मिठाई की दुकान -चन्द्रमा को प्रसन्न करने का उपाय
- चन्द्रमा के मंत्र : ॐ सों सोमाय नमः।। ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नमः।।
- पौराणिक मंत्र : दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवं। नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ॥
- चंद्र गायत्री – ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विद्महे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमः प्रचोदयात्॥
- वैदिक मंत्र : ॐ इमं देवा असपत्न ᳪ सुवध्वं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय । इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणाना ᳪ राजा ॥
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पूजा स्थान पर चंद्र यंत्र स्थापित करके मंत्र जप, स्तोत्र पाठ आदि द्वारा चंद्र की कृपा पाई जा सकती है।
चंद्र स्तोत्र
श्वेताम्बर: श्वेतवपु: किरीटी, श्वेतद्युतिर्दण्डधरो द्विबाहु: ।
चन्द्रो मृतात्मा वरद: शशांक:, श्रेयांसि मह्यं प्रददातु देव: ॥१॥
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम । नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम ॥२॥
क्षीरसिन्धुसमुत्पन्नो रोहिणी सहित: प्रभु: । हरस्य मुकुटावास: बालचन्द्र नमोsस्तु ते ॥३॥
सुधायया यत्किरणा: पोषयन्त्योषधीवनम । सर्वान्नरसहेतुं तं नमामि सिन्धुनन्दनम ॥४॥
राकेशं तारकेशं च रोहिणीप्रियसुन्दरम । ध्यायतां सर्वदोषघ्नं नमामीन्दुं मुहुर्मुहु: ॥५॥
॥ इति मन्त्रमहार्णवे चन्द्रमस: स्तोत्रं ॥
रेस्टोरेंट (भोजनालय) : शुक्र को प्रसन्न करने का उपाय।
- शुक्र का मंत्र : ॐ शुं शुक्राय नमः॥ ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नमः ॥
- पौराणिक मंत्र : हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्। सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ॥
- शुक्र गायत्री : ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात् ॥
- वैदिक मंत्र : ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत्क्षत्रं पयः सोमं प्रजापतिः । ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपान ᳪ शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु ॥
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पूजा स्थान पर शुक्र यंत्र स्थापित करके मंत्र जप, स्तोत्र पाठ आदि द्वारा चंद्र की कृपा पाई जा सकती है।
शुक्र स्तोत्र :
नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित । वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम: ॥१॥
देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग: । परेण तपसा शुद्ध शंकरो लोकशंकर: ॥२॥
प्राप्तो विद्यां जीवनाख्यां तस्मै शुक्रात्मने नम: । नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्राय वेधसे ॥३॥
तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भसिताम्बर: । यस्योदये जगत्सर्वं मंगलार्हं भवेदिह ॥४॥
अस्तं याते ह्यरिष्टं स्यात्तस्मै मंगलरूपिणे । त्रिपुरावासिनो दैत्यान शिवबाणप्रपीडितान ॥५॥
विद्यया जीवयच्छुक्रो नमस्ते भृगुनन्दन। ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन ॥६॥
बलिराज्यप्रदो जीवस्तस्मै जीवात्मने नम: । भार्गवाय नमस्तुभ्यं पूर्वं गीर्वाणवन्दितम ॥७॥
जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमोनम: । नम: शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि ॥८॥
नम: कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने । स्तवराजमिदं पुण्य़ं भार्गवस्य महात्मन: ॥९॥
य: पठेच्छुणुयाद वापि लभते वांछित फलम । पुत्रकामो लभेत्पुत्रान श्रीकामो लभते श्रियम ॥१०॥
राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकाम: स्त्रियमुत्तमाम । भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं सामहितै: ॥११॥
अन्यवारे तु होरायां पूजयेद भृगुनन्दनम । रोगार्तो मुच्यते रोगाद भयार्तो मुच्यते भयात ॥१२॥
यद्यत्प्रार्थयते वस्तु तत्तत्प्राप्नोति सर्वदा । प्रात: काले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नत: ॥१३॥
सर्वपापविनिर्मुक्त: प्राप्नुयाच्छिवसन्निधि: ॥१४॥
॥ इति स्कन्दपुराणे शुक्रस्तोत्रं ॥
नोट : रत्न धारण से पूर्व ज्योतिषीय परामर्श अपेक्षित होता है। अतः बिना ज्योतिषीय परामर्श के ग्रहों का रत्न धारण न करें।
निष्कर्ष : यह आलेख भोजनालय व्यवसाय की वृद्धि के उपायों पर केंद्रित है, जिसमें ग्रहों के प्रसन्नता को व्यापार वृद्धि का सटीक उपाय बताया गया है। यदि व्यवसाय मिठाईयों आदि पर है, तो चंद्र ग्रह को प्रसन्न करना चाहिए, जबकि नास्ते-भोजन आदि मुख्य वस्तु हों, तो शुक्र ग्रह को प्रसन्न करना चाहिए।
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।