
पढ़ें चंद्रशेखर अष्टक स्तोत्र संस्कृत में – chandrashekhar ashtakam
पढ़ें चन्द्रशेखर अष्टकम संस्कृत में – chandrashekhar ashtakam :
Stotrani : देवताओं को प्रसन्न करने के उपायों में स्तोत्र या स्तुति का विशेष महत्व होता है। इस श्रेणी में विभिन्न देवताओं के भिन्न-भिन्न प्रकार के स्तोत्रों का संग्रहण किया गया है।
पढ़ें चन्द्रशेखर अष्टकम संस्कृत में – chandrashekhar ashtakam :
पढ़ें महारक्षक पाशुपतास्त्र स्तोत्र संस्कृत में – pashupatastra stotra : सभी प्रकार के शान्त्यादि कर्मों के आरम्भ में इसका प्रयोग करने से विघ्नादि का निवारण होता है। विजय की कामना होने पर शतवृत्ति प्रयोग बताया गया है। इसी प्रकार से असाध्य साधन में घृत मिश्रित गुग्गुल होम करने का विधान कहा गया है।
पशुपत्यष्टकम् स्तोत्र संस्कृत में – pashupati ashtak : स्तोत्र स्वयं में तो महत्वपूर्ण होता ही है यदि वह अष्टक हो तो महत्ता में और भी वृद्धि हो जाती है। भगवान शिव को पशुपति भी कहा जाता है। पशुपति का तात्पर्य समस्त प्राणियों के स्वामी हैं। यहां श्री पशुपत्यष्टकम् स्तोत्रं (pashupati ashtak) संस्कृत में दिया गया है।
कल्याणकारी पशुपति स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित – pashupati stotra : पशुपति अर्थात पशुओं के पति या स्वामी। अब प्रश्न है पशु कौन तो इसका उत्तर है समस्त जीव पशु है। इस कारण सभी जीवों के जो स्वामी हैं वो पशुपति हैं।
अघोर मूर्ति सहस्रनाम – aghora murti sahasranaam : श्रीरुद्रयामलतंत्र में अघोर मूर्ति सहस्रनाम स्तोत्र मिलता है जो अतिमहत्वपूर्ण है। यहां अघोर मूर्ति सहस्रनाम स्तोत्र (aghora murti sahasranaam) संस्कृत में दिया गया है।
अघोर कवच स्तोत्र – aghor kavach : शिव कल्याणकारी हैं, अघोर हैं, अभयंकर हैं। शिव के अघोर स्वरूप में उनका नाम ही अघोर है। अघोर के उपासक ही अघोरी कहलाते हैं। शिव के अघोर रूप की उपासना में अघोर कवच की भी आवश्यकता होती है। यहां अघोर कवच (aghor kavach) संस्कृत में दिया गया है।
पढ़िये अघोर स्तव संस्कृत में ~ aghor stotra : अघोर का तात्पर्य है जो घोर न हो अर्थात भयंकर न हो। भगवान शिव का ही एक नाम अघोर भी है और इनके अघोर रूप की उपासना के लिये मंत्र, स्तोत्र आदि भी मिलते हैं। यहां अघोर स्तव संस्कृत में दिया गया है।
यहां पढ़ें अर्द्धनारीश्वर सहस्रनाम स्तोत्र संस्कृत में – ardhnarishwar sahasranam : वर्त्तमान काल में भिन्नमना, स्वतंत्रता आदि का कुतर्क करते हुये सामान्य लोगों के दामपत्य जीवन को नारकीय बनाया जा रहा है। परिवार में सुख-शांति हेतु यह आवश्यक है कि पति-पत्नी के विचार समान हों। दामपत्य जीवन में सुख-शांति की कामना हो तो अर्द्धनारीश्वर की उपासना करते हुये एकमना होना चाहिये।
स्कन्द पुराणोक्त अर्द्धनारीश्वर अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र ~ ardhnarishwar ashtottarshatnam stotra : एक दिव्यवस्त्र धारण करती हैं तो दूसरे दिगम्बर हैं, एक सिंहवाहिनी हैं तो दूसरे वृषारूढ़ हैं फिर भी दोनों एकाकार हो गये। दाम्पत्य जीवन को सुख-शांतिमय करने का सन्देश देता है भगवान शिव-पार्वती का एकाकार स्वरूप जिसे अर्द्धनारीश्वर नाम से जाना जाता है।