आत्महत्या के कारण – आत्महत्या रोकथाम के उपाय

आत्महत्या के कारण – आत्महत्या रोकथाम के उपाय

इसी तरह कमजोर मन को भी सबल करना अपेक्षित होता है क्योंकि सभी प्रकार का सोच-विचार मन ही करता है, क्रियाओं व गतिविधियों को मन ही नियंत्रित करता है। मन का कारक चन्द्रमा होता है। अतः यदि चन्द्रमा किसी तरह पीड़ित हो अथवा न भी हों फिर भी अपना शुभ चाहने वाले को चन्द्रमा की भी सतत उपासना करनी ही चाहिये। चन्द्रमा उपासना के संदर्भ में मंत्र जप, दान, हवन, रत्न, जड़ी आदि करना चाहिये जिसके लिये भी ज्योतिषीय परामर्श एवं कर्मकाण्डी ब्राह्मणों का निर्देश अपेक्षित होता है।

  • जीव और जीवन को समझने का प्रयास करना।
  • ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक कहा गया है इसलिये सूर्य की उपासना करना। सूर्य की उपासना छठ में और तत्पश्चात षाण्मासिक रविव्रत करके किया जाता है। नित्य जलदान एवं नमस्कार करके भी किया जाता है।
  • आत्महत्या की रोकथाम के उपाय पर भी अतिरिक्त विस्तृत चर्चा अपेक्षित है अतः अन्य आलेख में ही प्रस्तुत की जायेगी।

F&Q :

प्रश्न : आत्महत्या का मूल कारण क्या है ?
उत्तर : आत्महत्या का मूल कारण आत्मबल की कमी है।

प्रश्न : आत्महत्या के मुख्य कारण क्या हैं ?
उत्तर : आत्महत्या का मुख्य कारण किसी न किसी प्रकार का भय या मानसिक प्रहार होता है।

प्रश्न : भय या मानसिक आघात से संघर्ष करने के लिये क्या आवश्यक होता है ?
उत्तर : भय एवं मानसिक आघात से संघर्ष करने के लिये आत्मशक्ति या आत्मबल आवश्यक होता है।

प्रश्न : आत्मबल की कमी होने पर क्या उपाय करना चाहिये ?
उत्तर : आत्मबल की कमी होने पर सूर्य की उपासना जैसे – अर्घ्य, नमस्कार, स्तोत्र पाठ करना चाहिये। इसके अतिरिक्त मंत्र जप, हवन, दान, रत्न-जड़ी धारण आदि विशेष उपायों के लिये कर्मकांडी एवं ज्योतिषी ब्राह्मणों का निर्देशन लेना चाहिये। इसके अतिरिक्त मनोचिकत्सक से भी परामर्श लेना चाहिये।

प्रश्न : सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र कौन सा है ?
उत्तर : उपनीतों के लिये सूर्य को अर्घ्य देने का सर्वोत्तम मंत्र गायत्री मंत्र है एवं अनुपनीतों के लिए यह मंत्र है – ओं एहि सूर्य सहस्रांशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय माम् भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।

प्रश्न : सूर्य को क्या प्रिय है ?
उत्तर : सूर्य को नमस्कार (प्रणाम करना) प्रिय है – “नमस्कार प्रियो भानुः”

प्रश्न : सूर्य को प्रणाम (नमस्कार) करने का मंत्र कौन सा है ?
उत्तर : सूर्य को प्रणाम (नमस्कार) करने का मंत्र है – जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिं। ध्वांतारीं सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकर।।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।


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