यहां पढ़ें त्रिपुर भैरवी सहस्रनाम स्तोत्र संस्कृत में – Tripura Bhairavi sahasranam stotra

यहां पढ़ें त्रिपुर भैरवी सहस्रनाम स्तोत्र संस्कृत में - Tripura Bhairavi sahasranam stotra

त्रिपुर शब्द का अर्थ है, तीनो लोक अर्थात “स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल” और भैरवी विनाश के एक सिद्धांत के रूप में अवस्थित हें, तात्पर्य है तीन लोको में सर्वनाशक या विध्वंस कि जो शक्ति है, वह भैरवी है। देवी त्रिपुर भैरवी का घनिष्ठ सम्बन्ध ‘काल भैरव’ से है, जो जीवित तथा मृत जीवों को उनके दुष्कर्मो के अनुसार दंड देते है तथा अत्यंत भयानक स्वरूप वाले तथा उग्र स्वाभाव वाले हैं। यहां त्रिपुर भैरवी सहस्रनाम स्तोत्र (Tripura Bhairavi sahasranam stotra) संस्कृत में दिया गया है।

भगवती त्रिपुरभैरवी ने ही मधुपान करके महिषका हृदय विदीर्ण किया था। रुद्रयामल एवं भैरवी कुल सर्वस्व में इनकी उपासना करने का विधान है। त्रिपुरभैरवी की स्तुति में कहा गया है कि भैरवी सूक्ष्म वाक् तथा जगत में मूल कारण की अधिष्ठात्री हैं। त्रिपुर भैरवी की उपासना से सभी बंधन दूर हो जाते हैं। त्रिपुर भैरवी ऊर्ध्वान्वय की देवता हैं।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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