रामनवमी पूजा विधि और मंत्र संस्कृत में – Ram navami puja vidhi

रामनवमी पूजा विधि और मंत्र संस्कृत में – Ram navami puja vidhi

यहां हम रामनवमी के अवसर पर होने वाली पूजा विधि और मंत्रों को जानेंगे। बहुत लोग पूजा विधि और मंत्र भी हिंदी में ढूंढते हैं लेकिन पूजा विधि और मंत्र हिंदी में नहीं होते संस्कृत में ही होते हैं। हां उसके क्रम और विधियों के बारे में निर्देश हिंदी में भी किया जा सकता है।

रामनवमी पूजा विधि और मंत्र संस्कृत में – Ram navami puja vidhi

राम नवमी पूजा के लिये कर्मकाल मध्याह्नकाल होता है। पूजा विधि और मंत्रों को जानने से पहले कुछ अन्य विशेष महत्वपूर्ण बातें भी ज्ञात होना आवश्यक होता है :

  • ब्रह्ममुहूर्त में जगना : रामनवमी के दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्म संपन्न करे।
  • मण्डप : पूजा के लिये यदि मण्डप निर्माण कर सके तो सुन्दर मण्डप निर्माण करे।
  • मध्याह्नकाल : मध्याह्नकाल का निर्धारण ज्योतिषीय गणना द्वारा निर्धारित करें, कुछ लोग 12 बजे मध्याह्नकाल समझने की भूल करते हैं । मध्याह्नकाल का निर्धारण सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर किया जाता है जो अलग अलग जगहों पर अलग-अलग समय होता है।
  • पूजा : यदि प्रतिमायें क्रय की गई हो तो प्रतिमा की पूजा करें अन्यथा अष्टदल बनाकर अष्टदल पर पूजा करें।
  • अष्टदल में पूजा क्रम : अष्टदल के मध्य में भगवान श्रीराम, बांयी और सीता और दांयी और लक्ष्मण की पूजा करे। तत्पश्चात् पूर्वादि क्रम से अन्य 9 आवाहन पूजन करे।
  • प्राकृतिक सजावट : वर्तमान युग में कृत्रिम सजावट की बहुलता होते देखी जा रही है लेकिन धार्मिक कृत्यों में जहां तक संभव हो कृत्रिम सजावट से बचते हुये प्राकृतिक सजावट का प्रयास करना चाहिये।
  • जल : गङ्गाजल तो सभी पूजाओं में आवश्यक होता ही है, भगवान श्रीराम की पूजा में यदि सरयू जल भी उपलब्ध हो सके तो उत्तम होता है।

रामनवमी व्रत संबंधी अन्य विशेष नियमों को जानने के लिये इस आलेख को पढ़ें : श्री रामनवमी व्रत माहत्म्य

संपूर्ण पूजा विधि

मध्याह्नकाल (दोपहर) में पूजा की तैयारी करके घर या जहां भी पूजा करनी हो आसन पर बैठ कर  पवित्रीकरण  पंचदेवता और विष्णु की पूजा, स्वस्तिवाचन आदि करके पुनः संकल्प करें । विस्तृत विधि से पवित्रीकरण आदि अन्य आलेखों में वर्णित है जिसका लिंक ऊपर दिया गया है । लेकिन आवश्यकता के कारण यहां संक्षिप्त रूप से पवित्रीकरणादि भी दिया जा रहा है :-

संक्षिप्त पवित्रीकरण आदि

  • पवित्रीकरण मंत्र : ॐ अपवित्रः पवित्रोऽवा सर्वावस्थाङ्गतोऽपि वा यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याऽभ्यन्तरः शुचि: । पुण्डरीकाक्षः पुनातु । ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु ॥
  • आचमन मंत्र : ॐ केशवाय नमः । ॐ माधवाय नमः । ॐ नारायणाय नमः । तीन बार आचमन करके ओठों को अंगुष्ठमूल से पोंछकर हाथ धो लें – ॐ हृषीकेशाय नमः ॥
  • आसनशुद्धि मंत्र : ॐ पृथिवी त्त्वया धृता लोका देवी त्वम् विष्णुना धृता । त्वम् च धारय मां देवी पवित्रं कुरु चासनम् ॥
  • दिग्बंधन मंत्र : ॐ अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूमिसंस्थिताः । ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ॥ बांयें हाथ पीली सरसों लेकर दाहिने हाथ से ढंककर अभिमंत्रित करे, तत्पश्चात दशों दिशाओं में छिड़काव करना चाहिए।
  • रक्षाबंधन या मौली बांधना : ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः । तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥ इस मंत्र से रक्षासूत्र बांधे।
रामनवमी पूजा विधि
रामनवमी पूजा विधि

पञ्चदेवता व विष्णु पूजा विधि

पंञ्चदेवता पूजन :–

  • अक्षत : इदं अक्षतं ॐ सूर्यादि पञ्चदेवता: इहागच्छत इह तिष्ठत ।
  • जल : एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयानि ॐ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नम: ।
  • फूल चंदन : इदं सचंदनपुष्पं ॐ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नम: ।
  • अक्षत : इदं अक्षतं ॐ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नम: ।
  • जल : एतानि गंधपुष्पधूपदीपताम्बूल यथाभागनैवेद्यं ॐ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नम: ।
  • जल : आचमनीयं पुनराचमनीयम् ॐ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नम: ।
  • फूल : पुष्पांजलिं ॐ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नम: ।
  • विसर्जन : ॐ सूर्यादि पञ्चदेवता: पूजितास्थ प्रसीदत प्रसन्ना: भवत छमध्वं स्व-स्व स्थानं गच्छत।

विष्णु पूजन मंत्र :–

  • तिल-यव : एते यवतिलाः ॐ भूर्भुवः स्व: भगवन् श्रीविष्णो इहागच्छ इह तिष्ठ।
  • जल : एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयानि ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः।
  • फूल चंदन : इदं सचंदनपुष्पं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः।
  • तिल-यव : एते यवतिलाः ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः।
  • तुलसी : एतानि तुलसीदलानि ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः।
  • जल : एतानि गंधपुष्पधूपदीपताम्बूल यथाभागनैवेद्यं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः।
  • जल : आचमनीयं पुनराचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः।
  • फूल : पुष्पांजलिं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः।
  • विसर्जन : ॐ भूर्भुवः स्व: भगवन् विष्णो पूजितोसि प्रसीद प्रसन्नो भव छमस्व स्व स्थानं गच्छ ।

फिर संकल्प द्रव्य – त्रिकुशा, पान, सुपारी, तिल, जल, पुष्प, चंदन, द्रव्य आदि लेकर संकल्प करे :

कलश स्थापन : कलशस्थापन – पूजन की विधि अलग से दी गयी है।

रामनवमी पूजा विधि और मंत्र संस्कृत में
रामनवमी पूजा विधि और मंत्र संस्कृत में

संक्षिप्त दशदिक्पाल व नवग्रह पूजन विधि मंत्र :

नवग्रह : इदं अक्षतं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीसूर्यादि नवग्रहाः इहागच्छत इह तिष्ठत । आवाहन करके सभी वस्तुओं से पूजा करें, पूजन मंत्र – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीसूर्यादि नवग्रहेभ्यो नमः। एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीय-पुनराचमनीयानि ० , इदमनुलेपनं ०, इदमक्षतं०, इदं पुष्पं०, एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल यथाभागं नैवेद्यं०, इदमाचमनीयं ०, इदं दक्षिणा-द्रव्यं०, एष पुष्पाञ्जलिः – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीसूर्यादि नवग्रहेभ्यो नमः।

यदि प्रतिमायें हों तो पुष्पों द्वारा उपरोक्त मंत्रों से सबका स्पर्श करके अगले मंत्र से प्राणप्रतिष्ठा करे, यदि प्रतिमायें न हो तो अष्टदल पर करे :

तिल लेकर प्राण-प्रतिष्ठा करे : ॐ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टंयज्ञ ᳪ समिमं दधातु। विश्वे देवास इह मादयन्तामों ३  प्रतिष्ठ ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः भगवन् श्री रामचन्द्र इहागच्छ इह तिष्ठ इह सुप्रष्ठितोभव ॥ इसी प्रकार सीता, लक्ष्मण आदि की भी प्राण-प्रतिष्ठा करके भगवान का ध्यान करे :

ध्यान : ॐ कोमलाङ्गं विशालाक्षमिन्द्रनीलसमप्रभम् । दक्षिणांशे दशरथं पुत्रावेक्षणतत्परम् ॥ पृष्ठतो लक्ष्मणं देवं सच्छत्रं कनकप्रभम् । पार्श्वे भरतशत्रुघ्नौ तालवृन्तकरावुभौ ॥ अग्रे व्यग्रं हनूमन्तं रामानुग्रहकांक्षिणम् ॥

Ram navami puja vidhi
Ram navami puja vidhi
  • आवाहन – ॐ आवाहयामि विश्वेशं जानकीवल्लभं विभुम् । कौशल्यातनयं विष्णुं श्रीरामं प्रकृतेः परम् ॥
  • सन्निधापन – ॐ श्रीरामागच्छ भगवन् रघुवीर नृपोत्तम । जानक्या सह राजेन्द्र सुस्थिरो भव सर्वदा ॥ रामभद्र महेष्वास रावणान्तक राघव । यावत्पूजां करोम्यद्य तावत्त्वं सन्निधो भव ॥
  • अभिमुखीकरण – ॐ रघुनायक राजर्षे नमो राजीवलोचन । रघुनन्दन मे देव श्रीरामाभिमुखो भव ॥
  • आसन – ॐ राजाधिराज राजेन्द्र रामचन्द्र महीपते । रत्नसिंहासनं तुभ्यं दास्यामि स्वीकुरु प्रभो ॥ इदमासनं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • पाद्य – ॐ त्रैलोक्यपावनानन्त नमस्ते रघुनायक । पाद्यं गृहाण राजर्षे नमो राजीवलोचन ॥ इदं पाद्यम् ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥ पाद्य देकर शङ्ख से अर्घ्य दे, अर्घ्य देने के लिये शङ्ख में फल, पुष्प, जल, दूर्वा, तुलसी, अशोकपत्र आदि ले :
  • अर्घ्य – ॐ दशग्रीवविनाशाय जातोऽसि रघुनन्दन । गृहाणार्घ्यं मया दत्तं प्रसीद परमेश्वर ॥ एषोऽर्घः ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • आचमन – ॐ नमः सत्याय शुद्धाय नित्याय ज्ञानरूपिणे । गृहाणाचमनं नाथ सर्वलोकैक नायक ॥ इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • मधुपर्क – ॐ नमः श्रीवासुदेवाय तत्त्वज्ञानरूपिणे । मधुपर्कं गृहाणेदं जानकीपतये नमः ॥ एष मधुपर्कः ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • आचमन – इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • पञ्चामृत – ॐ पयो दधि घृतं गव्यं माक्षिकं शर्करा तथा। पञ्चामृतेन स्नपनं गृहाण जगतः पते ॥ इदं पञ्चामृतस्नानीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • शुद्धोदक – ॐ ब्रह्माण्डोदरमध्यस्थैस्तीर्थतोयै रघूत्तम । त्वां स्नापयाम्यहं भक्त्या तद् गृहाण जनार्दन ॥ इदं शुद्धोदकं ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • आचमन – इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • वस्त्र – ॐ तप्तकाञ्चनसंकाश पीताम्बरमिदं हरे । संगृहाण जगन्नाथ रामचन्द्र नमोऽस्तु ते ॥ इदं पीतवस्त्रं बृ ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • आचमन – इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • यज्ञोपवीतं – ॐ श्रीरामाच्युत यज्ञेश श्रीधरानन्त राघव । ब्रह्मसूत्रं सोतरीयं गृहाण रघुनन्दन ॥ इदं यज्ञोपवीतं ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • आचमन – इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • चन्दन – ॐ कुङ्कुमागरुकस्तूरी कर्पूरं चन्दनं तथा । तुभ्यं दास्यामि राजेन्द्र श्रीराम स्वीकुरु प्रभो ॥ इदं श्रीखण्डचन्दनम् ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • तिल, जौ – ॐ तिला यवाः सुरश्रेष्ठ कम्बूजाश्च सुशोभनाः । वासुदेव जगन्नाथ प्रीत्यर्थं स्वीकुरु प्रभो ॥ एते यवतिलाः ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • पुष्प – ॐ सुगन्धीनि सुपुष्पाणि देशकालोद्भवानि च । मयानीतानि पूजार्थं प्रीत्या स्वीकुरु तानि मे ॥ एतानि पुष्पाणि ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • तुलसी – ॐ तुलसीं हेमरूपां च रत्नरूपां च मञ्जरीम् । भवमोक्षप्रदां तुभ्यमर्पयामि हरिप्रियाम् ॥ एतानि तुलसी पत्राणि ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • दूर्वा – एतानि दूर्वादलानि ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • माला – ॐ नानापुष्पविचित्राढयां पुष्पमालां सुशोभनाम् । प्रयच्छामि च राजर्षे गृहाण परमेश्वर ॥ इदं पुष्पमाल्यं ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • आचमन – इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥

अङ्ग पूजा –

  1. ॐ श्रीरामचन्द्राय नमः, पादौ पूजयामि ॥
  2. श्रीराजीवलोचनाय नमः, गुल्फौ पूजयामि ॥
  3. श्रीरावणान्तकाय नमः, जानुनी पूजयामि ॥
  4. श्रीवाचस्पतये नमः ऊरू पूजयामि ॥
  5. श्रीविश्वरूपाय नमः, जङ्घे पूजयामि ॥
  6. श्रीलक्ष्मणाग्रजाय नमः, कटिं पूजयामि ॥
  7. श्रीविश्वमूर्तये नमः, मेढ्रं पूजयामि ॥
  8. श्रीविश्वामित्रप्रियाय नमः, नाभिं पूजयामि ॥
  9. श्रीपरमात्मने नमः, हृदयं पूजयामि ॥
  10. श्रीश्रीकण्ठाय नमः, कण्ठं पूजयामि ॥
रामनवमी पूजा विधि और मंत्र
रामनवमी पूजा विधि और मंत्र
  1. श्रीसर्वास्त्रधारिणे नमः, बाहू पूजयामि ॥
  2. श्रीरघूद्वहाय नमः, मुखं पूजयामि ॥
  3. श्रीपद्मनाभाय नमः, जिह्वां पूजयामि ॥
  4. श्रीदामोदराय नमः, दन्तान् पूजयामि ॥
  5. श्रीसीतापतये नमः, ललाटं पूजयामि ॥
  6. श्रीज्ञानगम्याय नमः, शिरः पूजयामि ॥
  7. श्रीसर्वात्मने नमः, सर्वाङ्गं पूजयामि ॥
  • धूप – ॐ वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः । रामचन्द्र महापाल धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम् ॥ एष धूपः ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • दीप – ॐ ज्योतिषां पतये तुभ्यं नमो रामाय वेधसे । गृहाण दीपकं चैव त्रैलोक्य तिमिरापहम् ॥ एष दीपः ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • नैवेद्य – ॐ दिव्याम्नरससंयुक्तं नानाभक्ष्यैस्तु संयुतम् । चोष्यपेयसमायुक्तं गृहाणान्नं नमोऽतु ते ॥ एतानि नानाविधनैवेद्यानि ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • आचमन – ॐ नमस्ते देव देवेश सर्वंतृप्तिकर परम् । अखण्डानन्दसम्पूर्णं गृहाण जलमुत्तमम् ॥ इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • ताम्बूल – ॐ नागवल्लीदलैर्युक्तं पूगीफलसमन्वितम् । ताम्बूलं गृह्यतां देव कर्पूरादिसमन्वितम् । इदं ताम्बूलं ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • दक्षिणाद्रव्य – ॐ हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः । अनन्तपुण्य फलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे ॥ इदं दक्षिणार्थं द्रव्यम् ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • प्रदक्षिणा – ॐ यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्यासमानि च । तानि तानि प्रणश्यन्तु प्रदक्षिण पदे पदे ॥ प्रदक्षिणां ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥
  • प्रणाम करे – ॐ नमस्ते पुण्डरीकाक्ष त्राहि मां भवसागरात् । सर्वपापप्रणाशाय दण्डवत् प्रणमाम्यहम् ॥

सीता जी की पूजा

अर्घ्य – ॐ दशाननविनाशाय जाता धरणिसम्भवा । मैथिली शीलसम्पन्ना पातु नः पतिदेवता ॥ एषोर्घ्यः ॐ श्रीसीतायै नमः ॥

  • जल – एतानि पाद्यादीनि ॐ श्रीसीतायै नमः ॥
  • चंदन – इदमनुलेपनम् ॐ श्रीसीतायै नमः ॥
  • सिंदूर – इदं सिन्दूरम् ॐ श्रीसीतायै नमः ॥
  • अक्षत – इदमक्षतम् ॐ श्रीसीतायै नमः ॥
  • फूल – एतानि पुष्पाणि ॐ श्रीसीतायै नमः ॥
  • वस्त्र – इदं वस्त्रम् ॐ श्रीसीतायै नमः ॥
  • जल – एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल नानाविधनैवेद्यानि ॐ श्रीसीतायै नमः ॥
  • जल – इदमाचमनीयम् ॐ श्रीसीतायै नमः ॥
  • पुष्पाञ्जलि – एष पुष्पाञ्जलिः ॐ श्रीसीतायै नमः ॥

श्री लक्ष्मण जी की पूजा

  • जल – एतानि पाद्यादीनि ॐ श्रीलक्ष्मणाय नमः ॥
  • चंदन – इदमनुलेपनम् ॐ श्रीलक्ष्मणाय नमः ॥
  • तिल, जौ – एते यवतिलाः ॐ श्रीलक्ष्मणाय नमः ॥
  • फूल – एतानि पुष्पाणि ॐ श्रीलक्ष्मणाय नमः ॥
  • पीत वस्त्र – इदं पीत वस्त्रम् ॐ श्रीलक्ष्मणाय नमः ॥
  • यज्ञोपवीत – इमे यज्ञोपवीते ॐ श्रीलक्ष्मणाय नमः ॥
  • जल – एतानि गन्घ-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल नानाविधनैवेद्यानि ॐ श्रीलक्ष्मणाय नमः ॥
  • जल – इदमाचमनीयम् ॐ श्रीलक्ष्मणाय नमः ॥
  • पुष्पाञ्जलि – एष पुष्पाञ्जलिः ॐ श्रीलक्ष्मणाय नमः ॥

श्री दशरथ पूजन – पूर्वदल

  • जल – एतानि पाद्यादीनि ॐ श्रीदशरथाय नमः ॥
  • चंदन – इदमनुलेपनम् ॐ श्रीदशरथाय नमः ॥
  • अक्षत – इदमक्षतम् ॐ श्रीदशरथाय नमः ॥
  • फूल – एतानि पुष्पाणि ॐ श्रीदशरथाय नमः ॥
  • पीत वस्त्र – इदं पीत वस्त्रम् ॐ श्रीदशरथाय नमः ॥
  • यज्ञोपवीत – इमे यज्ञोपवीते ॐ श्रीदशरथाय नमः ॥
  • जल – एतानि गन्घ-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल नानाविधनैवेद्यानि ॐ श्रीदशरथाय नमः ॥
  • जल – इदमाचमनीयम् ॐ श्रीदशरथाय नमः ॥
  • पुष्पाञ्जलि – एष पुष्पाञ्जलिः ॐ श्रीदशरथाय नमः ॥

श्री कौशल्या पूजन – आग्नेयदल

  • जल – एतानि पाद्यादीनि ॐ श्रीकौशल्यायै नमः ॥
  • चंदन – इदमनुलेपनम् ॐ श्रीकौशल्यायै नमः ॥
  • अक्षत – इदमक्षतम् ॐ श्रीकौशल्यायै नमः ॥
  • फूल – एतानि पुष्पाणि ॐ श्रीकौशल्यायै नमः ॥
  • वस्त्र – इदं वस्त्रम् ॐ श्रीकौशल्यायै नमः ॥
  • सिंदूर – इदं सिन्दूरम् ॐ श्रीकौशल्यायै नमः ॥
  • जल – एतानि गन्घ-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल नानाविधनैवेद्यानि ॐ श्रीकौशल्यायै नमः ॥
  • जल – इदमाचमनीयम् ॐ श्रीकौशल्यायै नमः ॥
  • पुष्पाञ्जलि – एष पुष्पाञ्जलिः ॐ श्रीकौशल्यायै नमः ॥

श्री कैकेयी पूजन – याम्यदल

  • जल – एतानि पाद्यादीनि ॐ श्रीकैकेय्यै नमः ॥
  • चंदन – इदमनुलेपनम् ॐ श्रीकैकेय्यै नमः ॥
  • अक्षत – इदमक्षतम् ॐ श्रीकैकेय्यै नमः ॥
  • फूल – एतानि पुष्पाणि ॐ श्रीकैकेय्यै नमः ॥
  • वस्त्र – इदं वस्त्रम् ॐ श्रीकैकेय्यै नमः ॥
  • सिंदूर – इदं सिन्दूरम् ॐ श्रीकैकेय्यै नमः ॥
  • जल – एतानि गन्घ-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल नानाविधनैवेद्यानि ॐ श्रीकैकेय्यै नमः ॥
  • जल – इदमाचमनीयम् ॐ श्रीकैकेय्यै नमः ॥
  • पुष्पाञ्जलि – एष पुष्पाञ्जलिः ॐ श्रीकैकेय्यै नमः ॥

श्री सुमित्रा पूजन – नैऋत्यदल

  • जल – एतानि पाद्यादीनि ॐ श्रीसुमित्रायै नमः ॥
  • चंदन – इदमनुलेपनम् ॐ श्रीसुमित्रायै नमः ॥
  • अक्षत – इदमक्षतम् ॐ श्रीसुमित्रायै नमः ॥
  • फूल – एतानि पुष्पाणि ॐ श्रीसुमित्रायै नमः ॥
  • वस्त्र – इदं वस्त्रम् ॐ श्रीसुमित्रायै नमः ॥
  • सिंदूर – इदं सिन्दूरम् ॐ श्रीसुमित्रायै नमः ॥
  • जल – एतानि गन्घ-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल नानाविधनैवेद्यानि ॐ श्रीसुमित्रायै नमः ॥
  • जल – इदमाचमनीयम् ॐ श्रीसुमित्रायै नमः ॥
  • पुष्पाञ्जलि – एष पुष्पाञ्जलिः ॐ श्रीसुमित्रायै नमः ॥

श्री भरत पूजन – पश्चिमदल

  • जल – एतानि पाद्यादीनि ॐ श्रीभरताय नमः ॥
  • चंदन – इदमनुलेपनम् ॐ श्रीभरताय नमः ॥
  • अक्षत – इदमक्षतम् ॐ श्रीभरताय नमः ॥
  • फूल – एतानि पुष्पाणि ॐ श्रीभरताय नमः ॥
  • पीत वस्त्र – इदं पीत वस्त्रम् ॐ श्रीभरताय नमः ॥
  • यज्ञोपवीत – इमे यज्ञोपवीते ॐ श्रीभरताय नमः ॥
  • जल – एतानि गन्घ-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल नानाविधनैवेद्यानि ॐ श्रीभरताय नमः ॥
  • जल – इदमाचमनीयम् ॐ श्रीभरताय नमः ॥
  • पुष्पाञ्जलि – एष पुष्पाञ्जलिः ॐ श्रीभरताय नमः ॥

ततो बायव्यदले पुष्पाक्षतैः – ओं भूर्भुवः स्वः श्रोशत्रुघ् । इह गच्छ इह तिष्ठेत्याबाह्य अर्घ्यमादाय-ओं लवणान्तक शत्रुघ्न शत्रु काननपावक । गृहाणायं मया दत्तं प्रसीद कुरु मे शुभम् ॥ एतानि पाद्यादीनि ओं श्रोशत्रुघ्नाय नमः । एवं चन्दनादिभिः पूजयेत् ।

श्री शत्रुघ्न पूजन – वायव्यदल

  • जल – एतानि पाद्यादीनि ॐ श्रीशत्रुघ्नाय नमः ॥
  • चंदन – इदमनुलेपनम् ॐ श्रीशत्रुघ्नाय नमः ॥
  • अक्षत – इदमक्षतम् ॐ श्रीशत्रुघ्नाय नमः ॥
  • फूल – एतानि पुष्पाणि ॐ श्रीशत्रुघ्नाय नमः ॥
  • पीत वस्त्र – इदं पीत वस्त्रम् ॐ श्रीशत्रुघ्नाय नमः ॥
  • यज्ञोपवीत – इमे यज्ञोपवीते ॐ श्रीशत्रुघ्नाय नमः ॥
  • जल – एतानि गन्घ-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल नानाविधनैवेद्यानि ॐ श्रीशत्रुघ्नाय नमः ॥
  • जल – इदमाचमनीयम् ॐ श्रीशत्रुघ्नाय नमः ॥
  • पुष्पाञ्जलि – एष पुष्पाञ्जलिः ॐ श्रीशत्रुघ्नाय नमः ॥

श्री सुग्रीव पूजन – उत्तरदल

  • जल – एतानि पाद्यादीनि ॐ श्रीसुग्रीवाय नमः ॥
  • चंदन – इदमनुलेपनम् ॐ श्रीसुग्रीवाय नमः ॥
  • अक्षत – इदमक्षतम् ॐ श्रीसुग्रीवाय नमः ॥
  • फूल – एतानि पुष्पाणि ॐ श्रीसुग्रीवाय नमः ॥
  • पीत वस्त्र – इदं पीत वस्त्रम् ॐ श्रीसुग्रीवाय नमः ॥
  • यज्ञोपवीत – इमे यज्ञोपवीते ॐ श्रीसुग्रीवाय नमः ॥
  • जल – एतानि गन्घ-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल नानाविधनैवेद्यानि ॐ श्रीसुग्रीवाय नमः ॥
  • जल – इदमाचमनीयम् ॐ श्रीसुग्रीवाय नमः ॥
  • पुष्पाञ्जलि – एष पुष्पाञ्जलिः ॐ श्रीसुग्रीवाय नमः ॥

श्री हनुमान पूजन – ईशानदल

अर्घ्य – ॐ कर्मकुम्भीरसङ्कीर्णमुत्तीर्णोऽसि महार्णवं। हनूमते नमस्तुभ्यं गृहाणार्घ्यं महामते ॥ एषोर्घ्यः ॐ श्रीहनूमते नमः ॥

  • जल – एतानि पाद्यादीनि ॐ श्रीहनूमते नमः ॥
  • चंदन – इदमनुलेपनम् ॐ श्रीहनूमते नमः ॥
  • अक्षत – इदमक्षतम् ॐ श्रीहनूमते नमः ॥
  • फूल – एतानि पुष्पाणि ॐ श्रीहनूमते नमः ॥
  • पीत वस्त्र – इदं पीत वस्त्रम् ॐ श्रीहनूमते नमः ॥
  • यज्ञोपवीत – इमे यज्ञोपवीते ॐ श्रीहनूमते नमः ॥
  • जल – एतानि गन्घपुष्पधूपदीपताम्बूल नानाविधनैवेद्यानि ॐ श्रीहनूमते नमः ॥
  • जल – इदमाचमनीयम् ॐ श्रीहनूमते नमः ॥
  • पुष्पाञ्जलि – एष पुष्पाञ्जलिः ॐ श्रीहनूमते नमः ॥
श्री हनुमान पूजन
श्री हनुमान पूजन

तत्पश्चात विभीषणादि का पूजन करे :

  • विभीषण पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीविभीषण इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ श्रीविभीषणाय नमः॥
  • नल पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनल इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ श्रीनलाय नमः॥
  • नील पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनील इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ श्रीनीलाय नमः॥

पुनः धृष्टादि का पूजन करे :

  • धृष्टि पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः धृष्टे इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ धृष्ट्यै नमः॥
  • जयन्त पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः जयन्त इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ जयन्ताय नमः॥
  • जय पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः जय इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ जयाय नमः॥
  • विजय पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः विजय इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ विजयाय नमः॥
  • सुराष्ट्र पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः सुराष्ट्र इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ सुराष्ट्राय नमः॥
  • राष्ट्रवर्द्धन पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः राष्ट्रवर्द्धन इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ राष्ट्रवर्द्धनाय नमः॥
  • अकोपन पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः अकोपन इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ अकोपनाय नमः॥
  • धर्मपाल पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः धर्मपाल इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ धर्मपालाय नमः॥
  • सुमन्तु पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः सुमन्तो इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ सुमन्तवे नमः॥

फिर दिशाक्रमानुसार अष्टदलाग्र पर दशदिक्पालों का पूजन करे :

  • इन्द्र पूजन (पूर्व) : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्र इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ इन्द्राय नमः॥
  • अग्नि पूजन (अग्निकोण) : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः अग्ने इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ अग्नये नमः॥
  • यम पूजन (दक्षिण) : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः यम इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ यमाय नमः॥
  • निर्ऋति पूजन (नैर्ऋत्य कोण) : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः निर्ऋते इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ निर्ऋतये नमः॥
  • वरुण पूजन (पश्चिम) : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ वरुणाय नमः॥
  • वायु पूजन (वायव्य कोण) : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः वायो इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ वायवे नमः॥
  • कुबेर पूजन (उत्तर) : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः कुबेर इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ कुबेराय नमः॥
  • ईशान पूजन (ईशान कोण) : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः ईशान इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ ईशानाय नमः॥
  • ब्रह्मा पूजन (पूर्व-ईशान मध्य) : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः ब्रह्मन् इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ ब्रह्मणे नमः॥
  • अनन्त पूजन (पश्चिम-नैर्ऋत्य मध्य) : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः अनन्त इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ अनन्ताय नमः॥

तत्पश्चात अस्त्र-शस्त्र पूजन करे :

  • वज्र पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः वज्र इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ वज्राय नमः॥
  • शक्ति पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः शक्ते इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ शक्तये नमः॥
  • दण्ड पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः दण्ड इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ दण्डाय नमः॥
  • खड्ग पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः खड्ग इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ खड्गाय नमः॥
  • पाश पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः पाश इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ पाशाय नमः॥
  • अंकुश पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः अंकुश इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ अंकुशाय नमः॥
  • गदा पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः गदे इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ गदायै नमः॥
  • शूल पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः शूल इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ शूलाय नमः॥
  • चक्र पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः चक्र इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ चक्राय नमः॥
  • शङ्ख पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः शङ्ख इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ शङ्खाय नमः॥
  • पद्म पूजन : आवाहन – ॐ भूर्भुवः स्वः पद्म इहागच्छ इहतिष्ठ॥ पूजन नाममंत्र – ॐ पद्माय नमः॥

हवन विधि – वाजसनेयी हवन विधि – छन्दोग

पुष्पाञ्जलि मंत्र :

तत्पश्चात स्तुति, भजन, प्रार्थना आदि करके रामनवमी माहात्म्य का श्रवण करे :

सायंकाल पुनः स्नानादि करके पुष्पाञ्जलि दे । पुष्पाञ्जलि मंत्र :

ॐ नमो देवाधिदेवाय रघुनाथाय शार्ङ्गिणे । चित्सदानन्दरूपाय सीतायाः पतये नमः ॥
नमः सर्वहितार्थाय जगदाधारहेतवे । साष्टाङ्गोऽयं प्रणामस्ते प्रयत्नेन मया कृतः ॥
सर्वलोकशरण्याय रामचन्द्राय वेधसे । ब्रह्मानन्दैकरूपाय सीतायाः पतये नमः ।
ॐ नमस्ते देवदेवेश सुरासुरपते जय। जय कामद भक्तानां जय दाशरते प्रभो ॥
जय सीतापते नाथ जय भग्नेशकार्मुक । जय ब्रह्माण्डखण्डेश जय रावणमर्दन ॥
जय बालिकपोशघ्न जय सुग्रीव राज्यद । जय द्विजगणानन्द जय वायुसुतप्रिय ॥
एष पुष्पाञ्जलिः ॐ साङ्गसायुधसपरिवाराय श्रीरामचन्द्राय नमः ॥

पुष्पाञ्जलि देकर फिर आरति करे –
ॐ कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरेण समन्वितम् । आारार्तिक्यं गृहाणेदं जानकीसहितप्रभो ॥ इदमारार्तिक्यं ॐ साङ्गसायुधसपरिवाराय श्रीरामचन्द्राय नमः ॥

फिर नृत्य-गीत-वाद्य वादनादि करते हुये रात्रि जागरण करे। प्रातः काल अरुणोदय वेला में पुनः नित्यकर्मादि करके सभी देवताओं की पूजा करके पुष्पाञ्जलि प्रदान करके विसर्जन करे :

ॐ देव पूजां मत्कृतां सौभाग्यशुभदां सदा । गृहीत्वा गच्छ स्वस्थानमपराधं क्षमस्व मे ॥
ॐ न्यूनाधिकं च यत्किञ्चिन्नवम्यां च मया कृतम् । कृपां मयि विधायेत्थं क्षमस्व पूरुषोत्तम ॥
ॐ रामचन्द्र सुराधीष वैकुण्ठं व्रज पार्थिव । पूजां मदीयामादाय मम स्वस्तिकरो भव ॥
ॐ रूपं देहि जयं देहि भाग्यं भगवन् देहि मे । धर्मान् देहि धनं देहि सर्वान् कामान् प्रदेहि मे ॥
ॐ यान्तु देवगणाः सर्वे पूजामादाय मामकीम् । इष्टकाम प्रसिद्धयर्थं पुनरागमनाय च ॥

ॐ साङ्गसायुधसपरिवार श्रीरामचन्द्र पूजितोऽसि प्रसीद क्षमस्व स्वस्थानं गच्छ ॥
ॐ लक्ष्मणादयो देवताः पूजिताः स्थ क्षमध्वं स्व-स्व स्थानं गच्छत ॥

दक्षिणा : तिल, जल, दक्षिणा लेकर – ॐ अद्य कृतैतत् श्रीरामनवमी व्रतनिमित्तक साङ्गसायुध सपरिवार श्रीरामादि पुजनमाहात्म्य श्रवण कर्म प्रतिष्ठार्थमेतावद्रव्यमूल्यक हिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहन्ददे ॥ आचार्य को दक्षिणा देकर यदि संभव हो तो भूयसी दक्षिणा भी करे :

भूयसी दक्षिणा मंत्र : ॐ अद्य कृतैतत् साङ्गसायुध सपरिवार श्रीरामादि पुजन कर्मणि न्यूनाधिक कर्मदोष प्रशमनार्थमेतावद्रव्य मूल्यक हिरण्यमग्निदैवतं नानानाम गोत्रेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो भूयसीं दक्षिणां दातुमहमुत्सृज्ये ॥ इस प्रकार भूयसी दक्षिणा करके बहुत सारे ब्राह्मणों को दे।

फिर अगले मंत्रों द्वारा व्रत की सम्पूर्णता के लिये प्रार्थना करे :
ॐ यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या व्रतपूजाक्रियादिषु । न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम् ॥
ॐ प्रमादात् कुर्वतां कर्म प्रच्यवेताध्वरेषु यत् । स्मरणादेव तद्विष्णोः सम्पूर्णं स्यादिति श्रुतिः ॥
ॐ इमां पूजां मया देव यथाशक्ति निवेदिताम् । रक्षणार्थं समादाय व्रज स्वस्थानमुत्तमम् ॥

फिर धातुप्रतिमा हो तो आचार्य को दे, यदि मिट्टी की प्रतिमा हो तो नृत्य-गीतादि पूर्वक अगाध जल में विसर्जित करे। फिर ब्राह्मणभोजन कराकर स्वयं भी भोजन करे।

महाशिवरात्रि कब है   महाशिवरात्रि पूजा विधि   महाशिवरात्रि व्रत कथा   महाशिवरात्रि पूजन सामग्री   होलिका दहन कब है   होलिका दहन विधि   होली कब है अचला सप्तमी कब है   सरस्वती पूजा कब है   सरस्वती पूजा विधि  नवरात्रि कब है   दुर्गा पूजा विधि  काली पूजा  दुर्गा सप्तशती पाठ रामनवमी कब है

आरती

श्री राम चंद्र कृपालु भजुमन हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कञ्जारुणम्॥

भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्॥

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-दूषणं ॥

आरती
आरती

मनु जाहि राचेऊ मिलिहि सो वरु सहज सुंदर सावरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥

दोहा –
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे ॥

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