यहां पढ़ें अनेकों दुर्गा कवच स्तोत्र संस्कृत में – durga kavach sanskrit

यहां पढ़ें अनेकों दुर्गा कवच स्तोत्र संस्कृत में - durga kavach sanskrit

माता दुर्गा को कलयुग में विशेष रूप से फलदायक कहा गया है “कलौ चण्डी महेश्वरौ” अर्थात कलयुग में चण्डी और महेश्वर की उपासना विशेष अथवा शीघ्र फलकारी है। वर्ष में 4 नवरात्रियां होती है और नवरात्रि में माता दुर्गा की विशेष उपासना हेतु नवरात्र व्रत किया जाता है। माता दुर्गा की उपासना में सुरक्षा हेतु कवच स्तोत्र पाठ का विशेष महत्व होता है। एक ब्रह्मा द्वारा मार्कण्डेय को बताया गया कवच स्तोत्र जो श्री दुर्गा सप्तशती में मिलता है सभी जानते हैं किन्तु इसके साथ और भी अनेकों कवच स्तोत्र हैं। यहां दुर्गा कवच स्तोत्र (durga kavach sanskrit) संस्कृत में दिया गया है।

यहां सर्वप्रथम कुब्जिकातन्त्रोक्त दुर्गा कवच (श्लोक संख्या 10) दिया गया है तदनंतर मुण्डमालातन्त्रोक्त प्रथम और द्वितीय दुर्गा कवच (श्लोक संख्या 18 और 19) पुनः ब्रह्मवैवर्त पुराणोक्त दुर्गा कवच (श्लोक संख्या 19) दिया गया है। सभी दुर्गा कवच संस्कृत में हैं।

कुब्जिकातन्त्रोक्त दुर्गा कवच

मुण्डमालातन्त्रोक्त दुर्गा कवच (प्रथम)

मुण्डमालातन्त्रोक्त दुर्गा कवच (द्वितीय)

ब्रह्मवैवर्त पुराणोक्त दुर्गा कवच

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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