दण्ड क्या है ? दण्ड का उद्देश्य क्या है?

दण्ड के कई अर्थ होते हैं, दंड यानि एक डंडा (छड़ी, लाठी), सजा, पिटाई, समय माप की एक इकाई, एक प्रकार का व्यायाम, प्रणाम करने का एक प्रकार :

दण्ड का अर्थ हिन्दी में –

  • दण्ड यानि डंडा या छड़ी/लाठी। वैसी छड़ी/लाठी जिससे प्रहार/पिटाई की जा सके, कुत्ते आदि जानवरों से सुरक्षा के लिए उपयोगी हो, आवश्यकता परने पर चलने में सहारा भी ले सकें।
  • राजा, राज्य और छत्र की शक्ति, संप्रभुता का द्योतक।
  • किसी अपराधी को उसके अपराध के निमित्त दी गयी सजा को दण्ड कहते हैं।
  • राजनीति के चार उपायों – साम, दाम, दंड और भेद में एक उपाय।
  • भारतीय समय माप की एक इकाई :- भारत में समय को मापने के लिए दण्ड, पल, विपल (घटी, कला, विकला) का प्रयोग होता है। एक दण्ड = 24 मिनट होता है।
  • दण्ड एक प्रकार का व्यायाम भी है जिसे दण्ड-बैठक भी कहा जाता है।
  • प्रणाम करने का एक प्रकार जिसे दण्डवत कहा जाता है।

विशेषार्थ : सूर्य दण्ड

एक अन्य विशेष अर्थ में भी दण्ड का प्रयोग किया जाता है जो सम्भतः आप भी जानते होंगे और यदि नहीं जानते तो कोई बात नहीं यहां जान सकते हैं। छठ महापर्व के शुभ अवसर पर भी दण्ड शब्द प्रयुक्त होता है और बहुत सारे व्रती दण्ड देते हुये घाट तक जाते हैं भले ही घाट 5-6 किलोमीटर दूर भी क्यों न हो। हम यहाँ इसी की विशेष चर्चा करने जा रहे हैं।

दण्ड क्या है ?

छठ महापर्व पर व्रती जो दण्ड देते हैं वह सूर्य को दण्ड देना कहा जाता है। सूर्य को दण्ड देने का तात्पर्य यहाँ दण्डवत प्रणाम करना होता है न कि सजा सूचक।

सूर्य को दण्ड क्यों देते हैं अथवा दण्ड का उद्देश्य क्या है?

नमस्कार प्रियो भानुः जलधारा शिवप्रियः । अलंकार प्रियः कृष्ण ब्राह्मणो मधुर प्रियः।। सूर्य को नमस्कार, शिव को जल, कृष्ण को अलंकार और ब्राह्मण को मधुर प्रिय होता है।

लोग कबूलती या मनौती के लिये सूर्य को दण्ड देते हैं। कबूलती या मनौती का अर्थ होता है किसी कामना के निमित्त कोई पूजा विधि जो कामनापूर्ति के उपरान्त की जाती है। छठ में भी लोग संतान, आरोग्य, दरिद्रता निवारण, पदोन्नति, आजीवका आदि कामनाओं को मन में रखकर कबूलती (प्रतिज्ञा) करते हैं कि इस मनोकामना के पूरा होने पर 5 वर्ष, 7 वर्ष …. आजीवन (सक्षमता रहने तक) दण्ड दूंगा और उस मनोकामना की पूर्ति के पश्चात् पूर्व प्रतिज्ञा का पालन करते हुये दण्ड देते हैं। यहां दण्ड देने का अर्थ दण्डवत प्रणाम करते हुये पूजा घाट तक जाना होता है।

दण्ड क्या है : यद्यपि अन्य मंदिरों में भी यह क्रिया कुछ लोग करते हैं लेकिन दण्ड मुख्यतः सूर्य को ही दिया जाता है । नमस्कार प्रियो भानुः - सूर्य नमस्कार प्रिय हैं, अर्थात भगवान सूर्य को नमस्कार विशेष प्रिय है और व्रती दण्डवत नमस्कार करते हुये घाट तक जाते हैं अर्थात सूर्य को विशिष्ट प्रिय नमस्कार प्रदान करते हुये पूजा घाट तक जाते हैं। इसे ही सूर्य को दण्ड देना कहा जाता है।
दण्ड क्या है ? – 1

यद्यपि अन्य मंदिरों में भी यह क्रिया कुछ लोग करते हैं लेकिन दण्ड मुख्यतः सूर्य को ही दिया जाता है । नमस्कार प्रियो भानुः – सूर्य नमस्कार प्रिय हैं, अर्थात भगवान सूर्य को नमस्कार विशेष प्रिय है और व्रती दण्डवत नमस्कार करते हुये घाट तक जाते हैं अर्थात सूर्य को विशिष्ट प्रिय नमस्कार प्रदान करते हुये पूजा घाट तक जाते हैं। इसे ही सूर्य को दण्ड देना कहा जाता है।

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