सरल पूजा विधि या दैनिक पूजा विधि

सरल पूजा विधि

समंत्र पञ्चोपचार पूजा विधि

  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद तिलक लगाकर सर्वप्रथम भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करके नमस्कार अवश्य प्रदान करना चाहिये।
  • गायत्री/गुरुमंत्र का न्यूनतम १० बार जप करने के बाद ही पूजा करनी चाहिये।
  • आसन पर बैठकर केवल स्त्रियां ही सिर ढंके पुरुष कदापि नहीं, शरीर और आसन शुद्धि करें जिसकी विस्तृत विधि अलग से दी गयी है यदि संक्षेप में करना हो तो इस प्रकार करें –
  • तीन बार आचमन : ओं केशवाय नमः। ओं माधवाय नमः। ओं नारायणाय नमः। मुख व हस्त मार्जन (२ बार) ओं हृषीकेशाय नमः। ओं गोविन्दाय नमः। (स्त्रियां आचमन न करके केवल जल का स्पर्श कर लें)
  • पवित्रीकरण मंत्र : ओं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाङ्गतोऽपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याऽभंतर: शुचि:॥ ओं पुण्डरीकाक्षः पुनातु ॥ हाथ में गंगाजल/जल लेकर इस मंत्र से शरीर और सभी वस्तुओं पर छिड़के । फिर शिखा बंधन करें, तीन बार प्राणायाम करें।
  • आसनशुद्धि मंत्र : ओं पृथ्वि त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुनाधृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ आसन पर जल छिड़कें।
सरल पूजा विधि या दैनिक पूजा विधि
सम्पूर्ण पूजन विधि

तत्पश्चात छोटी प्रतिमा हो तो स्नान कराकर सूखे कपड़े से पोंछकर वस्त्र पहना दें। यदि चित्र की पूजा करनी हो तो थोड़ा जल देकर पहले भींगे कपड़े से पोछें फिर सूखे कपड़े से पोछें।

धूप, दीप जला लें।

दुर्गा पूजा सामग्री

भगवान के बांयी ओर धूप, दांयी ओर दीप और सम्मुख में नैवेद्य लगायें। इसके बाद पञ्चोपचार पूजन की सभी वस्तुयें घंटी बजाते हुये अर्पित करें।

  • चंदन – ओं श्रीखंड चंदनं दिव्यं गंधाढ्यं सुमनोहरम्। विलेपनं सुरश्रेष्ठ चंदनं प्रतिगृह्यतां॥ इस मंत्र से चंदन लगायें।
  • पुष्प – ओं मल्लिकादिसुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो। मयाहृतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यतां॥ पुष्प अर्पित करने के बाद अन्य पत्र, माला, अक्षत आदि भी अर्पित कर दें।
  • धूप – ओं वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः। आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यतां॥
  • दीप – ओं आज्यवर्ती समायुक्तं वह्निना योजितं मया। दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्य तिमिरापहं॥ दीप दिखाने के बाद हाथों को जल से धो लें।
  • नैवेद्य – ओं शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च। आहारं भक्ष्य भोज्यं च नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां॥ नैवेद्य अर्पित करें। तत्पश्चात आचमन और पानीय जल अर्पित करके आरती करनी हो तो आरती करें नहीं तो पुष्पाञ्जलि प्रदान करें।

पुष्पाञ्जलि मंत्र

तत्पश्चात प्रदक्षिणा करके साष्टांग प्रणाम कर लें, क्षमा प्राथना करके थोड़ा जल पुनः गिरा दें। नैवेद्य ग्रहण कर लें।

वैसे सरल पूजा विधि और मंत्र का एक अन्य तात्पर्य भी होता है और वो है नाममंत्र से पूजा करना। नाम मंत्र का तात्पर्य होता है जिस देवता की पूजा कर रहे हैं उसके नाम को चतुर्थी विभक्ति में नमः प्रयोग पूर्वक उपचार निवेदन करना। इस विधि में, जब हम किसी विशेष देवता का ध्यान करते हैं, तो उनके नाम को उच्चार करना महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि नाम में निहित शक्ति भक्त के मन और आत्मा को शुद्ध करती है। यह पारंपरिक पूजा यात्राओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ भक्त अपने हृदय की सच्चाई और विश्वास के साथ उस देवता की कृपा को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं।

नीचे नाम मंत्र प्रयोग पूर्वक गणेशाम्बिका पूजन की विधि दी गयी है :

गौरी गणेश पूजन का नाम मंत्र

  • अक्षत : इदं अक्षतं ओं गणेशाम्बिकयोः इहागच्छातं इह तिष्ठतं ॥
  • जल : एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयपुनराचमनीयानि ओं गणेशाम्बिभ्यां नमः ॥
  • गंध (चंदन) : इदं गन्धं ओं गणेशाम्बिभ्यां नमः ॥
  • पुष्प : इदं पुष्पं ओं गणेशाम्बिभ्यां नमः ॥
  • अक्षत : इदं अक्षतं ओं गणेशाम्बिभ्यां नमः ॥
  • धूप : एष धूपः ओं गणेशाम्बिभ्यां नमः ॥
  • दीप : एष दीपः ओं गणेशाम्बिभ्यां नमः ॥
  • नैवेद्य : इदं नैवेद्यं ओं गणेशाम्बिभ्यां नमः ॥
  • जल : इदमाचमनीयं पुनराचमनीयं ओं गणेशाम्बिभ्यां नमः ॥
  • पुष्पांजलि : एष पुष्पांजलिः ओं गणेशाम्बिभ्यां नमः ॥

नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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