इस आलेख में हम होली निर्णय को शास्त्रीय प्रमाणों के साथ समझते हुये होली 2024 में कब है इसे जानेंगे। साथ ही होली से सम्बंधित और भी महत्वपूर्ण तथ्यों को समझेंगे। शास्त्र-पुराणों में बताये हुये कुछ विशेष महत्वपूर्ण बातों को भी जानेंगे जिसकी कभी कोई चर्चा नहीं करता और जनसामान्य को पता नहीं होती। साथ ही साथ होली के बारे में यह भी जानने का प्रयास करेंगे की कैसे मनाया जाता है और शास्त्रों में क्या निर्देश है ?
होली कब है
होली कब है यह तो एक दिनांक मात्र से जाना जा सकता है लेकिन उससे पहले यह जानना आवश्यक होता है कि होली कब होना चाहिये ?
होली निर्णय से सम्बंधित शास्त्रों के प्रमाण भी हमें जानना चाहिये। इस जानकारी के अभाव से ही व्रत-पर्वों में विवाद होता रहता है।
शास्त्रों के अनुसार होली निर्णय एक महत्वपूर्ण विषय है अतः हम पहले होली निर्णय को ही समझेंगे ताकि किसी भी विवाद की स्थिति में सही और गलत को समझ सकें।
चैत्रे मासि महाबाहो पुण्ये तु प्रतिद्दिने । यस्तत्र श्वपचं स्पृष्ट्वा स्नानं कुर्यान्नरोत्तमः ॥
न तस्य दुरितं किञ्चिन्नाधयो व्यायधो नृप ॥ प्रवृत्ते मधुमासे तु प्रतिपद्युदिते रवौ ॥
कृत्वा चावश्य कार्याणि सन्तर्प्य पितृदेवताः। वन्दयेत् होलिकाभूमिं स्वदुःखोपशान्तये ॥ – भविष्य पुराण,
लगभग यही तथ्य पद्मपुराण में भी उपलब्ध है :
पद्मपुराण – चैत्रेमासि महापुण्या निर्मिताप्रतिपत्पुरा। तस्यां यः श्वपचं स्पृष्ट्वा स्नानं कुर्यात्सचैलकम् ॥ न तस्य दुरितं किञ्चित् नाधयो व्याधयो न च। भवन्ति कुरु शार्दूल तस्मात् सम्यक् समारभेत्॥
पौराणिक श्लोकों के आधार पर स्पष्ट होता है कि :
- होली चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है।
- होली के लिये औदयिक प्रतिपदा तिथि को ग्राह्य कहा गया है।
यदि दो दिन औदयिकी प्रतिपदा हो तो पूर्व दिन (पहले दिन) को ग्रहण करना चाहिये, यह वृद्ध वशिष्ठ का वचन है :
वत्सरादौ वसंतादौ बलिराज्ये तथैव च। पूर्वविद्धैव कर्तव्या प्रतिपत् सर्वदा बुधैः॥
तथा – प्रभाते विमले जाते ह्यङ्गे भस्मं च कारयेत् । सर्वाङ्गे च ललाटे च क्रीडितव्यं पिशाचवत् ॥ सिन्दूरैः कुङ्कुमैश्चैव धूलिभिर्धूसरो भवेत् । गीतं वाद्यं च नृत्यं च कुर्याद्रथ्योपसर्पणम् ॥ ब्राह्मणैः क्षत्त्रियैर्वैश्यैः शूद्रैश्चान्यैश्च जातिभिः । एकीभूय प्रकर्तव्या क्रीडा या फाल्गुने सदा। बालकः सह गन्तव्यं फाल्गुने च युधिष्ठिर ॥
होली कब है 2024 में 25 या 26 मार्च को, होली कैसे मनाया जाता है ?
- 26 मार्च 2024 मंगलवार को प्रतिपदा 2:55 PM तक है।
- औदयिक चैत्र कृष्ण प्रतिपदा इसी दिन उपलब्ध है।
- शास्त्रों में औदयिक चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को ही होली मनाने के लिये ग्राह्य बताया गया है।
- इस कारण शास्त्रों के प्रमाण से 2024 में होली 26 मार्च मंगलवार को है।
- 2024 होली की एक विशेषता यह है कि इस बार यह होली के दूसरे दिन न होकर तीसरे दिन है।
भस्मधारणमन्त्र – ॐ वसन्तारम्भसम्भूते सुरासुर नमस्कृते । संवत्सरकृतं पापं क्षमस्व मम होलिके ॥
वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शङ्करेण च । अतस्त्वां धारयिष्यामि विभूते भूतिदा भव ॥
होली क्यों मनाते हैं
होली हर्ष-उल्लास का पर्व है। किसी भी पर्व के कोई १-२ कारण नहीं होते, बहुत से कारण होते हैं और अपने ज्ञानानुसार विद्वान कई प्रकार के कारण बताते हैं :
वसंतोत्सव : इस विषय में सभी विद्वान एक मत हैं कि होली वसंतोत्सव है। ऋतुराज वसंत के आगमन से प्रकृति भी हर्षोल्लासित होती है और हरियाली छाने लगती है। मनुष्य भी ऋतुराज के आगमन से हर्षोल्लास मनाता है जिसे होली कहते हैं।
धर्म का विजयोत्सव : प्रह्लाद चरित्र से अधर्म पर धर्म की विजय का उद्घोष होता है। होली की पूर्वरात्रि में होलिका दहन करके अगले दिन धर्म का विजयोत्सव होली के रूप में मनाया जाता है।
कामदेव को पुनर्जीवन : एक अन्य कथा के अनुसार, तपस्या में विघ्न पड़ने के कारण भगवान शिव ने कामदेव को अपना त्रिनेत्र खोलकर भस्म कर दिया था। लेकिन जब कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव से अनुनय–विनय किया तो भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित करने का वचन दिया। यह वचन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को पूर्ण हुआ, और इस खुशी में लोगों ने रंगों का त्योहार मनाया।
नववर्ष का आरम्भ : यद्यपि चान्द्रमास के आधार पर सब एक मत हैं कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष का आरम्भ होता है। किन्तु विचार करने पर यही प्रतीत होता है कि होली के रूप में सनातन और प्रकृति का नववर्ष ही मनाया जाता है। इससे पूर्व होलिका दहन करके पिछले वर्ष की कटुता–विद्वेष आदि को समाप्त किया जाता है और नये वर्ष में सभी वर्ण-जातियां-लोग प्रेम से मिलकर उत्सव मनाते हुये नववर्ष का स्वागत करते हैं।
जब सौर मास से नववर्ष का विचार (सूर्य संक्रांति के अनुसार) किया जाता है तो होली सौर मास के आरम्भ में पड़ता है। यदि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को होली मनाया जाता तो सौर मास के मध्य या अंत में होता।
होली किस दिन है
वर्ष | महीना | दिनांक | दिन |
2024 | मार्च | 26 | मंगलवार |
2025 | मार्च | 15 | शनिवार |
2026 | मार्च | 4 | बुधवार |
2027 | मार्च | 23 | मंगलवार |
2028 | मार्च | 11 | शनिवार |
2029 | मार्च | 1 | गुरुवार |
2030 | मार्च | 20 | बुधवार |
होली कैसे मनाया जाता है या होली कैसे खेली जाती है
ऊपर दिये गये पौराणिक श्लोकों के आधार पर होली के सन्दर्भ में कुछ और भी महत्वपूर्ण तथ्य ज्ञात होते हैं जो सबको पता होना चाहिये :
- श्वपचं स्पृष्ट्वा – होली के दिन चाण्डाल को स्पर्श करने के बारे में बताया गया।
- स्नानं कुर्यात्सचैलकम् – चाण्डाल को स्पर्श करने के बाद वस्त्र पहने हुये स्नान करने के लिये भी कहा गया है। सचैल स्नान का तात्पर्य होता है जो वस्त्र पहना हुआ हो उस वस्त्र को पहने हुये ही स्नान करना।
- न तस्य दुरितं किञ्चित् नाधयो व्याधयो न च – होली के दिन ऐसा करने से पाप, भय, अनहोनी (बुड़ा), आधि (मानसिक रोग/दुःख) , व्याधि (शारीरिक रोग/दुःख) आदि नहीं होते।
वर्त्तमान समय में कुछ लोग पढ़े-लिखे होने का स्वांग रचते हैं और सभी धार्मिक कृत्यों तर्क-कुतर्क करके मनमाना व्यवहार करते हैं और होली की जो प्राचीन परम्परा कुछ दशक पहले तक गांवों में देखी जाती थी उसे अशास्त्रीय सिद्ध करने का प्रयास भी किया गया, मूर्खता बताया गया। लेकिन यहां शास्त्रीय प्रमाण उस प्राचीन होली की परम्परा के पक्ष में है।होली से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें :
होली कैसे मनाते हैं
- अङ्गे भस्मं च कारयेत् – प्रातः काल शुद्ध होकर भस्म धारण करे।
- सर्वाङ्गे च ललाटे च – पूरे शरीर और ललाट में भस्म लगाये।
- क्रीडितव्यं पिशाचवत् – भस्म धारण करके पिशाचवत् खेले।
- सिन्दूरैः कुङ्कुमैश्चैव – सिंदूर/कुंकुम आदि लगाये।
- धूलिभिर्धूसरो भवेत् – धूलि लगाकर धूसर हो जाये।
- गीतं वाद्यं च नृत्यं च – गाये, बजाये और नाचे।
- रथ्योपसर्पण – सड़कों पर चले/दौरे/उछल-कूद करे।
- एकीभूय प्रकर्तव्या क्रीडा – सभी वर्णों/जातियों के लोग एकत्रित होकर होली खेले।
महाशिवरात्रि कब है महाशिवरात्रि पूजा विधि महाशिवरात्रि व्रत कथा महाशिवरात्रि पूजन सामग्री होलिका दहन कब है होलिका दहन मंत्र और विधि अचला सप्तमी कब है सरस्वती पूजा कब है सरस्वती पूजा विधि
F & Q :
प्रश्न : 2024 में होली कितने मार्च को है?
उत्तर : 2024 में होली 25 मार्च को है या 26 मार्च को यह लोगों का भ्रम है। शास्त्रों में औदयिक चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन होली मनाने के लिये कहा गया है जो 26 मार्च को उपलब्ध है और इस कारण 2024 में होली 26 मार्च को है।
प्रश्न : होली के बाद कौन सा त्यौहार आता है?
उत्तर : होली के बाद चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा तिथि को वासंतीय नवरात्र का आरम्भ होता है। पुनः नवमी को राम नवमी आती है।
प्रश्न : 1947 में होली कब था?
उत्तर : 1947 में होलिका दहन 6 मार्च गुरुवार को और होली 7 मार्च शुक्रवार को था।
प्रश्न : होली कैसे मनाया जाता है ?
उत्तर : होली खेलने या मनाने के सन्दर्भ में जो शास्त्रीय प्रमाण है वह ये है : “क्रीडितव्यं पिशाचवत्” अर्थात पिशाचों की तरह खेले। कुछ लोग धूल-मिट्टी, कीचड़ आदि से होली खेलना सही नहीं मानते हैं इसका कारण यह है कि वो लोग शास्त्रों का अध्ययन नहीं करते विदेशी संस्कृति को सीखने वाले होते हैं। होली सनातन का उत्सव है और होली खेलने के लिये सनातन शास्त्रों का ही वचन मान्य होगा। होली के लिये शास्त्रों में कहा गया है कि होलिका की राख लगाये, धूल-धूसरित होकर पिशाचों की तरह खेले अर्थात नाचे-गाये या हुरदंड मचाकर खेले।
प्रश्न : होली में हुरदंग क्यों मचाते हैं या पिशाचों की तरह क्यों खेलते हैं ?
उत्तर : होली में हुरदंग मचाते हैं या पिशाचों की तरह खेलते हैं और यह शास्त्रों में कहा गया है। ऐसा इसलिये कि सहिष्णु सनातनी होलिका दहन होलिका नामक राक्षसी के जलन को कम करने के लिये करते हैं, उसकी पूजा करते हैं और उसे प्रसन्न करने के लिये ही पिशाचों की तरह खेलते हैं। सामान्य मनुष्य की तरह खेलने पर होलिका राक्षसी को प्रसन्नता की प्राप्ति नहीं हो सकती अपितु दुःख होता।
प्रश्न : होली कब मनाई जाती है ?
उत्तर : फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को भद्रा रहित काल में होलिका दहन किया जाता है और चैत्र कृष्ण प्रतिपदा जो सूर्योदय के समय से हो उस दिन होली मनाई जाती है।
Discover more from संपूर्ण कर्मकांड विधि
Subscribe to get the latest posts sent to your email.