फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है, होलिका दहन मात्र एक परम्परा नहीं है। होलिका दहन की विधि एवं मंत्रों का उल्लेख शास्त्रों में हैं। होलिका दहन मुहूर्त के लिये कई विशेष नियम भी है। इस आलेख में हम होलिका दहन विधि और मंत्रों को समझेंगे।
होलिका दहन मंत्र और विधि – holika dahan kab hai
होलिका दहन एक पौराणिक घटना को मात्र प्रतीकात्मक रूप से मनाने की परम्परा का आरम्भ होना धार्मिक श्रद्धा में ह्रास का सूचक है। लेकिन सभी की धार्मिक श्रद्धा में ह्रास हो गया ऐसा भी नहीं है।
कुछ लोग हैं जो धर्म के नाम पर अपना दुकान चलाते हैं इसलिये धार्मिक उत्सवों को परम्परा कहकर, कुछ तर्क-कुतर्क करके स्वयं को ज्ञानी भी सिद्ध करते हैं और शास्त्र की विधियों और नियमों का तिरष्कार भी करते हैं।
जब कोई धार्मिक उत्सव मनाते हैं तो उसे सही तरीके से मनाने के लिये उसके नियमों, विधियों, मंत्रों को भी जानना आवश्यक होता है।

किसी भी विषय पर एक नया तर्क-कुतर्क गढ़ा जा सकता है लेकिन इसके कारण धार्मिक कृत्यों की विधियों-नियमों से खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिये।
होलिका दहन विधि
- होलिका दहन के लिये किसी प्रकार की प्रतिमा आदि बनाने का निर्देश नहीं है अतः ऐसा कुछ करना शास्त्र-सम्मत नहीं होगा।
- होलिका दहन के निर्धारित समय में सभी लोग होलिका दहन की जगह पर एकत्रित हो जायें।
- जहां होलिका दहन करना हो वहां गोबर से लीपकर चौकोर मंडल बना ले।
- उसके मध्य में एक पांच रंगों वाली पताका स्थापित करें।
- फिर पवित्रीकरणादि करके तिल-जल आदि संकल्प द्रव्य लेकर संकल्प करें :
संकल्प मंत्र : ॐ अद्य फाल्गुने मासि शुक्ले पक्षे पूर्णिमायां तिथौ ……….. गोत्रस्य मम श्री …………. शर्मणः सपरिवारस्य वर्षावच्छिन्नसुख कामनया अग्नेर्ढुण्ढीराक्षस्याश्च प्रीतये तत्पीडा परिहारार्थमग्नेर्होलिकायाश्च पूजनमहं करिष्ये ॥
होलिका दहन करने के लिये सुखी लकड़ियों, गोबर के कण्डों आदि का ढेर (बड़ा अलाव) बना लें, फिर अगले मंत्र से उसमें आग लगाये :
होलिका दहन मंत्र

ॐ दीपयाम्यत्र ते घोरां चिति राक्षसि ते नमः । हिताय सर्वजगतां प्रीतये पार्वतीपतेः ॥
वन्दिताऽसि सुरेन्द्रेण ब्रह्माच्युतशिवादिभिः । अतस्त्वं पाहि नो भीत्या भूषिता भूतिदा भव ॥
फिर होलिका का आवाहन करके पूजा करे :
- होलिका आवाहन मंत्र : ॐ होलिके इहागच्छ इह तिष्ठ ॥
- होलिका प्रार्थना मंत्र : ॐ अस्माभिर्भयसन्त्रस्तैः कृता त्वं होलिके यतः। अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव ॥
- होलिका पूजन मंत्र : ॐ होलिकायै नमः ॥
व्यवस्थानुसार सामग्रियों से होलिका का पूजन करके अबीर, पक्वान्न आदि आग में प्रदान करे। फिर चार बार पुष्पांजलि प्रदान करे :
यदुच्छिष्टेन संसर्गः पादेन प्रतिघातितः । तत् पापं क्षम्यतां देव हव्यवाह नमोऽस्तु ते ॥
यन्मया शीतभीतेन पादस्पृष्टोऽसि कामतः । उच्छिष्टेन च संस्पृष्टो होलिका पूजिता मया ॥
वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शङ्करेण च । अतस्त्वं पाहि नो देवि भूते भूतिप्रदा भव ॥
फिर प्रदक्षिणा करे :
ॐ नित्यं प्रदक्षिणां मेरोः करोति सविता यथा । तथा कृता मया वह्ने सहोलिक नमोऽस्तु ते ॥
तत्पश्चात सभी जन नाचे-गाये, हास-परिहास आदि करे।
होलिका दहन किस दिन होगा – 2025
- 13 मार्च 2024 गुरुवार को चतुर्दशी 10:35 AM पर समाप्त होता है और पूर्णिमा का आरम्भ होता है।
- भद्रा 10:35 AM से 11:26 PM तक है।
- इस कारण 2025 में होलिका दहन 13 मार्च, गुरुवार को भद्रा समाप्त होने के बाद किया जाना चाहिये।
होलिका दहन मुहूर्त
- 13 मार्च 2025 गुरुवार को भद्रा 11:26 PM तक है।
- इस कारण 2025 में होलिका दहन 13 मार्च 2025, रविवार को भद्रा समाप्त होने के बाद अर्थात 11:26 PM के बाद किया जाना चाहिये।
F & Q :
प्रश्न : होलिका दहन में क्या क्या डालें?
उत्तर : होलिका दहन में सुखी लकड़ियां, गोबर का कण्डा (गोयठा) आदि का ढेर बनाये। अग्नि प्रज्वलित होने के बाद होलिका की विविध पूजा सामग्रियों से पूजा भी करे और अबीर, पक्वान्न आदि डाले।
प्रश्न : होलिका दहन की राख का क्या करें?
उत्तर : होलिका दहन की राख या भस्म अगले दिन (होली के दिन) धारण करे अर्थात लगाये। भस्म लगाने का मंत्र है :
ॐ वसंतारम्भसम्भूते सुरासुर नमस्कृते। संवत्सरकृतं पापं क्षमस्व मम होलिके॥
वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च। अतस्त्वां धारयिष्यामि विभूते भूतिदा भव॥
प्रश्न : होलिका दहन किसे नहीं देखना चाहिए?
उत्तर : होलिका दहन नई दुल्हन को नहीं देखना चाहिए? इसी कारण विवाह के पहले वर्ष होली के समय दुल्हन नैहर (माता-पिता के घर) में रहती है, ससुराल में नहीं रहती। इसी का और विस्तार करते हुये कुछ लोग और भी कई प्रकार की बातें करते हैं कि गर्भवती स्त्री को नहीं देखना चाहिये, बच्चों को नहीं देखना चाहिये, और अधिक विस्तार करते हुए यह भी कहते हैं कि स्त्रियों को नहीं देखना चाहिये। लेकिन कोई किसी प्रकार का प्रमाण नहीं बताते।

प्रश्न : होलिका दहन में कौन सा रंग पहनना चाहिए?
उत्तर : होलिका दहन ही नहीं अधिकतर धार्मिक कर्मों में श्वेत वस्त्र धारण करने की चर्चा मिलती है। लेकिन कुछ लोगों ने राम और कृष्ण से भी होलिका को जोड़ लिया है और लाल-पीले कपड़े पहनने की बात करने लगे हैं।
प्रश्न : होलिका दहन करने के बाद क्या करना चाहिए?
उत्तर : होलिका दहन के बाद नाचना, गाना चाहिये हास-परिहास करना चाहिये। और गांवों में यह पुरानी परम्परा कुछ वर्षों पूर्व तक देखी जाती रही।
प्रश्न : होली से पहले की रात को क्या कहते हैं?
उत्तर : होली से पहले की रात को होलिका दहन की रात कहते हैं।
प्रश्न : क्या होलिका दहन पर काला पहन सकते हैं?
उत्तर : नहीं होलिका दहन भी एक पूजा कर्म की तरह ही होता है। इसलिये काला कपड़ा नहीं पहनना चाहिये।