नवरात्रा में अधिकांश लोग दुर्गा पूजा करते हैं और उनकी संख्या इतनी होती है कि सबके लिये ब्राह्मण उपलब्ध ही नहीं हो सकते। ऐसे में आवश्यकता होती है कि जो लोग स्वयं पढ़-समझ सकते हैं उनके लिये सरलता पूर्वक विधि और मंत्र उपलब्ध हो जिसके द्वारा वो स्वयं भी पूजा कर सकें। इस आलेख में दुर्गा पूजा की विधि और मंत्र दी गयी है जिससे वो भक्त लाभान्वित हो सकते हैं जिनके लिये सुयोग्य कर्मकांडी ब्राह्मण उपलब्ध नहीं हो पाते। यहां विशेष पूजा विधि दी गयी है जो मिथिलादेशीय परंपरा के अनुसार है।
दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित
पूजा विधि और मंत्र देने का तात्पर्य यह नहीं है कि ब्राह्मण के बिना ही करनी चाहिये। इसका तात्पर्य यह है कि यदि ब्राह्मण उपलब्ध न हों तो स्वयं किया जा सकता है और यदि ब्राह्मण उपलब्ध हों तो ब्राह्मण से ही कराना चाहिये। यदि स्वयं भी करें तो भी जिन ब्राह्मणों से बारंबार पूजनादि कराते हैं उन्हें दक्षिणा-दान देनी ही चाहिये। और दक्षिणा न देना पड़े इस कारण ब्राह्मण के बिना पूजा की जाय यह सर्वथा अनुचित सिद्ध होता है।
दुर्गा : जो अपने भक्तों की दुर्गति न होने दे वो हैं माता दुर्गा।
दुर्गा पूजा के बारे में
- वर्ष में चार बार नवरात्रा होती है जो आश्विन, माघ, चैत और आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्षों में होती है।
- इनमें से आश्विन मास में होने वाली शारदीय नवरात्री कहलाती है।
- शारदीय नवरात्री में बहुत विस्तृत रूप से दुर्गा पूजा का आयोजन होता है।
- शारदीय नवरात्रा में मंदिरों में भी प्रतिमा बनाकर पूजा की जाती है। बड़े-बड़े पंडाल बनाकर भव्य मेला का भी आयोजन किया जाता है।
- इसके अतिरिक्त अक्षय नवमी को भी दुर्गा पूजा की विशेष विधि है।
- अन्य मासो में अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी दुर्गा पूजा हेतु विशेष महत्वपूर्ण है।
- दुर्गा उपासकों को शाक्त कहा जाता है।
दुर्गा माता की पूजा विधि
मंदिरों में तो भव्य प्रतिमा बनाकर नवरात्रा में पूजा की जाती है जिसके लिये बहुत विस्तृत दुर्गा पूजा पद्धति होती है जिसमें बहुत सारे विधि-विधान होते हैं। लेकिन घरों में भी पूजा की जाती है एवं अन्य दिनों होने वाली पूजा विधि उतनी विस्तृत नहीं होती। घर में छोटी प्रतिमा के ही पूजन का शास्त्रीय विधान है। यदि प्रतिमा न हो तो कलश पर दुर्गा पूजा करनी चाहिये।
यदि कलश भी स्थापित न करते हों तो चित्र (फोटो) में की जा सकती है। लेकिन यदि कलश स्थापन करते हैं तो चित्र में न करके कलश में ही करना अधिक श्रेयस्कर होता है। यहाँ दुर्गा पूजा की विधि एवं मंत्र दिये गये हैं। यहां पवित्रीकरण, दिग्रक्षण, स्वस्तिवाचन आदि की पुनरावृत्ति करना उचित नहीं होगा। सबके लिंक समाहित कर दिये गये हैं और सुविधा के लिये आगे भी सबके लिंक दिये जा रहे हैं :-
यहां पूजा विधि को तीन भागों में विभाजित करके अवलोकन करेंगे – १. अर्घ्य स्थापन , २. संकल्प, कलश, अङ्गपूजा और ३. श्रीदुर्गा पूजन
नवरात्र के आखरी दिन पर हवन कराने का मंत्र?
चाहिए ।
हवन की पूरी जानकारी इन आलेखों में दी गयी है :
https://karmkandvidhi.com/havan-vidhi/
https://karmkandvidhi.com/havan-vidhi-2/
https://karmkandvidhi.com/havan-vidhi-3/
https://karmkandvidhi.com/havan-vidhi-4/
https://karmkandvidhi.com/havan-vidhi-prashnottari/
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