स्तोत्रों के विभिन्न प्रकारों में से एक प्रकार होता है नाम स्तोत्र जिसमें नामों की विशेष संख्या भी रहती है। द्वादश नामों वाले स्तोत्र को द्वादश नाम स्तोत्र कहा जाता है। यहां भगवान राम के द्वादश नामों का स्तोत्र जिसे श्री राम द्वादश नाम स्तोत्र (ram dwadash naam stotram) कहा जाता है संस्कृत में दिया गया है।
पढ़िये श्री राम द्वादश नाम स्तोत्र संस्कृत में – ram dwadash naam stotram
भगवान विष्णु के दशावतार में से एक है रामावतार और भगवान श्री राम की कथा सभी पुराणों में वर्णित है। पुराणों में संक्षिप्त कथा है किन्तु विस्तृत कथायें रामायण में मिलती है अथवा दूसरे शब्दों में कहें तो जिन ग्रंथों में भगवान श्री राम की विस्तृत कथायें वर्णित है उन्हें रामायण कहा जाता है। रामायणों में बाल्मीकि रामायण का महत्वपूर्ण स्थान है जिसे आदिकाव्य कहा जाता है। संस्कृत ग्रंथों का विद्वानों मात्र तक प्रचलन था किन्तु रामचरित मानस जो की तुलसीदास की कृति है सामान्य जनों तक पहुंच बनाने वाली सिद्ध हुयी।
भगवान श्री राम के बारह नामों का स्तोत्र महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां प्रथम स्कन्दपुराणोक्त श्रीराम द्वादशनाम स्तोत्र दिया गया है और तदनन्तर ब्रह्माण्डपुराणोक्त श्रीराम द्वादशनाम स्तोत्र भी दिया गया है।
स्कन्दपुराणोक्त श्रीराम द्वादशनाम स्तोत्र
विनियोग : अस्य श्रीरामद्वादशनामस्तोत्रमहामन्त्रस्य, निटिलाक्षो भगवान् ऋषिः, अनुष्टुप्छन्दः, श्रीरामचन्द्रो देवता, श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥
ॐ प्रथमं श्रीधरं विद्याद्द्वितीयं रघुनायकम् ।
तृतीयं रामचन्द्रं च चतुर्थं रावणान्तकम् ॥१॥
पञ्चमं लोकपूज्यं च षष्ठमं जानकीपतिम् ।
सप्तमं वासुदेवं च श्रीरामं चाष्टमं तथा ॥२॥
नवमं दूर्वादलश्यामं दशमं लक्ष्मणाग्रजम् ।
एकादशं च गोविन्दं द्वादशं सेतुबन्धनम् ॥३॥
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छ्रद्धयान्वितः ।
अर्धरात्रे तु द्वादश्यां कुष्ठदारिद्र्यनाशनम् ॥४॥
अरण्ये चैव सङ्ग्रामे अग्नौ भयनिवारणम् ।
ब्रह्महत्या सुरापानं गोहत्याऽऽदि निवारणम् ॥५॥
सप्तवारं पठेन्नित्यं सर्वारिष्टनिवारणम् ।
ग्रहणे च जले स्थित्वा नदीतीरे विशेषतः ।
अश्वमेधशतं पुण्यं ब्रह्मलोके गमिष्यति ॥६॥
॥ इति श्री स्कन्दपुराणे उत्तरखण्डे श्रीउमामहेश्वरसंवादे श्रीरामद्वादशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
ब्रह्माण्डपुराणोक्त श्रीराम द्वादशनाम स्तोत्र
ॐ प्रथमं श्रीकरं नित्यं द्वितीयं दशरथात्मजम् ।
तृतीयं रामचन्द्रं च चतुर्थं रावणान्तकम् ॥१॥
पञ्चमं लोकपूज्यं च षष्ठमं जानकीप्रियम् ।
सप्तमं वासुदेवं च श्रीरामं चाष्टमं तथा ॥२॥
नवमं दूर्वादलश्यामं दशमं लक्ष्मणाग्रजम् ।
एकादशं च गोविन्दं द्वादशं सेतुबन्धनम् ॥३॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
दारिद्र्यदोषनिर्मुक्तो धनधान्यसमृद्धिकम् ॥४॥
सर्वसम्पत्प्रदं श्रेष्ठं सर्वकार्यवशीकरम् ।
दिव्यदेहमवाप्नोति दीर्घमायुष्यवर्धनम् ॥५॥
ग्रहदोषविनाशं च सर्वकार्यफलप्रदम् ।
अरण्ये देवसङ्ग्रामे महाभयनिवारणम् ॥६॥
अर्धरात्रं जपेत् स्थित्वा सर्वारिष्टनिवारणम् ।
इहजन्मसुखी भूत्वा तद्विष्णोः परमं पदम् ॥७॥
॥ इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे ब्रह्मनारदसंवादे श्रीरामद्वादशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।