दैनिक पूजा के लिए सही देवता का चयन कैसे करें - How to Choose the Right Deity for Daily Puja

दैनिक पूजा के लिए सही देवता का चयन कैसे करें – How to Choose the Right Deity for Daily Puja

दैनिक पूजा के लिए सही देवता का चयन कैसे करें – How to Choose the Right Deity for Daily Puja : क्या आप अपनी आध्यात्मिक यात्रा में भटके हुए हैं? निश्चित नहीं हैं कि कौन सा देवता आपकी आत्मा के साथ प्रतिध्वनित होता है? आपके और ईश्वर के बीच एक गहरा संबंध है। अपनी दैनिक पूजा के लिए सही देवता चुनने के पीछे छिपे ज्ञान को उजागर करें और आत्मज्ञान के लिए एक व्यक्तिगत मार्ग खोजें।

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घर में दैनिक पूजा में होने वाली सामान्य गलतियाँ - Common mistakes in daily pooja at home

घर में दैनिक पूजा में होने वाली सामान्य गलतियाँ – Common mistakes in daily pooja at home

घर में दैनिक पूजा में होने वाली सामान्य गलतियाँ – Common mistakes in daily pooja at home : यह आलेख घर पर की जाने वाली दैनिक पूजा में होने वाली कुछ आम त्रुटियों पर प्रकाश डालता है और यह सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक सुझाव देता है कि आपकी पूजा सार्थक और प्रभावी दोनों हो।

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सरल पूजा विधि

सरल पूजा विधि या दैनिक पूजा विधि

सरल पूजा विधि या दैनिक पूजा विधि : सरल पूजा विधि वह होती है, जिसमें ब्राह्मणों और मंत्रों की आवश्यकता नहीं होती और उपलब्ध सामग्री से पूजा की जा सकती है। इसे दैनिक पूजा विधि भी कहा जाता है। स्थान की सफाई, पवित्र और धुले वस्त्रों में पूजा करना, और दैनिक पूजा एक निर्धारित समय और स्थान पर करना कुछ मूल नियम होते हैं। पूजा के समय आत्मा को संसार से उन्मुक्त करके, भगवान में लगाना चाहिए। दैनिक पूजा में सरलता एवं शास्त्रानुसार पञ्चोपचार पूजा विधि को माना जाता है, जहाँ चंदन, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य का ही उपयोग होता है।

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पूजा क्या है ?

पूजा क्या है – Puja Kya hai

पूजा क्या है – Puja Kya hai : प्रत्येक मनुष्य जीवन में सुख, समृद्धि, शांति आदि की इच्छा करता है और जीवन के बाद भी स्वर्गादि की प्राप्ति हो। ये सभी कामना हैं जो दो प्रकार के सिद्ध होते हैं; पहला लौकिक और दूसरा पारलौकिक। शास्त्रों में चार पुरुषार्थ कहे गये हैं – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। लेकिन पुरुषार्थ चतुष्टय भी इन दोनों प्रकारों में सन्निहित है। पूजा की सामान्य परिभाषा इस प्रकार से की जाती है कि जो लौकिक व पारलौकिक सुखों/भोगों को उत्त्पन्न करती है वह पूजा है। वास्तविक अर्थ में कल्याण कामना से भगवान, देवताओं, गुरु और ब्राह्मणों की विविध द्रव्यों से आराधना करना ही पूजा है। अन्यत्र आदर-सम्मान-सेवा-सुश्रुषा करना पूजा का समानार्थी है।

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