चण्डी अर्चना में बलि की अनिवार्यता होती है और छाग बलि, महिष बलि आदि दिया जाता है। किन्तु पशुबलि का विधान सबके लिये नहीं है, जैसे वैष्णव व ब्राह्मणों के लिये पशुबलि का निषेध है किन्तु चण्डी की अर्चना में बलि अनिवार्य है इस कारण वैष्णव व ब्राह्मण जब चण्डी की अराधना करें तो उनके लिये पशुबलि के स्थान पर कूष्मांडबलि का विधान शास्त्रों में बताया गया है। यदि कूष्माण्ड की भी अनुपलब्धता हो तो नारिकेल बलि भी दिया जा सकता है। इस आलेख में कूष्माण्डबलि की विधि बताई गयी है जो विशेष उपयोगी है।
कुष्मांड बलि विधि
चण्डी अराधना में जहां कहीं भी पशुबलि का विधान है वहां वैष्णवों व ब्राह्मणों के लिये कूष्मांडबलि का विकल्प है। चण्डी की पूजा करने के उपरांत वस्त्र से वेष्टित करके कूष्मांड को भगवती के निकट रखे। तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल-द्रव्यादि लेकर संकल्प करे :
संकल्प : ॐ अद्येत्यादि …….. (महासप्तम्यां, महाष्टम्यां/महानवम्यां) अमुकोऽहं श्रीचण्डिकाप्रीतये कूष्माण्ड बलिदानं करिष्ये ॥
तत्पश्चात “कूष्माण्डबलये नमः” मंत्र से वस्त्र-वेष्टित कूष्माण्ड की पंचोपचार पूजा करे। पंचोपचार पूजा के उपरांत कूष्माण्ड की प्रार्थना करे :
ॐ कूष्माण्डो बलिरूपेण मम भाग्यादुपस्थितः । प्रणमामि ततः सर्वरूपिणं बलिरूपिणम् ॥
चण्डिकाप्रीतिदानेन दातुरापद्विनाशन । चामुण्डाबलिरूपाय बले तुभ्यं ददाम्यहम् ॥
तत्पश्चात “ऐं ह्रीं श्रीं” पढ़कर कूष्माण्ड के मूर्ध्नि पर पुष्प अर्पित करे।
तत्पश्चात “ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं कौशिक कुष्माण्डरसेनाप्यायताम् ॥” मंत्र पढ़कर कूष्माण्ड बलि भगवती को निवेदित करे।
छागबलि, कुमारी कन्या पूजन विधि आदि अन्य आलेख में प्रस्तुत किया गया है।
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