भगवान नारायण का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र शांडिल्य संहिता में वर्णित है जिसमें कुल ९ श्लोक हैं और जिसमें ८ के चतुर्थ पाद “तमादिनारायणदेवमीडे” है। इस स्तोत्र में भगवान नारायण को गुरुओं का भी गुरु कहा गया है, ऋषियों के लिये भी ऋषि बताया गया है, देवताओं का भी देव बताया गया है, ईश्वर का भी ईश्वर अर्थात परमेश्वर कहा गया है। यहां शाण्डिल्य संहितोक्त नारायण स्तोत्र (narayan stotra) संस्कृत में दिया गया है।
शाण्डिल्य संहितोक्त नारायण स्तोत्र संस्कृत में – narayan stotra
नारायणो यो नरभूजलायो नारायणोऽज्ञाननिवर्तनेन ।
नारायणोऽन्तर्यमनेन पुंसां तमादिनारायणदेवमीडे ॥१॥
पुराणवर्णाः पुरुषोत्तमस्य पुराणमन्त्रः पुरुषः पुराणः ।
दधार योऽसौ परिपूर्णरूपस्तमादिनारायणदेवमीडे ॥२॥
मन्त्रात्मको मन्त्रगुणैस्सुतो यो यस्सर्वमन्त्रान्प्रददौ मुनिभ्यः ।
मन्त्राधिदेवोऽखिलमन्त्रगम्यतस्मादिनारायणदेवमीडे ॥३॥
निश्वासभूता निगमालिरस्य प्रश्वासरूपागमपङ्क्तिरिद्धा ।
समस्तशास्त्राणि च यस्य वाचस्तमादिनारायणदेवमीडे ॥४॥
यस्याष्टवर्णं मनुराजमेकं समाश्रितस्संसृतिपारमेति ।
विधेर्विधानं न ह्यत्र किञ्चित् तमादिनारायणदेवमीडे ॥५॥
यो वासुदेवः खलु वामदेवो यो देवदेवः प्रथमं ततोऽभूत् ।
पार्श्वद्वयादस्य च वक्षसश्च तमादिनारायणदेवमीडे ॥६॥
शेषाय देवाय विशेषभर्त्रे अशेषमन्त्रान्प्रददौ सशेषान् ।
निःशेषतः क्लेशनिवृत्तयेऽसौ तमादिनारायणदेवमीडे ॥७॥
गुरुर्गुरूणामृषभो ऋषीणां यों देवदेवः खलु देवतानाम् ।
यश्चेश्वराणां परमेश्वरोऽसौ तमादिनारायणदेवमीडे ॥८॥
इति नारायणस्तोत्रं भणितं त्रिपुरारिणा ।
पठनाच्छ्रवणात्सद्यो हृद्यां शुद्धिं प्रयच्छति ॥९॥
॥ इति श्रीशाण्डिल्यसंहितायां पञ्चमे भक्तिखण्डे एकादशोऽध्याये नारायणस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।