सनातन धर्म की स्थापना किसने की ? इसे समझने से पहले हमें सनातन के अर्थ को समझना चाहिये। जब हम सनातन के अर्थ को समझ लेंगे तभी ज्ञात होगा कि सनातन धर्म कितना पुराना है ?
सनातन का अर्थ : सनातन का अर्थ होता है जो अनादि काल से है और अनंत काल तक रहेगा अर्थात जिसका न आदि है न अंत होगा वह सनातन है। ये इतिहासकारों की दृष्टि में जटिल प्रश्न है कि सनातन धर्म कितना पुराना है या सनातन धर्म कितने साल पुराना है, लेकिन सनातन शास्त्रों के लिये नहीं। सनातन को समझने के लिये हमें यह भी निर्णय लेना होगा कि सनातन के सबंध में दुराग्रही इतिहासकारों का कुतर्क मानेंगे या वेद-शास्त्रों के प्रमाण।
सनातन धर्म की स्थापना किसने की ? कब कैसे और कहां ?
दुराग्रही और कुतर्की इतिहासकार तो सनातन को मात्र कुछ हजार वर्षों पूर्व का कुतर्क स्थापित करते हैं लेकिन विज्ञान पृथ्वी की आयु लगभग 2 अरब वर्ष बताता है और सनातन सृष्टि का स्पष्ट वर्ष 2023 में 1955885124 वर्ष बताता है जो पंचांगों में सृष्टि गताब्द या सृष्टि सम्वत आदि नामों से आज भी अंकित किया जाता है। वैवस्वत मन्वन्तर के अट्ठाईसवें चतुर्युग का चौथा युग कलयुग के भी 5124 वर्ष बीते हैं जो कलयुग संवत्सर या कलिसंवत्सर नाम से जाना जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण कलयुग आरंभ से पूर्व ही धराधाम से गमन कर गये थे और 2023 में लगभग नहीं स्पष्ट वर्ष 5259 है। भगवान श्रीराम 880165 वर्ष पूर्व थे जिन्हें कुतर्की इतिहासकार मात्र 4-5 हजार वर्षपूर्व का कहता है। ये वर्तमान सृष्टि के शास्त्रप्रमाणित कालखंड हैं। सनातन यह भी कहता है की सृष्टि आरम्भ होती है और समाप्त भी होती है एवं पुनः प्रारम्भ होती है यह क्रम अनवरत चलता रहता है।
जो सृष्टि के आरम्भ से हो और अंत तक रहे, पुनः अगली सृष्टि में भी रहे और पुनः अगली में भी …. वही सनातन है।
- सनातन कौन हैं – भगवान।
- सनातन क्या है – धर्म।
- सनातन कबसे से है – सृष्टि के आरम्भ से।
- सनातन कब तक रहेगा – प्रलयकाल तक, पुनः अगली सृष्टि में भी, पुनः ….

धर्म क्या है ?
सनातन धर्म क्या है ?
सनातन धर्म को समझने से पहले धर्म को समझना होगा – जो वेद-शास्त्रों द्वारा अनुमोदित हो उसका पालन करना और जो वेद-शास्त्रों में निषिद्ध हो उसकी अवहेलना या त्याग करना। अर्थात धर्म वह मूल्य है जो कर्तव्यों का पालन और अकर्तव्यों का निषेध करता है। कर्तव्य और अकर्तव्य की व्याख्या वेद-पुराण-स्मृति-सूत्र आदि ग्रंथ करते हैं।
धर्म का विशेषण सनातन है अर्थात धर्म की विशेषता या विशेष गुण सनातन है और इसीलिये धर्म के साथ उसकी विशेषता भी बताई जाती है सनातन धर्म। धर्म ही सत्य है और धर्म सदा धारणीय है इसलिये इसे सत्य भी कहा जाता है और धर्म के साथ उल्लेख भी किया जाता है – सत्य सनातन धर्म।
सनातन धर्म की स्थापना किसने की ?
धर्म की स्थापना भगवान ने की और सनातन विशेषण है। जब कभी भी धर्म रक्षा भी भगवान ही करते हैं जब कभी भी धर्म की क्षति होती है या विस्थापित होने लगता है तो भगवान पुनः धर्म की स्थापना के लिये मानव शरीर धारण करते हैं और पुनर्स्थापना करते हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने यह श्रीमद्भगवद्गीता में घोषित भी किया है –
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।
परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ।।
पुनः गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस में भी अंकित किया है –
जब जब होई धरम की हानि। बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी।।
तब-तब प्रभु धरि विविध सरीरा। हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा।।
बार-बार धर्म की क्षति भी होती है और अवतरित होकर भगवान पुनर्स्थापित भी करते हैं। यह क्रम अनादि काल से चलता आ रहा है और अनंत काल तक चलता रहेगा।
॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ सुशांतिर्भवतु ॥ सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु ॥
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।