आदित्य हृदय स्तोत्र संस्कृत – 3 aditya hriday stotra

आदित्य हृदय स्तोत्र संस्कृत - 2 aditya hriday stotra

भगवान सूर्य को आरोग्य का देवता कहा गया है किन्तु इसके साथ ही सत्ता-विजय-सफलता आदि के लिये भी भगवान सूर्य की विशेष रूप से अराधना की जाती है। यदि विशेष रोगों की चर्चा करें तो कुष्ठ व चर्मरोग, नेत्रविकार, अस्थिविकार आदि में भगवान सूर्य की विशेष रूप से उपासना करनी चाहिये। सूर्य की उपासना में विशेष रूप से रोगमुक्ति और विजय प्राप्ति के लिये आदित्य हृदय स्तोत्र का अत्यधिक महत्व बताया गया है।

यहां सर्वप्रथम निरोगकारी आदित्यहृदय स्तोत्र पद्मपुराणोक्त दिया गया है तत्पश्चात भविष्योत्तरपुराणोक्त आदित्यहृदय स्तोत्र दिया गया है और लंका पर विजय प्राप्त करने के लिये भगवान श्रीराम ने जिस आदित्य हृदय स्तोत्र से भगवान सूर्य की उपासना किया था वह वाल्मीकि रामायण में वर्णित है और वह भी दिया गया है। सभी स्तोत्र संस्कृत में दिये गये हैं क्योंकि स्तोत्र संस्कृत में ही होते हैं।

निरोगकारी आदित्यहृदय स्तोत्र पद्मपुराणोक्त

भविष्योत्तरपुराणोक्त आदित्यहृदय स्तोत्र

सूर्य सहस्रनाम स्तोत्र - surya sahasranam stotra

वाल्मीकि रामायणोक्त आदित्यहृदय स्तोत्र

सूर्य स्तोत्र संस्कृत - Surya Stotra

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।


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