रजोदर्शन
प्रत्येक रजस्राव के प्रथम दिन रजोदर्शन होने से उसे रजोदर्शन कहा गया है। कन्या के प्रथम रजोदर्शन हेतु वार, तिथि, नक्षत्र आदि संबंधी फलाफल का भी शास्त्रों में उल्लेख मिलता है।
अमारिक्ताष्टमीषष्ठीद्वादशीप्रतिपत्स्वपि । परिधस्यतुपूर्वार्द्धव्यतीपातेचवैधृतौ ॥
संध्यासूपप्लवेविष्टयामशुभंप्रथम त्र्त्तवम् ॥ रोगीपतिव्रतादुःखीपुत्रिणीभोगभागिनी ॥
पतित्रताक्लेशभाग सूर्यवारादिषुक्रमात् । वैधव्यंसुतलाभश्चमैत्रंशत्रुविवर्द्धनम् ॥
मित्रलाभा शत्रुवृद्धिः कुलर्द्धिर्बधुनाशनम् ॥ मरणंवंशवृद्धिश्चनिराहारःकुलक्षयः ॥
तेजश्चसुतनाशश्चकुलहानिस्तिथिक्रमात् ।
सुभगाचैवदुःशीला ध्यापुत्रसमन्विता। धर्मयुक्ताव्रतप्नीचपरसंतानमोदिनी॥
सुपुत्रा चैक पुत्रापितृवेश्मरतासदा। दीनाप्रजावतीचैवपुत्राढ्याचित्रकारिणी॥
साध्वीपतिप्रियानित्यंसुपुत्राकष्टचारिणी। स्वकर्मनिरताहिंस्त्रापुण्यपुत्रादिसंयुता॥
नित्यंधनचयासक्तापुत्रधान्यसमन्विता। मूर्खाचाज्ञापुण्य वतीदस्रर्थादेः क्रमात्फलम् ॥ – गर्ग
कुलीरवृषचापांत्यनृयुक्कन्यातुला घटाः ॥ राशयः शुभदाज्ञेयानारीणांप्रथमार्तवे ॥ – नारद
रजस्वला स्त्री के नियम
रजस्वला के लिये शास्त्रों में कुछ विशेष नियम बताये गये हैं जो उस स्त्री और उसके परिवार हेतु ही कल्याणकारी होते हैं : एकांतवास, ब्रह्मचर्यपालन, स्नानत्याग, तैलाभ्यंगत्याग, दन्तधावनत्याग, नख आदि न काटना, किसी वस्तु का छेदन-भेदन न करना, रस्सी न गूंथना, पर्णपात्र से जल न पीना, भूमि पर शयन करना, अन्य से सम्भाषण न करना, अमङ्गल और भयङ्कर का स्मरण न करना, पुण्यश्लोकों, पौराणिक दानवीरों महापुरुषों, आदि का स्मरण करना इत्यादि।
पुनः रजस्वला होना
पुनः रजस्वला होने के विषय में चर्चा का अभाव पाया जाता है। तथापि इसे जानना भी बहुत आवश्यक है। स्मृत्यर्थसार में पुनः रजस्वला होने के सम्बन्ध में विशेष जानकारी दी गयी है। रजस्वला स्नान करने के उपरांत 10 दिन के भीतर पुनः रजोदर्शन होने पर किसी प्रकार की अशुचि नहीं होती। अठारहवें दिन पुनः रजोदर्शन हो तो एक रात्रि की अशुद्धि होती है उन्नसवें दिन हो तो दो रात्रि की अशुद्धि होती है और बीसवें दिन हो तो त्रिरात्र शुद्धि होती है। प्रायः 20 दिन के उपरांत ही पुनः रजस्वला होना कहा गया है।
किन्तु स्मृत्यर्थसार में उपरोक्त पक्ष के साथ और भी एक पक्ष बताया गया है। नये विद्वानों द्वारा 20 दिन पूर्व अठारहवें दिन तक भी पुनः रजस्वला होने पर त्रिरात्र की अशुद्धि कहा गया है। इसमें एक पक्ष पुनः है कि तेरहवें दिन के पश्चात् अशुद्धि होती है किन्तु ग्यारहवें दिन से पहले अशुद्धि नहीं होती। इसमें भी पूर्ववत ग्यारहवें दिन एक रात्रि की, बारहवें दिन दो रात्रि की और तेरहवें दिन तीन रात्रि की अशुद्धि बतायी गयी है।
निष्कर्ष : यहां मुख्य रूप से दो पक्ष प्राप्त होता है 20 दिन के पश्चात् पुनः रजोदर्शन होना और 13 दिन के पश्चात् होना। अर्थात जो स्त्री 20 दिन के पश्चात् पुनः रजस्वला होती है यदि वह कदाचित अठारहवें दिन पुनः रजस्वला हो जाये तो एक रात्रि, उन्नीसवें दिन दो रात्रि और बीसवें दिन तीन रात्रि अर्थात पूर्ण अशुचित्व पक्ष को ग्रहण करे। इसी प्रकार जो स्त्री प्रायः 20 दिन से पूर्व ही पुनः रजस्वला होती हो वह तेरह दिन के पक्ष का उपरोक्त प्रकार ग्रहण करे।
F & Q :
प्रश्न : रजस्वला का अर्थ क्या है?
उत्तर : रजस्वला का अर्थ है राजयुक्त स्त्री अथवा स्त्री के उस रज से युक्त होना जो वृत्रासुर के वध से प्राप्त ब्रह्महत्या का अंश होता है।
प्रश्न : रजस्वला स्त्री को क्या क्या नहीं करना चाहिए?
उत्तर : रजस्वला स्त्री को रतिक्रिया, तेल-उबटन आदि लगाना, स्नान करना, दंतधावन करना (दातुन/ब्रश करना), नख-बाल आदि करना, किसी भी वस्तु का छेदन-भेदन करना, शय्या पर सोना, सम्भासन करना, देव-पितृ कर्म करना, अंमगल व भयंकर स्मरण-विचार करना आदि निषेध किया गया है।
प्रश्न : रजस्वला होने पर देव पूजा कैसे करें?
उत्तर : रजस्वला होने पर चार दिन विशेष रूप से देवपूजा आदि का निषेध किया गया है। पांचवें दिन यदि रजनिवृत्ति हो जाये तो पूजा कर सकती है। यदि व्रत-पूजा के दिन ही रजस्वला हो जाये तो आतुर स्नान करके किसी अन्य को देवपूजा के लिये प्रतिनिधि नियुक्त करे।
प्रश्न : रजस्वला स्त्री कितने दिन में शुद्ध होती है?
उत्तर : रजस्वला स्त्री चौथे दिन शुद्ध होती है। देव-पितृकर्म के लिये रजनिवृत्ति हो जाये तो पांचवें दिन ही शुद्ध होती है, अन्यथा सातवें दिन।
प्रश्न : रजस्वला स्त्री अपवित्र क्यों होती है?
उत्तर : रजस्वला स्त्री को जो रजस्राव होता है वह वृत्रासुर की हत्या से इंद्र को प्राप्त ब्रह्महत्या का चतुर्थांश होता है। अतः रजस्वला स्त्री उस ब्रह्महत्या रज से युक्त होने पर अपवित्र होती है।
प्रश्न : क्या पीरियड में सिंदूर लगाना चाहिए?
उत्तर : नहीं रजस्वला स्त्री के लिये शृंगार करना भी निषिद्ध होता है अतः पीरियड में सिंदूर भी नहीं करना चाहिये।
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