यहां पढ़ें छिन्नमस्ता स्तोत्र संस्कृत में – maa chinnamasta stotra

यहां पढ़ें छिन्नमस्ता स्तोत्र संस्कृत में - maa chinnamasta stotra

शिव शक्ति के विपरीत रति आलिंगन माता छिन्नमस्ता स्थित हैं, एक हाथ में खड्ग और दूसरे हाथ में मस्तक धारण किए हुए हैं। अपने कटे हुए स्कन्ध से रक्त की जो धाराएं निकलती हैं, उनमें से एक को स्वयं पीती हैं और अन्य दो धाराओं से अपनी जया और विजया नाम की दो सखियों की क्षुधा शांत रही हैं। इडा, पिंगला और सुषुम्ना इन तीन नाडियों का संधान कर योग मार्ग में सिद्धि को प्रशस्त करती हैं। विद्यात्रयी में यह दूसरी विद्या गिनी जाती हैं। यहां छिन्नमस्ता स्तोत्र (maa chinnamasta stotra) संस्कृत में दिया गया है।

यहां सर्वप्रथम माता छिन्नमस्ता के अनेकानेक ध्यान मंत्र दिये गये हैं तत्पश्चात अत्यंत प्रभावशाली ब्रह्मकृतं छिन्नमस्तास्तोत्रम् जिसे छिन्नमस्ता स्तवराज के नाम से भी जाना जाता है दिया गया है तत्पश्चात शंकराचार्य विरचित स्तोत्र जिसे प्रचण्डचण्डिका स्तवराज भी कहा जाता है दिया गया है और अंत में छिन्नमस्ता द्वादशनाम स्तोत्र जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण स्तोत्र है दिया गया है।

छिन्नमस्ता ध्यान

ध्यान ~ 1

ध्यान ~ 2

ध्यान ~ 3

ध्यान ~ 4

ब्रह्मकृतं छिन्नमस्ता स्तोत्रम्

शंकराचार्य विरचित प्रचण्डचण्डिका स्तवराज

छिन्नमस्ता द्वादशनाम स्तोत्र

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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