यहां पढ़ें बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में - baglamukhi ashtottar shatnam stotram

यहां पढ़ें बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – baglamukhi ashtottar shatnam stotram

यहां पढ़ें बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – baglamukhi ashtottar shatnam stotram : यहां सर्वप्रथम रुद्रयामलोक्त सर्वसिद्धिप्रद बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र तदनंतर विष्णुयामलोक्त बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र, श्रीकालीविलासतन्त्रोक्त बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र दिया गया है। सभी स्तोत्र संस्कृत में हैं।

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यहां पढ़ें धूमावती माता का अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में - dhumavati ashatottar shatnam stotra

यहां पढ़ें धूमावती माता का अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – dhumavati ashatottar shatnam stotra

यहां पढ़ें धूमावती माता का अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – dhumavati ashatottar shatnam stotra : माता धूमावती की पूजा-अराधना में अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र का विशेष महत्व है। यहां धूमावती अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (dhumavati ashatottar shatnam stotra) संस्कृत में दिया गया है।

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यहां पढ़ें छिन्नमस्ता अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में - chinnamasta ashtottara shatanama stotram

यहां पढ़ें छिन्नमस्ता अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – chinnamasta ashtottara shatanama stotram

यहां पढ़ें छिन्नमस्ता अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – chinnamasta ashtottara shatanama stotram : यहां छिन्नमस्ता अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (chinnamasta ashtottara shatanama stotram) संस्कृत में दिया गया है।

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यहां पढ़ें भुवनेश्वरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में ~ bhuvaneshwari ashtottara shatanama stotram

यहां पढ़ें भुवनेश्वरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में ~ bhuvaneshwari ashtottara shatanama stotram

यहां पढ़ें भुवनेश्वरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में ~ bhuvaneshwari ashtottara shatanama stotram : माता भुवनेश्वरी जो कि दशमहाविद्या में एक हैं; के अनेकों शतनाम स्तोत्र मिलते हैं; दो अष्टोत्तरशतनाम तो रुद्रयामल तंत्र में ही प्राप्त होता है। यहां तीन भुवनेश्वरी अष्टोत्तरशतनाम संस्कृत में दिया गया है।

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यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में - tripura sundari ashtottarshatnam

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam : यहां ब्रह्मयामलोक्त षोडशी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र और श्रीकालीविलासतन्त्रोक्त त्रिपुरसुन्दरी शतनामस्तोत्र अथवा महात्रिपुरसुन्दरी शतनामस्तोत्र दोनों संस्कृत में दिया गया है।

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यहां पढ़ें तारा स्तोत्र अष्टोत्तर शतनाम : tara stotra 108 Name

यहां पढ़ें तारा स्तोत्र अष्टोत्तर शतनाम : tara stotra 108 Name

यहां पढ़ें तारा स्तोत्र अष्टोत्तर शतनाम : tara stotra 108 Name : विभिन्न देवी देवताओं के स्तोत्रों में अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का अपना विशेष महत्व होता है। महाविद्या तारा के भी कई अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र हैं जिनमें से तीन तारा स्तोत्र यहां दिया गया है। प्रथम तारा अष्टोत्तर शतनाम स्वर्णमालातन्त्र और मुण्डमालातन्त्रोक्त है, द्वितीय बृहन्नीलतन्त्रोक्त और तृतीय श्रीकालीविलासतन्त्रोक्त है। तीनों तारा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है।

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काली शतनाम स्तोत्र संस्कृत में - kali shatnam stotram

काली शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – 4 kali shatnam stotram

काली शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – kali shatnam stotram : सर्वप्रथम बृहन्नीलतन्त्रोक्त काली शतनाम स्तोत्र दिया गया है तत्पश्चात महानिर्वाणतन्त्रोक्त करारकूटघटितं कालिका शतनाम स्तोत्र, फिर मुण्डमालातन्त्रोक्त ककारादि काली शतनाम स्तोत्र, पुनः दक्षिण कालिका शतनाम स्तोत्र दिया गया है। सभी स्तोत्र संस्कृत में दिये गये हैं।

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गणेश पूजा - गणेश अष्टोत्तरशत नाम

गणेश अष्टोत्तर शतनामावली | गणेश पूजा मंत्र | ganesha ashtottara shatanamavali

गणेश अष्टोत्तर शतनामावली | गणेश पूजा मंत्र | ganesha ashtottara shatanamavali : भगवान गणपति की पूजा में 21 नामों से पूजा करने का महत्व तो है ही इसके साथ विशेष पूजन में गणेश अष्टोत्तर शतनामावली से भी दूर्वा, मोदक, विविध फल आदि द्रव्यों द्वारा पूजन किया जाता है। सिद्धिविनायक पूजा विधि और संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि पूर्व से प्रकाशित है और उन पुजनों में 21 नामों से अतिरिक्त यदि अष्टोत्तर शतनाम से भी पूजा करनी हो तो यहां दिया गया है।

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केतु के 108 नाम (केतु अष्टोत्तर शतनामावली) - Ketu Ashtottara Shatanamavali

केतु के 108 नाम (केतु अष्टोत्तर शतनामावली) – Ketu Ashtottara Shatanamavali

केतु के 108 नाम (केतु अष्टोत्तर शतनामावली) – Ketu Ashtottara Shatanamavali : राहु की तरह ही केतु भी छाया ग्रह ही है, अर्थात सूर्य और चंद्र पथ का दूसरा संक्रमण बिंदु है और इसकी भी पिण्डात्मक उपस्थिति नहीं है। जिस दैत्य का सिर कटा हुआ धर राहु है वही सिर केतु है। अष्टोत्तरशतनाम का एक विशेष लाभ ज्योतिषियों के लिये भी होता है कि इसके द्वारा फलादेश संबंधी ज्ञान भी मिलता है।

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राहु के 108 नाम (राहु अष्टोत्तर शतनामावली) - Rahu Ashtottara Shatanamavali

राहु के 108 नाम (राहु अष्टोत्तर शतनामावली) – Rahu Ashtottara Shatanamavali

राहु अष्टोत्तर शतनामावली – Rahu Ashtottara Shatanamavali : राहु वास्तव में सूर्य और चंद्र पथ का एक संक्रमण स्थल है जो सदा वक्रमार्ग पर बढ़ता रहता है, इसलिये इसे छाया ग्रह भी कहा जाता है। राहु को अशुभ और पाप ग्रह कहा जाता है। चंद्र या गुरु से साथ राहु की युति हो तो विशेष अशुभफल प्रदायक योग का निर्माण करता है।

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