottara shatanama stotram

क्या आप सर्वदा विजय की इच्छा रखते हैं? क्या आप माता लक्ष्मी और भगवान नारायण दोनों की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं ? लक्ष्मी नारायण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (lakshmi narayana ashtottara shatanama stotram) बहुत ही महत्वपूर्ण स्तोत्र है जिसमें लक्ष्मी और नारायण दोनों का संयुक्त रूप से अष्टोत्तर शतनाम दिया गया है और श्लोकों की कुल संख्या मात्र १४ ही है।

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लक्ष्मी नारायण कवच - lakshmi narayana kavach

लक्ष्मी नारायण कवच – lakshmi narayana kavach

रुद्रयामल तंत्र में भैरव द्वारा देवी को लक्ष्मी नारायण कवच (lakshmi narayana kavach) बताया गया है जिसे श्रीवज्रपञ्जर नामक अद्भुत कवच भी कहा गया है। विजयदायक, बन्ध्यत्व निवारक आदि अनेकों फल भी बताये गये हैं और इसके प्रयोग में गुरुमुखी होना अनिवार्य कहा गया है। यहां रुद्रयामल तंत्रोक्त लक्ष्मी नारायण कवच संस्कृत में दिया गया है।

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श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टकम् - laxmi narayan ashtakam

श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टकम् – laxmi narayan ashtakam

“अशेषदुःखशान्त्यर्थं लक्ष्मीनारायणं भजे” यह ध्रुव पंक्ति है जिस स्तोत्र का उसे श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टकम् (laxmi narayan ashtakam) स्तोत्र नाम से जाना जाता है। इस ध्रुव पंक्ति में ही देखा जा रहा है कि अशेष दुःख शान्त्यर्थं अर्थात संपूर्ण दुःखों की शांति के लिये लक्ष्मीनारायणं भजे अर्थात लक्ष्मी नारायण को भजता हूँ। इस प्रकार सभी दुःखों का निवारण करने में इस लक्ष्मी नारायण अष्टक स्तोत्र का पाठ विशेष लाभकारी हो सकता है। यहां श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टकम् संस्कृत में दिया गया है।

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लक्ष्मी नारायण स्तोत्र संस्कृत में - laxmi narayan stotram

लक्ष्मी नारायण स्तोत्र संस्कृत में – laxmi narayan stotram

भगवान नारायण की पूजा करनी हो तो लक्ष्मी के साथ और लक्ष्मी की पूजा करनी हो तो नारायण के करना विशेष लाभकारी होता है। इस स्थिति में ऐसा स्तोत्र जो दोनों का संयुक्त हो उसकी भी आवश्यकता होती है क्योंकि पूजा में स्तोत्र पाठ भी किया जाता है। यहां श्रीकृष्ण कृत लक्ष्मी नारायण स्तोत्र संस्कृत में (laxmi narayan stotram) संस्कृत में दिया गया है।

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स्कन्दपुराणोक्त शंकर नारायण सहस्रनाम स्तोत्र - shankar narayan sahasranama

स्कन्दपुराणोक्त शंकर नारायण सहस्रनाम स्तोत्र – shankar narayan sahasranama

अनेकानेक अवसरों पर भगवान विष्णु का भी वचन है कि उनमें और भगवान शंकर में भेद न रखे, उसी प्रकार भगवान शिव का भी वचन है कि उन दोनों में भेदबुद्धि का आश्रय न ले। संयुक्त रूप में दोनों को हरि हर, शंकर नारायण आदि भी कहा जाता है। इनके संयुक्त यज्ञ भी होते हैं जिसे हम हरिहर यज्ञ नाम से जानते हैं। ऐसे में आवश्यकता इनके संयुक्त सहस्रनाम की भी होती है और हमें स्कन्द पुराण में शंकर नारायण सहस्रनाम स्तोत्र (shankar narayan sahasranama) मिलता है जो यहां संस्कृत में दिया गया है।

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विष्णुधर्मोक्त नर नारायण स्तोत्र संस्कृत में - narnarayan stotra

विष्णुधर्मोक्त नर नारायण स्तोत्र संस्कृत में – narnarayan stotra

भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों में से चौथे अवतार नर-नारायण थे। इस अवतार में श्री विष्णु ने नर और नारायण रूपी युगलावतार ग्रहण किया था। विष्णुधर्म में अप्सरा द्वारा इनका स्तवन किया गया था जिससे उसे दिव्यज्ञान की प्राप्ति हुई। इसके साथ ही एक अन्य स्तोत्र भी है जिसमें “नरनारायणदेव पाहि माम्” कहकर रक्षा की प्रार्थना की गयी है। इसमें ८ श्लोक हैं इस कारण इसे नर नारायण अष्टक भी कहा जा सकता है।

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यहां पढ़ें भगवान सत्यनाराण का अष्टक स्तोत्र सत्यनारायणाष्टक - satyanarayan ashtakam

यहां पढ़ें भगवान सत्यनाराण का अष्टक स्तोत्र सत्यनारायणाष्टक – satyanarayan ashtakam

“आदि देवं जगत कारणम्” से आरंभ होने वाले स्तोत्र में, जो कि भगवान सत्यनारायण का स्तोत्र है जिसमें ८ श्लोक हैं जिस कारण इसका नाम सत्यनारायणाष्टकं है जिसे सत्यनारायण अष्टकं (satyanarayan ashtakam) स्तोत्र के नाम से जाना जाता है। नवां श्लोक फलश्रुति है। यहां भगवान सत्यनारायण की पूजा में उपयोगी सिद्ध होने वाली सत्यनारायण अष्टकम स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है।

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महानारायणास्त्र अर्थात महा नारायण अस्त्र - maha narayan astra

महानारायणास्त्र अर्थात महा नारायण अस्त्र – maha narayan astra

भैरव द्वारा पूछे जाने पर देवी ने उन्हें महानारायणास्त्र (महा नारायण अस्त्र – maha narayan astra) का उपदेश दिया था। देवी ने उपदेश देने से पूर्व कहा कि महाभय उपस्थित हो, महाविघ्न हो, संकट हो इसके प्रयोग से सबका निवारण हो जाता है क्योंकि पुराकाल में सृष्टि विघ्न निवारणार्थ स्वयं ब्रह्मा ने इसका आश्रय लिया था। यह प्रयोग शुद्ध सात्विक विद्वान ब्राह्मणों द्वारा ही कराया जाना चाहिये। यहां महानारायणास्त्र संस्कृत में दिया गया है।

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लक्ष्मीनारायणीय संहितोक्त नारायण सहस्रनाम - narayan sahasranama

लक्ष्मीनारायणीय संहितोक्त नारायण सहस्रनाम – narayan sahasranama

लक्ष्मीनारायण संहिता में नारायण सहस्रनाम स्तोत्र (narayan sahasranama) मिलता है जिसमें कुल १०० श्लोक हैं। यह स्तोत्र भगवान श्री कृष्ण और राधा संवाद रूप में है और भगवान श्री कृष्ण ने राधिका को स्तोत्र का उपदेश किया है। आर्द्र हो अथवा शुष्क हो, परपीडा पहुंचाने से संचित पाप हो सभी पापों का यह स्तोत्र नाश करता है।

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