बिना पंडित के हवन कैसे करें

बिना पंडित के हवन कैसे करें

संपूर्ण हवन विधि

हवन विधि को समझने के लिये हमें हवन को 3 भागों में बांटकर समझना होगा :

  1. पूर्व क्रिया
  2. मध्य क्रिया
  3. उत्तर क्रिया

पूर्व क्रिया : परिसमुह्योपलिप्योलिख्योद्धृत्याभ्युक्ष्याग्निमुपसमाधाय दक्षिणतो ब्रह्मासनमास्तीर्य प्रणीय परिस्तीर्यार्थ- वदासाद्य पवित्रेकृत्वाप्रोक्षणीः संस्कृत्यार्थवत्प्रोक्ष्य निरूप्याज्यमधिश्रित्य पर्यग्नि कुर्यात् ॥२॥ स्रुवंप्रतप्य संमृज्याभ्युक्ष्य पुनःप्रतप्य निदध्यात् ॥३॥  आज्यमुद्वास्योत्पूयावेक्ष्य प्रोक्षणीश्च पूर्ववद् उपयमनाकुशानादाय  समिधोऽभ्याधाय पर्युक्ष्य जुहुयात् ॥४॥  एष एव विधिर्यत्र क्वचिद्धोमः ॥५॥ – पारस्कर-कात्यायन।

पूर्व क्रिया कुल २७ क्रियाओं का समूह है जिसके नाम हैं – परिसमूह्य, उपलिप्य, उल्लिख्य, उद्धृत्य, अभ्युक्ष्य, अग्निमुपसमाधाय, दक्षिणतो ब्रह्मासनमास्तीर्य, प्रणीय, परिस्तीर्य, अर्थ वदासाद्य, पवित्रेकृत्वा, प्रोक्षणीः संस्कृत्य, अर्थवत्प्रोक्ष्य, निरूप्याज्यं, अधिश्रित्य, पर्यग्नि कुर्यात्, संमृज्य, अभ्युक्ष्य, पुनःप्रतप्य निदध्यात्, आज्यमुद्वास्य, उत्पूय, अवेक्ष्य, प्रोक्षणीश्च पूर्ववद्, उपयमनाकुशानादाय, समिधोऽभ्याधाय, पर्युक्ष्य जुहुयात्। ये २७ पूर्व क्रियायें हैं जो किसी भी हवन में अनिवार्य हैं – ॥ एष एव विधिर्यत्र क्वचिद्धोमः ॥ यदि इनका उल्लंघन करते हैं तो हवन विधिहीन होकर आसुरी श्रेणी को प्राप्त हो जाता है।

मध्य क्रिया : मध्य क्रिया मुख्यतः आहुति प्रदान करना है। नवाहुति (व्याहृति, पंचवारुणी …) पूर्वक मुख्य होम को समाहित किया जायेगा, अर्थात जो न तो पूर्व क्रिया है न ही उत्तरक्रिया है परन्तु मुख्यक्रिया है उसे ही मध्यक्रिया समझना चाहिये। यह विभिन्न हवनों में परिवर्तित भी होता है।

उत्तर क्रिया : उत्तर क्रिया के संबंध में यह वचन है – पूजा स्विष्टं नवाहुत्यो बलिः पूर्णाहुतिस्तथा । श्रेयः सम्पाद्य दानं च अभिषेको विसर्जनम् पूजा, स्विष्टकृद्धोम, नवाहुति, बलि, पूर्णाहुति, वसोर्धारा, त्र्यायुष्करण, संसवप्राशन, पूर्णपात्र दक्षिणा, प्रणीतान्युब्जीकरण, श्रेयोद्दान, दान, अभिषेक, विसर्जन, दक्षिणा। ये सभी उत्तर क्रिया है।

इन क्रियाविधियों की विस्तृत चर्चा अलग से की जायेगी अथवा हवन विधि pdf को डाउनलोड करके भी देखा-समझा जा सकता है। यहां हम लेख के विषय पर ही चर्चा करेंगे।

हवन करने वाले को संपूर्ण विधि और मंत्रों का ज्ञान भी हो अथवा ब्राह्मण से अधिक ज्ञान भी क्यों न हो फिर भी दक्षिणा आदि देने के लिये, ब्रह्मा बनाने के लिये, भोजन कराने के लिये ब्राह्मण (पंडित) तो शास्त्रों के अनुसार अनिवार्य हैं, फिर बिना (ब्राह्मण) पंडित के हवन कैसे किया जा सकता है।

   बिना पंडित के हवन कैसे
  • हवन करने वाले को संपूर्ण विधि और मंत्रों का ज्ञान भी हो अथवा ब्राह्मण से अधिक ज्ञान भी क्यों न हो फिर भी दक्षिणा आदि देने के लिये, ब्रह्मा बनाने के लिये, भोजन कराने के लिये ब्राह्मण (पंडित) तो शास्त्रों के अनुसार अनिवार्य हैं, फिर बिना (ब्राह्मण) पंडित के हवन कैसे किया जा सकता है।
  • अर्थात नहीं हो सकता या पंडित के बिना हवन नहीं किया जा सकता और यदि बिना पंडित के हवन किया जाता है तो उससे आध्यत्मिक लाभ प्राप्त नहीं हो सकता।
  • यदि वातावरण को शुद्ध कर रहे हों तो उसे हवन नहीं कहा जा सकता।
  • हवन वही है जिसमें भगवान के दोनों मुखों (अग्नि और ब्राह्मण) के द्वारा आहुति प्रदान की जाय।
  • वेद-शास्त्रों में भगवान के दो मुख कहे गये हैं : अग्नि और ब्राह्मण।
  • ब्राह्मण को अग्नि से श्रेष्ठ, अधिक तृप्तिकारक श्रीमद्भागवत महापुराण में स्वयं भगवान ने ही घोषित किया है।
  • अर्थात अग्निरहित होने पर भी ब्राह्मण को दी गयी आहुति (भोजन, दानादि) पूर्ण व सफल (फल प्रदायक) होगी।
  • किन्तु ब्राह्मणरहित होने पर अग्नि में दी गयी आहुति को कोई फल नहीं हो सकता।
  • दान-दक्षिणा से रहित यज्ञ को मृत कहा गया है।

पुनः प्रश्न ही खड़ा होता है कि बिना पंडित के हवन कैसे हो सकता है ?

घर में स्वयं हवन कैसे करें

बिना ब्राह्मण के एक ही हवन किया जा सकता है जो अग्निहोत्री का नित्यहोम होता है। अन्य कोई हवन यदि बिना ब्राह्मण के किया जाता है तो वह शास्त्रानुसार हवन की श्रेणी में नहीं आता। जो कोई भी बिना पंडित के हवन करने की विधि बताते हैं उन्हें कर्मकांड संबंधी कुछ ज्ञान नहीं होता है।

सारांश : भगवान/देवताओं को भोजन प्रदान करना हवन कहलाता है। भोजन हेतु भगवान के दो मुख बताये गये हैं – अग्नि और ब्राह्मण जिसमें से ब्राह्मण रूपी मुख में आहुति अनिवार्य है। यदि अग्नि रूपी मुख में आहुति न भी दिया जाय केवल ब्राह्मण रूपी मुख में आहुति दी जाय तो वह परिपूर्ण माना जायेगा। किन्तु इसके विपरीत ब्राह्मण रूपी मुख में होम न करके केवल अग्निमुख में होम किया जाय तो शास्त्रों में उसे पूर्ण नहीं माना गया है। अतः बिना पंडित के होम नहीं किया जा सकता।

संपूर्ण हवन विधि मंत्र PDF

नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

3 thoughts on “बिना पंडित के हवन कैसे करें

  1. आपने कहा बिना पंडित के हवन नहीं हो सकता सिवाय नित्य अग्निहोत्र के । इस संदर्भ में मेरा एक प्रश्न है गीता प्रैस की नित्य कर्म पूजा प्रकाश में नित्य होम की एक विधि जो आपकी विधि से भिन्न है कृपया उस पर प्रकाश डालें क्या वह कर सकते हैं क्योंकि वह बहुत छोटा हवन है और गीता प्रैस जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशन में उसका वर्णन है । मेरा एक प्रश्न और है उसी हवन से संबंधित उसमें कुशकंडिका के लिये कुश या दूर्वा के लिये कहा गया है । पंच भूसंस्कार के लिये भी कुश के लिये कहा गया है , क्या यहाँ भी दूर्वा का प्रयोग कर सकते हैं

    1. नित्यहोम करने वाले को ही अग्निहोत्री कहा जाता है। कर्मकाण्ड में कहीं कुछ मनमानी करने की स्वतंत्रता नहीं है और यदि करे तो वह निष्फल होता है व विपरीत फल भी होता है। जो गुरुकुल न गया उसे नित्यहोम का ज्ञान नहीं होगा, नित्य होम की अग्नि गृहस्थाश्रम में प्रवेश के समय ही चयन किया जाता है और वह अग्नि नष्ट न हो इसका प्रयास करना होता है, यदि घर से बाहर हो तो भी प्रतिनिधि के माध्यम से नित्य होम करना ही होता है।
      नित्य होम करने वाला जिसने विधिवत अग्निचयन किया हो वह साग्निक कहलाता है एवं जो नित्य होम नहीं करने वाले हैं वो निरग्निक कहलाते हैं। साग्निकों का अशौच विधान भी भिन्न होता है।
      जो आडम्बर करने वाले होम-होम, अग्निहोत्र-अग्निहोत्र चिल्लाते रहते हैं, किसी को भी आध्यात्मिक महत्त्व बताते नहीं देखा जाता, वातावरण शुद्धि, वैज्ञानिकता आदि की चर्चा करते हुये ही देखा जाता है। यें लोग स्वयं स्वेच्छाचारी हैं और अन्य को भी बनाना चाहते हैं।
      नित्य होम और अन्य होम में अंतर होता है, अन्य हवन नित्य होम की विधि से नहीं होता है,
      कुशकंडिका में भी कुशा के विकल्पों का प्रयोग किया जा सकता है।

    2. नित्य होम भिन्न विषय है, अन्य हवन में नित्यहोम के मंत्रों का भी प्रयोग नहीं होता है। कुछ लोग सबको स्वेच्छाचारी बनाने के लिये अग्निहोत्र करने के नाम पर किसी भी प्रकार से नित्यहोम करने के लिये भी प्रेरित कर रहे हैं जिससे हवन सामग्री का विक्रय हो सके। नित्यहोम अग्निहोत्री के लिये ही है जिसने यथाकाल अग्निसंचयन किया हो। कुशकण्डिका में भी कुशा के अनुपलब्ध होने पर विकल्पों का ग्रहण किया जा सकता है, किन्तु उपलब्ध होने पर नहीं।

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